नयी दिल्ली। भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में स्वास्थ्य के प्रति सम्रग दृष्टिकोण अपनाया गया जो आज अधिक प्रासंगिक हो गया है। इसी कड़ी में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर (WHO Global center for Traditional Madicine Center) स्वरुप लेने जा रहा है। 25 मार्च को आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ के बीच जीसीटीएम के निर्माण को लेकर एमओयू साइन किया गया था। जीसीटीएम का भूमि पूजन 19 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के जामनगर में करेंगे।
मोदी सरकार में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को लगे पंख
भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति पूरे विश्व में पहले से ही मशहूर थी, लेकिन इसको बल कोरोना महामारी की रोकथाम की कोशिश के दौरान मिला। कोरोना महामारी के दौरान पूरे विश्व का विश्वास इस पर और भी मजबूत हो गया। आज पूरी दुनिया भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति की कायल है। यही वजह है कि देश में गुजरात के जामनगर में विश्व का पहला एक मात्र डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर अपना स्वरूप लेने लगा है। विश्व में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के विस्तार, प्रचार और प्रसार में मोदी सरकार का अहम रोल है। वर्ष 2014 में आयुष मंत्रालय की स्थापना के साथ ही जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में आयुष की भूमिका का विस्तार होने लगा था। इसके बाद अब पूरी दुनिया में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की स्वीकार्यता बढ़ रही है।
विश्व की 80 फीसदी जनसंख्या पारंपरिक चिकित्सा का करती है इस्तेमाल
गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर की स्थापना से पूरे विश्व को लाभ मिलेगा। इस सेंटर में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ विश्व की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के शोध, विकास, प्रचार-प्रसार पर बड़े पैमाने पर काम होगा। डब्ल्यूएचओ (WHO) की रिपोर्ट की मानें तो विश्व की लगभग 80 फीसदी जनसंख्या पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग करती है। ऐसे में यह सेंटर संपूर्ण मानव जाति के कल्याण में अपनी अहम भूमिका निभाएगा। मालूम हो कि डब्ल्यूएचओ के करीब 170 सदस्य विभिन्न देशों की अपनी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के साक्ष्य, डेटा, मानकों और नियामक ढांचे पर प्राथमिकता से काम कर रहे हैं।
फॉर्मास्युटिकल उत्पादों में पारंपरिक उत्पादों की हिस्सेदारी 40 फीसदी
डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, सभी स्वीकृत फॉर्मास्युटिकल (pharmaceutical) उत्पादों में पारंपरिक उत्पादों की हिस्सेदारी लगभग 40 फीसदी है, जिसमें हर्बल दवाओं, सौंदर्य उत्पाद का उद्योग विश्व में एक लाख करोड़ का है। डब्ल्यूएचओ ने कोरोना महामारी को लेकर अब तक 2600 से अधिक लेख प्रसारित किए हैं, जिसमें संक्रमण की प्रकृति, उसके स्वरुप, विस्तार का उल्लेख किया गया है। साथ ही पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के जरिये इसे मात देने में उनका क्या योगदान रहा, यह भी शामिल है। सेंटर में इन सभी तथ्यों पर शोध होगा।
जीसीटीएम (GCTM) का वर्ष 2023 तक का लक्ष्य निर्धारित
जीसीटीएम का उद्धेश्य डब्ल्यूएचओ के मिशन में सहयोग करना, पारंपरिक चिकित्सा रणनीति को तैयार करने समेत इन लक्ष्यों का विकास और वैश्विक मूल्य प्रदान करना है। केंद्र की ओर से पारंपरिक चिकित्सा को उसका वास्तविक स्थान दिलाने और इसका लाभ और अधिक लोगों तक पहुंचाने पर कार्य किया जाएगा ताकि पारंपरिक चिकित्सा पद्धति स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक व्यापक स्थान प्राप्त कर सके। पारंपरिक चिकित्सा को लंबे समय से स्थापित सांस्कृतिक अभ्यास माना जाता है जबकि यह आधुनिक विज्ञान की सीमाओं का भी विस्तार कर रही है। उदाहरण के तौर पर फॉर्माकोकाइनेटिक गुणों के लिए हजारों यौगिकों की जांच के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करने के साथ कार्यात्मक चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एफएमआरआई) का उपयोग मस्तिष्क गतिविधि और विश्राम प्रतिक्रिया के अध्ययन के लिए किया जाता है जो कुछ पारंपरिक चिकित्सा उपचारों का हिस्सा है। अभी तक सभी स्वास्थ्य प्रणालियों और रणनीतियों का एक जगह समावेश नहीं है, जैसे पारंपरिक चिकित्सा कर्मियों का डाटा, स्वास्थ्य सुविधाओं, योजनाओं का डाटा बेस इसे एक जगह लाने के लिए भी जीसीटीएम अहम भूमिका निभाएगा। डब्ल्यूएचओ ने पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए वर्ष 2023 तक के लक्ष्य को भी निर्धारित कर लिया है। इसके तहत संपूर्ण स्वास्थ्य प्रणलियों में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के संभावित योगदान के दोहन पर काम किया जाएगा। साथ ही पारंपरिक चिकित्सा उत्पादों, शोध, सभी को एक जगह लाने, विनियमित करने पर जोर दिया जाएगा।
नवाचार और प्रौद्योगिकी पर रहेगा जोर
डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम का जोर स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को उत्प्रेरित करने पर होगा। केंद्र पारंपरिक चिकित्सा को लेकर विशेषज्ञों की राय को परिभाषित करने के साथ उसके साक्ष्य उपलब्ध कराएगा। डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम का नेतृत्व तो करेगा ही साथ में पांरपरिक चिकित्सा पद्धति का डाटा और उसका विश्लेषण, उसकी इक्किवटी, स्थिरता पर काम करेगा। इसके नवाचार और प्रौद्योगिकी (innovation and technology) पर जोर दिया जाएगा।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 62814
सौंदर्या राय March 09 2023 0 72869
सौंदर्या राय March 03 2023 0 71001
admin January 04 2023 0 69942
सौंदर्या राय December 27 2022 0 57993
सौंदर्या राय December 08 2022 0 48895
आयशा खातून December 05 2022 0 103008
लेख विभाग November 15 2022 0 72373
श्वेता सिंह November 10 2022 0 77091
श्वेता सिंह November 07 2022 0 69254
लेख विभाग October 23 2022 0 56477
लेख विभाग October 24 2022 0 54920
लेख विभाग October 22 2022 0 63750
श्वेता सिंह October 15 2022 0 68472
श्वेता सिंह October 16 2022 0 67475
COMMENTS