लखनऊ। तीसरी लहर से प्रदेश के बालगृहों में आवासित बच्चों और महिलाओं को बचाते हुए उन्हें सामान्य रूटीन में विकास तथा पुनर्वास के अवसर उपलब्ध कराने हेतु महिला एवं बाल विकास विभाग पूरी तत्परता से कार्यरत है। बालगृहों में उच्चाधिकारियों द्वारा निरीक्षण के सिलसिला गुरुवार 10 जून को भी जारी रहा जिसकी कमान विभाग के निदेशक मनोज कुमार राय ने स्वयं संभाली।
उन्होंने आज लखनऊ स्थित राजकीय बालिका गृह व विशेषीकृत बालिकाओं हेतु आश्रय गृह का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने बालिकाओं से उनके रूटीन तथा समस्याओं संबंधी बातचीत भी की।
निरीक्षण के दौरान बालिका गृह में साफ सफाई की खराब व्यवस्था को देखते हुए उन्होंने अधीक्षिका रीता टम्टा के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा "कोरोना से बच्चों तथा महिलाओं का बचाव गृहों की शीर्ष प्राथमिकता है ऐसे में अधिकारियों द्वारा अतिरिक्त सावधानी बरती जानी चाहिए, किसी के भी द्वारा की गई छोटी सी लापरवाही बच्चों व महिलाओं सहित स्टाफ तथा उनके परिवार को भी जोखिम में ला सकती है, जिम्मेदारी से भागने वाले अधिकारियों व कार्मिकों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी"।
विभाग के सलाहकार नीरज मिश्र ने बताया कि प्रमुख सचिव द्वारा गृहों के निरंतर निरीक्षण के निर्देश निदेशालय तथा मंडलों के समस्त अधिकारियों को दिए गए हैं।
निरीक्षण के दौरान इन बिन्दुओं पर दिया जा रहा ध्यान :
- व्यक्तिगत तौर पर बच्चों से बात करना व उनकी जरूरतों की पूर्ति का निर्देश देना
- बच्चों की पारिवारिक पृष्ठभूमि की रिपोर्ट व व्यक्तिगत देखरेख योजना की समीक्षा करना
- विशेष देखरेख व आवश्यकता वाले बच्चों की व्यक्तिगत देखरेख योजना की समीक्षा करना
- महिला कल्याण विभाग के सभी कर्मचरियों तथा 18 साल से अधिक की महिलाओं व बच्चों के टीकाकरण की स्थिति की समीक्षा और यदि टीका नहीं लगा है तो शिविर लगाकर जल्दी से जल्दी टीकाकरण की व्यवस्था पर चर्चा
- बच्चों को क्वारनटीन व आइसोलेट किये जाने की व्यवस्थाओं और स्थिति की समीक्षा
- संस्थाओं में मूलभूत आवश्यकताओं की सप्लाई और पूर्ति की समीक्षा
- बच्चों के मनोरंजन, व्यायाम, योग व वेंटिलेशन आदि की व्यवस्थाओं की समीक्षा
- स्टाफ और बच्चों द्वारा मास्क, सामाजिक दूरी व हाथ धोने सहित अन्य कोविड प्रोटोकाल के अनुपालन की समीक्षा
- आवासित बच्चों को अपने परिवार से बातचीत के लिए रोस्टर की स्थिति, संसाधनों, डिजिटल माध्यमों की उपलब्धता की समीक्षा, जैसे- वीडियो चैट या व्हाट्सएप आदि
- बच्चों के साथ समूह बैठक कर बातचीत करना और उनसे गृहों के संचालन के लिए सुझाव प्राप्त करना
- गृहों के सेनेटाइजेशन की व्यवस्था की समीक्षा करना
- कोविड प्रभावित बच्चों व स्टाफ की चिकित्सा और देखरेख की समीक्षा
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