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चिकनगुनिया कारण, लक्षण और इलाज।

वर्तमान में, चिकनगुनिया बुख़ार का कोई भी इलाज़ नहीं है और इस रोग से बचने का एकमात्र उपाय है- मच्छरों के काटने से बचना | हालाँकि, यह वायरस आमतौर पर चिंताजनक नहीं होता है और मृत्यु का कारण बहुत कम ही बनता है |

लेख विभाग
December 12 2021 Updated: December 12 2021 15:25
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चिकनगुनिया कारण, लक्षण और इलाज। प्रतीकात्मक

चिकनगुनिया बुख़ार (Chikungunya Fever), वायरस के कारण होने वाला एक प्रकार का बुखार (fever)  है जो इंसानों में एक संक्रमित (infected)  मच्छर के काटने से फैलता है | इसके वायरस को फैलाने के लिए मच्छरों के दो समूह जिम्मेदार होते हैं, जो हैं- “एडीज एजिप्टी” और “एडीज अल्बोपिक्टस” | हालाँकि यह रोग अफ्रीका, एशिया और भारत के कई इलाकों में आमतौर पर पाया जाता है, इसके अलावा पिछले कुछ सालों में संसार के लगभग आधे पश्चिमी हिस्सों में भी इस रोग के कई केसेस दर्ज किये गये हैं | इस वायरस के कारण संक्रमण के तीन से सात दिनों के बाद तेज़ बुख़ार और मध्यम से लेकर गंभीर प्रकार का संधिशूल या जोड़ों का दर्द होता है | वर्तमान में, चिकनगुनिया बुख़ार का कोई भी इलाज़ नहीं है और इस रोग से बचने का एकमात्र उपाय है- मच्छरों के काटने से बचना | हालाँकि, यह वायरस आमतौर पर चिंताजनक नहीं होता है और मृत्यु का कारण बहुत कम ही बनता है |

लक्षणों की पहचान

  1. तेज बुख़ार प्रतीत होना: तेज बुखार चिकनगुनिया का सबसे पहला लक्षण है | सामान्यतः बुखार 102 से 104 डिग्री फेरनहाईट (40 डिग्री सेल्सियस) की रेंज में आता है | या बुखार आमतौर पर एक सप्ताह तक बना रहता है |
  2. जोड़ों में दर्द की पहचान करें: यह दर्द आमतौर पर दोनों ओर के पार्श्व हिस्सों को प्रभावित करता हैऔर अधिकतर हाथों और पैरों को प्रभावित करता है | यह संधिशूल कुछ सप्ताह तक हो सकता है और कुछ बहुत ही विरले केसेस में एक साल या उससे अधिक समय तक भी बना रह सकता है | “चिकनगुनिया” शब्द तंज़ानिया की मकोंडे बोली (Makonde dialect of Tanzania) के अनुसार “जो झुका देता है” का अनुवादिक शब्द है जो इस रोग के गंभीर नैदानिक रूपों के साथ व्यक्ति की शारीरिक बनावट को वर्णित करता है |
  • इस रोग से ग्रसित अधिकतर लोगों में संधिशूल सात से दस दिनों तक बना रहेगा, परन्तु वृद्ध रोगियों में यह दर्द और भी अधिक समय तक बना रह सकता है |
  • कुछ लोगों में संधिशूल के साथ ही जोड़ों में सूजन भी आ जाती है |
  1. चकत्ते देखें: ये चकत्ते आमतौर पर बुखार आने के बाद ही दिखाई देने लगते हैं और सामान्यतः मैक्युलोपेपुलर (maculopapular) होते हैं जिसका मतलब है कि ये छोटे-छोटे उभारों के साथ त्वचा के समतल लाल हिस्सों के रूप में दिखाई देते हैं | यह रोगी के धड़ और हाथ-पैरों को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं | यह रोगी की हथेलियों, पंजों और चेहरे पर भी दिखाई दे सकते हैं |
  2. अतिरिक्त लक्षणों की जांच करें: अगर आपको चिकनगुनिया हो जाता है तो आपको सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, नेत्रश्लेष्मकलाशोथ (conjuctivitis), मितली और उल्टियाँ भी हो सकती हैं |

