लखनऊ। कोरोना वायरस के बदलते स्वरूप ने वैज्ञानिकों के काम को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। इस के ‘अल्फा’ ‘डेल्टा’ और ‘डेल्टा प्लस’ सामने आ चुके है। अब ‘‘लैंब्डा’’ नामक वैरिएंट पहचान में आने की पुष्टि हुई है।
इसने दुनिया भर में चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों की नींदें उड़ा दी है। यूरोपीय देशों विशेषकर ब्रिटेन में लैंब्डा स्वरूप (सी.37) से संक्रमण के अब तक छह मामले सामने आने की बात कही जा रही है।
यूपी में चिकित्सा विशेषज्ञों की उच्चस्तरीय कमेटी ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से नए वैरिएंट से जुड़ी सभी ताजा-तरीन सूचनाएं साझा करने का अनुरोध किया है। साथ ही प्रभावित देशों को भी ईमेल भेजकर उनसे नए वैरिएंट के बारे में जानकारी मांगी है।
राजधानी के एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमन की अध्यक्षता वाली इस कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि अभी तक जितनी जानकारी मिली है उसके अनुसार जिन्होंने कोरोना का टीका लगवा लिया है उन्हें इस नए वैरिएंट से कोई विशेष खतरा नहीं है। फिर भी इस नए वैरिएंट के बारे में पूरी रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है। गनीमत है कि एशिया या भारतीय महाद्वीप में यह नया वैरिएंट नहीं पहुंचा है लेकिन जिस प्रकार से लॉकडाउन के बाद अन्तराष्ट्रीय आवागमन शुरू हुआ है उसके आने में देर नहीं लगेगी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 14 जून को लैंब्डा स्वरूप को ‘वैरियंट ऑफ इंट्रेस्ट' के तौर पर सूचीबद्ध किया है। ब्रिटेन व अन्य देशों में मिले इस नए स्वरूप का संबंध विदेश यात्राओं से है। सबसे पहले इसकी पहचान पेरु में की गई थी और अब तक 26 देशों में यह नया वैरिएंट मिल चुका है।
कमेटी के एक अन्य सदस्य ने बताया कि नए वैरिएंट लैंब्डा (सी.37) को भी अब सैम्पल टेस्ट की सूची में शामिल कर लिया गया है। ऐसा अंतरराष्ट्रीय विस्तार और एल452क्यू और एफ490एस जैसे कई बदलाव की वजह से किया गया है। नए स्वरूप को भी जीनोम सीक्वेंसिंग के माध्यम से पता लगाना आसान बताया जा रहा है। लिहाजा अब प्रदेश में जीनोम सीक्वेंसिंग से जांच की लैबोरेटरी की संख्या में और बढ़ोत्तरी करने के रास्ते तलाशे जाएंगे।
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