नयी दिल्ली। गर्भवती महिला और नवजात शिशुओं में कोरोना संक्रमण के जोखिम को लेकर अब तक कई वैज्ञानिक दस्तावेज सामने आए हैं। हालांकि, महामारी की आगामी लहर की वैज्ञानिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन पहली बार सरकार ने वैज्ञानिकों के साथ मिलकर इस पर एहतियातन कार्य शुरू कर दिया है।
इसके तहत नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने गर्भवती महिला और नवजात शिशुओं पर संक्रमण प्रभाव के बारे में जानने के लिए एक अध्ययन शुरू किया है, जो पहली बार महामारी के अब तक प्रभावों के बारे में सही जानकारी सामने ला सकता है।
इसका सबसे बड़ा लाभ तब मिलेगा जब अध्ययन के निष्कर्ष आगामी माह में केंद्रीय स्तर पर गठित समितियों के समक्ष रखे जाएंगे और इन्हीं परिणामों के आधार पर सरकार देश भर के अस्पतालों के लिए दिशा-निर्देश तैयार करेगी ताकि भविष्य में कोरोना की कोई लहर आती है तो इस वर्ग को समय रहते बचाया जा सके।
प्रेग्कोविड : गर्भवती और प्रसवोत्तर महिलाओं पर पहली रजिस्ट्री
आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राहुल गजभिए ने बताया कि प्रेग्कोविड भारत में कोविड को लेकर गर्भवती और प्रसवोत्तर महिलाओं पर पहली रजिस्ट्री है। उन्होंने बताया कि अस्पतालों से जानकारी मांगना शुरू कर दिया गया है। इस अध्ययन को पूरा होने में अभी तीन से चार माह का वक्त लग सकता है।
डॉ. गजभिए ने कहा, ‘इस अध्ययन के बारे में एक तरह से कहा जा सकता है कि कोरोना महामारी का गर्भवती महिला, प्रसव के बाद महिलाओं का स्वास्थ्य और नवजात शिशुओं की स्थिति इत्यादि के बारे में निचोड़ निकाला जा रहा है, जिसके आधार पर एक निष्कर्ष निकाला जा सके।’
डॉक्टरों के लिए होगा प्रशिक्षण
वैज्ञानिकों का कहना है कि नए दिशा-निर्देश बनने के बाद यह डॉक्टरों के लिए प्रशिक्षण का कार्य करेगा। संक्रमित गर्भवती महिला का उपचार किस तरह से किया जाए? या फिर प्रसव के बाद मां व शिशु का बचाव कैसे किया जा सकता है? डॉक्टरों को यह भी बताने का प्रयास किया जा रहा है कि किन मानकों के आधार पर मरीज पर असर को पहले जान सकते हैं?
दो साल में जुटाए आंकड़ों की मदद
वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि 2020 में कोरोना ने भारत में प्रवेश किया। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं में जोखिम काफी अधिक है। इसी के चलते आईसीएमआर ने प्रेग्कोविड-19 एक रजिस्ट्री भी बनाई थी। इसमें मार्च 2020 से मई 2022 तक देश के 19 अस्पतालों से डाटा एकत्रित किया जाएगा।
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 3885
हुज़ैफ़ा अबरार March 21 2025 0 3219
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 11211
एस. के. राणा March 06 2025 0 9213
एस. के. राणा March 07 2025 0 8880
एस. के. राणा March 08 2025 0 7992
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 11211
एस. के. राणा March 06 2025 0 9213
एस. के. राणा March 07 2025 0 8880
एस. के. राणा March 08 2025 0 7992
British Medical Journal February 25 2025 0 5772
सौंदर्या राय May 06 2023 0 77244
सौंदर्या राय March 09 2023 0 82637
सौंदर्या राय March 03 2023 0 80769
admin January 04 2023 0 81708
सौंदर्या राय December 27 2022 0 71757
सौंदर्या राय December 08 2022 0 61438
आयशा खातून December 05 2022 0 113553
लेख विभाग November 15 2022 0 84472
श्वेता सिंह November 10 2022 0 94962
श्वेता सिंह November 07 2022 0 83018
लेख विभाग October 23 2022 0 68021
लेख विभाग October 24 2022 0 69350
लेख विभाग October 22 2022 0 76182
श्वेता सिंह October 15 2022 0 82680
श्वेता सिंह October 16 2022 0 77687
जॉनसन एंड जॉनसन के टीके की दो खुराक के बजाए केवल एक खुराक की आवश्यकता होती है। इस टीकों को महीनों तक
महिलाओं को कोरोना से बचाव के प्रोटोकॉल के बारे में भी जानकारी दी कि अगर घर से निकलते हैं तो मास्क अव
यूं तो वजन कम करने के लिए एक्सरसाइज तो जरूरी है। उसके साथ हेल्दी डाइट भी आवश्यक है लेकिन इसके बावजूद
भारत में बड़े पैमाने पर फैली इस बीमारी को खत्म करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की
सरकारी स्कूलों में राज्य सरकार सैनिटरी वेंडिंग मशीनें लगाने जा रही है. इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार
SARS-CoV-2 में चार संरचनात्मक प्रोटीन होते हैं। एन्वलोप (E), मेम्ब्रेन (M), न्यूक्लियोकैप्सिड (N), औ
स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या संक्रमण के कुल माम
सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि जिला अस्पताल में पहले 10 बेड बनाए गए थे। अब इसे बढ़ाकर 25 बे
मालती कहती हैं कि फाइलेरिया रोगी नेटवर्क से जुड़कर बहुत खुश हूँ | इसके द्वारा गाँव में अन्य लोगों को
प्रदेश में बहुउद्देशीय सहकारी समितियों के तहत सभी 95 ब्लॉकों में जन सुविधा केंद्र एवं जन औषधि केंद्र
COMMENTS