वायरस से बचाव और उपचार

  1. अगर आपको लगता है की आपको चिकनगुनिया हो सकता है तो अपने डॉक्टर को कॉल करें: अगर आपको बुखार, संधिशूल और चकत्ते (rash) हों तो अपने डॉक्टर से सलाह लें | बुखार को चिकनगुनिया के रूप में डायग्नोज़ करना कठिन होता है (और अधिकतर डेंगू बुखार के रूप में गलत डायग्नोज़ कर लिया जाता है), लेकिन डॉक्टर अपनी डायग्नोसिस आपके लक्षणों, हाल ही में आपके द्वारा यात्रा की गयी जगहों के आधार पर और वायरल टेस्ट के लिए आपके ब्लड के सैंपल के आधार पर बनायेंगे | चिकनगुनिया बुखार की उपस्थिति की वास्तविक सुनिश्चिती का एकमात्र विकल्प ब्लड सीरम या सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड का लेबोरटरी में किया गया टेस्ट ही है |
  • इसके लिए भारत में रोग नियंत्रण और रोकथाम केन्द्रों और राज्यों के कुछ स्वास्थ्य विभागों में ब्लड टेस्ट कराया जा सकता है | आमतौर पर टेस्ट की प्रक्रिया में लगभग 4-14 दिनों का समय लगता है | इस समय में, आपके शरीर में चिकनगुनिया वायरस का आक्रमण होना शुरू हो चुका होता है |
  1. वायरस के कारण होने वाले लक्षणों का इलाज़ करें: चिकनगुनिया बुखार का इलाज़ करने के लिए कोई भी एंटीवायरल ड्रग नहीं बनाई गयी है लेकिन लक्षणों को शांत करने के लिए डॉक्टर आपको दवाएं लिख सकते हैं | डॉक्टर आपको पर्याप्त आराम करने और डिहाइड्रेशन से बचने के लिए खूब सारे तरल लेने की सलाह भी देंगे |
  • उदाहरण के लिए, बुखार और संधिशूल एसेटामिनोफेन (acetaminophen-tylenol), इबुप्रोफेन (ibuprofen-advil) या नाप्रोक्सेन (naproxen-aleve) से काबू किये जा सकते हैं |
  • एस्पिरिन (aspirin) न लें क्योंकि इससे रियेस सिंड्रोम होने की रिस्क बढ़ जाती है जो बहुत ही कम होने वाली लेकिन बहुत गंभीर स्थिति है जिसके कारण विशेषरूप से, बच्चों और किशोरों के लिवर और ब्रेन में सूजन आ जाती है |
  1. मच्छरों के काटने से बचकर चिकनगुनिया बुखार से बचाव करें: वर्तमान में, चिकनगुनिया बुखार के लिए कोई भी कमर्शियल वैक्सीन नहीं है | इसलिए, इस वायरस से बचने का एकमात्र रास्ता मच्छरों के काटने से बचना ही है, विशेषरूप से उन इलाकों में यात्रा करते समय जहाँ यह रोग प्रचलित हो जिसे, अफ्रीका, एशिया, और भारतीय उपमहाद्वीप |[९] अगर इस रोग के कॉम्प्लीकेशन्स के प्रति आप हाई रिस्क पर हों जैसे गर्भवती हों या आपको कोई अन्य गंभीर समस्या हो तो अगर हो सके तो इस रोग से प्रकुपित इलाकों में जाने से बचें | मच्छरों से बचने के लिए:
  • अधिक जोखिम वाले इलाकों में यात्रा करते समय लम्बी आस्तीन की शर्ट और लम्बे पैन्ट्स पहनें | अगर संभव हो तो, मच्छरों को मारने के लिए अपने कपड़ों को पेर्मेथ्रिन (एक प्रकार का इंसेक्टिसाइड) से उपचारित करें |
  • स्किन के खुले हुए हिस्सों पर उन मच्छर मारक (mosquito repellent) का उपयोग करें जिनमे विशेषतौर पर डीइइटी (DEET), पिकारिडिन (picaridin), IR3535, लेमन यूकेलिप्टस का आयल या पेरामेंथेन–डिओल (PMD) जैसे शक्तिशाली और लम्बे समय तक प्रभावकारी रहने वाले पदार्थों में से कोई एक हो |
  • अपने आवास की खिडकियों और दरवाज़ों पर टाइट-फिटिंग वाले इन्सेक्ट स्क्रीन लगवाएं | रात में कपने बिस्तर पर इंसेक्टिसाइड से उपचारित मच्छरदानी लगाकर ही सोयें और दिन के समय अगर आपके बच्चे या वृद्ध सोयें तो मच्छरदानी के उपयोग से उनकी सुरक्षा करें |

 

 

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