वाशिंगटन। कोरोनावायरस संक्रमण से बचाव के लिये, कुल कोविड टीकों (covid vaccines) का 70 प्रतिशत अब तक दुनिया की दस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं (economies) को प्राप्त हुआ है। दुनिया के सबसे ग़रीब देशों (poor countries) को केवल 0.8 फीसदी टीके ही मिल पाए हैं। संयुक्त राष्ट्र (UNO) ने कहा है कि इस विनाशकारी चक्र को समाप्त करने के लिये, हर देश की कम से कम 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण किया जाना होगा।
संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक टीकाकरण अभियान में पसरी मौजूदा असमानता को अन्यायपूर्ण और पूरे विश्व के लिये ख़तरनाक भी बताया है। वैश्विक संगठन का मानना है कि आबादी के एक बड़े हिस्से का टीकाकरण (vaccination) न होने की वजह से, ओमिक्रॉन (Omicron) जैसे नए वैरिएण्ट्स (variants) के बार-बार उभरने की सम्भावना बनी रहेगी। सम्पूर्ण टीकाकरण के अभाव में कोरोना वायरस (coronavirus) के नए वेरिएंट जंगल की आग की तरह फैलते हैं और सभी को जोखिम में डाल देते हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने ज़ोर देकर कहा है कि वैश्विक महामारी पर क़ाबू पाने के लिये, हर देश की कम से कम 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण किया जाना होगा। यूएन की वैक्सीन रणनीति के तहत इस लक्ष्य को 2022 के मध्य तक हासिल किया जाना है। इसके लिये, कम से कम 11 अरब टीकों की खुराक़ों की आवश्यकता होगी लेकिन यह कार्य पूर्णतया सम्भव है।
संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि आठ अरब खुराक़ें पहले ही लोगों को दी जा चुकी हैं, और विश्व स्तर पर, हर महीने 1.5 अरब खुराक़ों का उत्पादन हो रहा है। असल चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि वितरण के लिये पर्याप्त संसाधनों का इस्तेमाल किया जाए। ग़रीब देशों के लिये वैक्सीन खेप में भारी वृद्धि करने की ज़रूरत है, संघर्षरत स्वास्थ्य प्रणालियों के लिये सहायता राशि का प्रबन्ध करना होगा और वैक्सीन टास्कफोर्स का आकार बढ़ाया जाना होगा।
संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि कोई भी तब तक सुरक्षित नहीं है, जब तक हर कोई सुरक्षित नहीं है।
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