लखनऊ। यूरोलॉजिकल समस्याएं यानी यूरीनरी ट्रैक से संबंधित परेशानियां पुरुष और महिला, दोनों को समान रूप से हो सकती हैं, लेकिन यह महिलाओं में अधिक चिंता का विषय है। इसका कारण यह है कि महिलाओं को समय से इसका इलाज नहीं मिलने पर ज्यादा गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
यह जानकारी देते हुए रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल लखनऊ के डॉ. राजीव कुमार एम.सीएच. यूरोलॉजी एवं रीनल ट्रांसप्लांट दी। डॉ. राजीव ने कहा कि महिलाओं को यूरोलॉजी से संंबंधित समस्याओं के बारे में बात करने में अक्सर झिझक होती है। हालांकि यह इलाज की दिशा में पहला कदम है। इस समस्या से पीडि़त महिलाएं उचित देखभाल से दूर क्यों रहती हैं, इसकी एक वजह यह हो सकती है कि उन्हें संभवत: यह ही नहीं पता होता कि उनकी समस्याएं कितनी आम हैं और उनका इलाज भी किया जा सकता है।
डॉक्टर ने बताया कि महिलाओं को यूरोलॉजिकल समस्याएं होती हैं, जैसे-प्रसव के बाद मूत्र पर नियंत्रण नहीं रहना, अत्यधिक सक्रिय ब्लैडर, यूरिनरी ट्रैक में संक्रमण या यूटीआई और पेल्विक अंगों का आगे बढ़ जाना। इन समस्याओं से उनका प्रजनन या यौन स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। इसलिए भले ही पुरुष भी इन समस्याओं को सहन करते हैं, लेकिन महिलाओं को अधिक सचेत रहने की जरूरत होती है, क्योंकि यदि वे गर्भवती हैं, तो इन समस्याओं से उनके अजन्मे बच्चे और गर्भावस्था पर भी असर पड़ सकता है। पुरुष और महिलाओं दोनों को यूरोलॉजी संबंधी परेशानियों के बारे में सचेत रहने की जरूरत है।
डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि देश में महिला यूरोलॉजिस्ट्स की कमी के कारण भी कभी-कभी कुछ महिलाएं अपनी सेहत से जुड़ी समस्याओं को खुलकर नहीं बता पातीं। मेडिकल जगत में डॉक्टर अपने मरीज को केवल मानव शरीर के रूप में देखता है, इसलिए अपनी यूरोलॉजिकल समस्याओं के बारे में बात करने में कोई शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए।
नई मांओं में प्रसव के बाद मूत्र पर नियंत्रण नहीं होने की समस्या आमतौर पर देखी जाती है। यह पेट की मांस पेशियों पर अचानक पडऩे वाले दबाव के कारण होता है जैसे-हंसना, छींकना, खांसना, कूदना या वजन उठाने जैसी सख्त गतिविधियां करना। अच्छी खबर यह है कि इस स्थिति का इलाज किया जा सकता है, इसलिए परेशान होने की बात नहीं है। अतिसक्रिय ब्लैडर कई कारणों से हो सकता है। इस शब्द का प्रयोग कई यूरोलॉजिकल लक्षणों को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है, जिनमें यूरीनेशन की अचानक, अनियंत्रित और अक्सर इच्छा पैदा होना शामिल है।
अतिसक्रिय ब्लैडर की परेशानी अलग-अलग महिलाओं में अलग-अलग हो सकती है और उनमें गर्भावस्था, प्रसव के बाद के परिवर्तन या यूरीनरी ट्रैक के संक्रमण भी शामिल होते हैं। यूरीनरी ट्रैक इन्फेक्शंस (यूटीआई) पुरुषों और महिलाओं में एकसमान रूप से हो सकते हैं, लेकिन महिलाओं में इसका ज्यादा खतरा होता है। यह सबसे पहले यूरीनरी ब्लैडर और यूरेथ्रा को प्रभावित करते हैं।
महिलाओं को यूटीआई का जल्दी इलाज कराना चाहिए, क्योंकि संक्रमण आसपास के हिस्सों जैसे - किडनी तक भी पहुंच सकता है। इससे गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। यूटीआई के कुछ अन्य कारण भी होते हैं, जिनमें कब्ज, गंदे वातावरण (जैसे सार्वजनिक शौचालय) के संपर्क में आना और द्रव की कम मात्रा लेना आदि शामिल होते हैं। पेल्विक ऑर्गन प्रोलेप्स यानी पेल्विक अंगों के बढ़ जाने से मतलब, पेल्विक क्षेत्र में किसी अंग का अपनी सामान्य स्थिति से हट जाना होता है। यह स्थिति मांसपेशियों की कमजोरी के कारण हो सकती है, क्योंकि मांसपेशियां ही अंगों को अपनी जगह पर बनाए रखने का काम और इसमें सहायता करती हैं। इस समस्या की सबसे प्रमुख वजह प्रसव है। छींकना, खांसना, हंसना और अत्यधिक श्रम करना, ऐसी गतिविधियां हैं, जिनसे यह स्थिति और बिगड़ सकती है।
महिलाओं की उत्सर्जन और प्रसव की प्रक्रियाओं में पेल्विस और पेल्विक हिस्से प्रमुख भूमिका निभाते हैं। महिलाओं में उपरोक्त यूरोलॉजिकल समस्याओं का इलाज संभव है और इनमें से सभी में सर्जरी या चीरफाड़ वाली तकनीकों की जरूरत नहीं होती। किसी भी महिला के लिए सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम यह है कि वह इस समस्या को समझे और समय से इलाज के लिए अपने हेल्थकेयर प्रोवाइडर से सहायता ले।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 62814
सौंदर्या राय March 09 2023 0 72869
सौंदर्या राय March 03 2023 0 71001
admin January 04 2023 0 69942
सौंदर्या राय December 27 2022 0 57993
सौंदर्या राय December 08 2022 0 48895
आयशा खातून December 05 2022 0 103008
लेख विभाग November 15 2022 0 72373
श्वेता सिंह November 10 2022 0 77091
श्वेता सिंह November 07 2022 0 69254
लेख विभाग October 23 2022 0 56477
लेख विभाग October 24 2022 0 54920
लेख विभाग October 22 2022 0 63750
श्वेता सिंह October 15 2022 0 68472
श्वेता सिंह October 16 2022 0 67475
COMMENTS