लखनऊ। कोरोना के इलाज में चीन और रूस की प्रचलित एंटीवायरल दवा उमीफेनोविर को केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) ने काफी प्रभावी पाया था। न केवल उपचार, बल्कि कोरोना की रोकथाम में भी इस दवा को काफी असरदार पाया गया। इसके चलते राजधानी के किंग जॉर्ज चिकित्सा यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान व एराज मेडिकल कॉलेज में परीक्षण शुरू किए गए हैं। परीक्षण के लिए सीडीआरआइ द्वारा ही दवा अस्पतालों को उपलब्ध कराई जा रही है। नतीजे आने में डेढ़ से दो माह का समय लग सकता है, जिसके चलते लोगों को इस सस्ती दवा के लिए अभी इंतजार करना होगा।
सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआइ) के निदेशक प्रोफेसर तपस कुंडू ने बताया कि यह दवा फिलहाल भारत में उपलब्ध नहीं है। लिहाजा, संस्थान ने स्वदेशी तकनीक के जरिए यह दवा विकसित कर ली है। यदि क्लीनिकल परीक्षण सफल रहा तो उमीफेनोविर को कोविड-19 के खिलाफ एक सुरक्षित, प्रभावी, सस्ती दवा के रूप में राष्ट्रीय कार्यक्रम का हिस्सा बनाया जा सकेगा।
लोहिया संस्थान के डॉ. विक्रम सिंंह बताते हैं कि उमीफेनोविर एंटीवायरल दवा है जिसे सीडीआरआइ द्वारा किए गए अनुसंधान में आरएनए वायरस पर काफी प्रभावी पाया गया है। उन्होंने बताया कि तीन अस्पतालों में इसका परीक्षण शुरू किया गया है। लोहिया संस्थान में 42 मरीजों पर इसका परीक्षण किया जाना है। परीक्षण के लिए लगभग 50 फीसद मरीजों का पंजीकरण किया जा चुका है।
केजीएमयू के संक्रामक रोग अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर डी. हिमांशु बताते हैं कि केजीएमयू में भी परीक्षण शुरू किए गए हैं। जिन मरीजों को दवा दी जा रही है, उनका फॉलोअप भी किया जा रहा है। डाटा संकलित किया जा रहा है। सभी जगह का डाटा आ जाने के बाद इसका विश्लेषण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस काम में डेढ़ से दो महीने का वक्त लग सकता है। यदि कोरोना मरीजों पर परीक्षण सफल रहते हैं तो एक बेहद सस्ती व प्रभावी दवा कोरोना के इलाज के लिए हासिल हो सकेगी। निश्चित रूप से यह कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।
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