लखनऊ। प्रदेश सरकार पिछड़े क्षेत्रों में उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा वाले अस्पतालों की स्थापना के लिए नई नीति लाने जा रही है। इसके लिए निजी क्षेत्र (private sector) के संस्थानों को एक रुपया प्रति वर्ष के रियायती दर पर पट्टे की सरकारी भूमि दी जाएगी। इसके अलावा पूंजीगत व परिचालन अनुदान, स्टांप ड्यूटी में छूट जैसे अन्य लाभ भी मिलेंगे।
शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में लागू श्यूपी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए सरकारी निजी सहभागिता नीतिश् उम्मीद के हिसाब से नतीजा नहीं दे सकी। इसके बाद नई नीति श्यूपी राज्य में अस्पतालों के विकास में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकारी सहयोग की योजनाश् लाई जा रही है। इससे संबंधित कैबिनेट प्रस्ताव को जल्द मंजूरी दिलाने की तैयारी है।
निजी सहयोग से ये अस्पताल (hospitals) आठ आकांक्षात्मक (पिछड़े) जिलों व 100 पिछड़े ब्लाकों में प्राथमिकता पर बनाए जाएंगे। इसके अलावा नगर निगमों, नोएडा -ग्रेटर नोएडा के क्षेत्रों व गैर पिछड़े क्षेत्रों के लिए अलग फॉर्मूला तैयार किया गया है। पूरी योजना चार मॉडल पर प्रस्तावित है।
मुफ्त इलाज और जांच सुविधाएं - Free treatment and testing facilities इन अस्पतालों में मरीजों को आपातकालीन, ओपीडी और भर्ती सेवा तो मिलेगी ही, सभी तरह की डायग्नोस्टिक जांच मुफ्त होगी। विभाग सभी मॉडल के अस्पतालों में इलाज पर खर्च हुई रकम की प्रतिपूर्ति करेगा। इसके लिए भी दिशानिर्देश बनाए गए हैं। निजी संस्थानों के चयन की प्रक्रिया भी प्रस्तावित की गई है।
मॉडल- 1
केंद्र की वायबिलिटी गैप फंडिंग पर आधारित
- निजी क्षेत्र की संस्था 50 वर्ष के लिए कम से कम 50 शैय्या के अस्पताल का निर्माण और संचालन करेगी। इसके बाद शून्य लागत पर अस्पताल, उपकरण व परिसंपत्तियां सरकार को हस्तांतरित करनी होगी।
- सरकार इसके लिए प्रतिवर्ष 1 रुपया के रियायती दर पर पट्टे पर भूमि उपलब्ध कराएगी।
- परियोजना लागत का अधिकतम 80% तक निजी क्षेत्र की संस्था को पूंजीगत अनुदान। इसमें 40% हिस्सा केंद्र सरकार की वीजीएफ (वायबिलिटी गैप फंडिंग) योजना से मिलेगा।
- पहले 5 वर्षों के लिए संचालन खर्च का अधिकतम 50% तक परिचालन अनुदान निजी क्षेत्र की संस्था को दिया जाएगा। इसमें 25 प्रतिशत वीजीएफ योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार से प्राप्त हो सकेगा।
मॉडल -2
अस्पताल की स्थापना मॉडल एक की तरह 50 वर्ष के लिए होगा। एक रुपया प्रतिवर्ष की दर पर पट्टे पर सरकारी भूमि मिलेगी। इसमें 40% पूंजीगत अनुदान व बिडिंग प्रक्रिया से तय परिचालन अनुदान मिलेगा। 50 वर्ष बाद अस्पताल पर सरकार का नियंत्रण हो जाएगा।
मॉडल-3
भूमि निजी क्षेत्र की संस्था की होगी। कम से कम 50 शैया का अस्पताल बनाएगी व संचालन करेगी। सरकार को भूमि व अस्पताल का हस्तांतरण नहीं होगा। पूंजीगत अनुदान नहीं मिलेगा। स्टांप शुल्क में छूट व अन्य लाभ नीति के तहत मिलेंगे।
मॉडल -4
