एक नए शोध में यह बात सामने आयी है कि 65 साल से ऊपर की महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर सर्जरी कराने के बाद रेडिएशन से कोई खास फायदा नहीं होता है। इसलिए वे रेडिएशन छोड़ भी सकती हैं क्योंकि यह थेरेपी उन्हें ज्यादा जीने में मदद नहीं करती। ये परिणाम दस साल तक चले अध्ययन के बाद यह शोध पत्र प्रकाशित हुआ है।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (The New England Journal of Medicine) की रिपोर्ट कहती है कि रेडिएशन (radiation) ना लेने से भी बीमारी के शरीर के अन्य अंगों में फैलने के खतरे पर कोई असर नहीं पड़ता। हालांकि इससे कैंसर (cancer) की पुरानी जगह पर दोबारा कैंसर हो जाने का खतरा थोड़ा सा अधिक हो जाता है।
शोधकर्ता (Researchers) बतातें हैं कि रेडिएशन थेरेपी का मरीजों पर, खासकर बुजुर्ग मरीजों पर काफी असर होता है जबकि यह एक दर्दनाक प्रक्रिया मानी जाती है। मुख्य शोधकर्ता एडिनबरा यूनिवर्सिटी ( University of Edinburgh) के डॉ. इयान कंकलर ने एक बयान जारी कर कहा कि इस शोध से बुजुर्ग मरीजों को रेडिएशन थेरेपी (radiation therapy) देने या ना देने के बारे में फैसला लेने में मदद मिलेगी।
यह शोध दस साल तक चले परीक्षणों का नतीजा है। इन परीक्षणों में 65 साल से ऊपर की 1,326 महिलाओं ने हिस्सा लिया। ये ऐसी मरीज थीं जिनमें तीन सेंटीमीटर से छोटा ट्यूमर (tumors) था जिसे कम खतरे वाला ब्रेस्ट कैंसर कहा जाता है। इस तरह के ट्यूमर पर हॉर्मोन थेरेपी (Hormone therapy) का असर ज्यादा होने की संभावना रहती है।
शोध में शामिल सभी महिलाओं की ब्रेस्ट कंजर्विंग सर्जरी (breast-conserving surgery) हुई और उन्होंने कम से कम पांच साल तक हॉर्मोन थेरेपी भी ली। मरीजों को दो समूहों में बांटा गया था आधे मरीजों को सर्जरी के बाद रेडिएशन थेरेपी दी गई जबकि बाकी आधे बिना थेरेपी के रहे।
स्तन कैंसर के मरीजों के लिए बड़ी कामयाबी, नई दवा और नई श्रेणी
दस साल बाद दोनों समूहों में जीवित बचे मरीजों (patients) की संख्या 81 फीसदी थी और ज्यादातर मौतों की वजह ब्रेस्ट कैंसर नहीं था। शोधकर्ता कहते हैं कि रेडिएशन ना लेने की सूरत में मरीजों को कम से कम पांच साल तक हॉर्मोन थेरेपी लेनी होती है जो काफी मुश्किल हो सकता है।
कैंसर और रेडिएशन थेरेपी
रेडिएशन थेरेपी, कई प्रकार के कैंसर के इलाज में इस्तेमाल की जाती है। रेडिएशन से कैंसर कोशिकाओं को या तो नष्ट कर दिया जाता है या उनका विकास बेहद धीमा हो जाता है लेकिन रेडिएशन थेरेपी के कई दुष्प्रभाव भी होते हैं।
रेडिएशन थेरेपी लेने वाले मरीज़ों को थकान (fatigue), स्किन रिएक्शन (skin reactions), बालों का झड़ना (hair loss), भूख ना लगना, खांसी, दस्त, उल्टी आदि दुष्प्रभाव हो सकते हैं। कुछ लोगों में ये साइड इफेक्ट्स बहुत ज्यादा होते हैं तो कुछ में कम भी हो सकते हैं. साथ ही कुछ मरीजों के लिए दुष्प्रभाव खतरनाक भी हो सकते हैं।
भारत समेत दुनियाभर में स्तन कैंसर (Breast cancer) महिलाओं में बेहद खतरनाक बीमारी है। इंडियन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक भारत में जितनी महिलाओं को कैंसर होता है, उनमें से 14 फीसदी स्तन कैंसर से पीड़ित होती हैं। आंकड़े बताते हैं कि हर चार मिनट में एक महिला को स्तन कैंसर का पता चलता है।
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