यह 17 नगर निगमों के साथ नोएडा-ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में लागू होगी। भूमि संस्था के स्वामित्व की होगी। संस्था कम से कम 200 शैया के अस्पताल का निर्माण व संचालन करेगी। सरकार को भूमि व अस्पताल का हस्तांतरण नहीं होगा। संस्था प्रतिवर्ष कुल शैया दिवसों का 25% चयनित रोगियों के लिए रखेगी। यहां प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना व मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के रोगियों का इलाज होगा। पूंजीगत अनुदान लागू नहीं होगा। स्टांप छूट व अन्य लाभ नीति के तहत मिलेंगे।
800 करोड़ वार्षिक खर्च का अनुमान - Estimated annual expenditure of Rs 800 crore
इस योजना के क्रियान्वयन से मोड-ए के अंतर्गत आठ आकांक्षी जिलों में 1-1 अस्पताल, मोड-बी में 50 आकांक्षी ब्लॉकों में 1- 1 अस्पताल व मोड-सी में 50 आकांक्षी ब्लॉकों में 1-1 अस्पताल स्थापना का लक्ष्य है। इसमें करीब 800 करोड़ रुपये वार्षिक खर्च होने का अनुमान है।
एस. के. राणा March 07 2025 0 48840
एस. के. राणा March 06 2025 0 48729
एस. के. राणा March 08 2025 0 46953
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 40404
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 32856
हुज़ैफ़ा अबरार March 21 2025 0 31968
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 31080
सौंदर्या राय May 06 2023 0 84459
सौंदर्या राय March 09 2023 0 88964
सौंदर्या राय March 03 2023 0 89205
admin January 04 2023 0 89811
सौंदर्या राय December 27 2022 0 78861
सौंदर्या राय December 08 2022 0 68209
आयशा खातून December 05 2022 0 122322
लेख विभाग November 15 2022 0 92242
श्वेता सिंह November 10 2022 0 111834
श्वेता सिंह November 07 2022 0 90566
लेख विभाग October 23 2022 0 75791
लेख विभाग October 24 2022 0 77786
लेख विभाग October 22 2022 0 84840
श्वेता सिंह October 15 2022 0 90783
श्वेता सिंह October 16 2022 0 85124
इस बार कोरोना का वायरस काफी अलग है। साथ ही इसकी चपेट में आने वाले गंभीर मरीज पहले की तुलना में भी अल
मध्यप्रदेश में गांधी मेडिकल कालेज, भोपाल में चिकित्सा की पढ़ाई इसी सत्र से हिन्दी में प्रारंभ होगी। इ
केंद्र सरकार की तरफ से आयोजित नेत्रदान पखवाड़ा 25 अगस्त से 8 सितंबर तक आयोजित किया जा रहा है, इसी कड
काम के बाद थकान होना आम बात है। लेकिन रेस्ट करने और सोकर उठने के बाद भी आपकी थकान न जाए तो यह किसी न
डिप्टी डायरेक्टर डॉ कायला लार्सन ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए हाल ही में चलाये गए सामूहिक दवा
चीन के लांझू शहर में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन लगा दिया गया है। इस आदेश के साथ ही करीब 4 ला
एबीडीएम के साथ ई-संजीवनी का एकीकरण एक ऐसा उदाहरण है जहां 22 करोड़ एबीएचए धारक ई-संजीवनी के माध्यम से
सिरदर्द की समस्या बहुत आम है। ये किसी भी वक्त आपको परेशान कर सकती है। इसके पीछे कई अलग-अलग कारण हो स
राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी ने ग्रेजुएट फार्मेसी एप्टीट्यूड टेस्ट की तिथि घोषित कर दी है। परीक्षा का आय
महात्मा गांधी सेवा चिकित्सा परिसर ख़नेरी के ट्रॉमा सेंटर का निर्माण कार्य एक बार फिर जल्द शुरू होगा।
COMMENTS