देश का पहला हिंदी हेल्थ न्यूज़ पोर्टल

लेख

जनसंख्या: कारण, प्रभाव और समाधान

विश्व की कुल भूमि का भारत केवल 2.4 प्रतिशत है पर विश्व की कुल जनसंख्या का 17 प्रतिशत यहाँ निवास करता है। हालात तो इतने बदतर हो गए हैं कि दिल्ली जैसे शहर में 1 वर्ग किमी के अंदर 12,000 लोग रहते हैं। मतलब 1 वर्ग मी में 12 लोग रहते हैं।

लेख विभाग
July 11 2022 Updated: July 11 2022 17:58
0 43155
जनसंख्या: कारण, प्रभाव और समाधान प्रतीकात्मक चित्र

साल 1951 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या 36 करोड़ थी और साल 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 120 करोड़ हो गयी। अब जरा सोच के देखो कि 60 साल में भारत की जनसंख्या 84 करोड़ बढ़ गया। मतलब ये कि हर साल 1 करोड़ 40 लाख, हर महीने लगभग साढ़े 11 लाख और हर दिन लगभग 38 हज़ार लोग की दर से जनसंख्या बढ़ी है।

सब को पता होगा कि यही वो समय था जब भूमि का पैदावार घट रहा था लोगों को पर्याप्त मात्रा में कृषि उत्पादित चीज़ें नहीं मिल पा रही थी तभी तो हरित क्रांति लाया गया था। पर इन्सानों की पैदावार अनपेक्षित रूप से बढ़ता ही जा रहा था उसमें कोई कमी नहीं आयी इसीलिए तो कहा न ! पता नहीं लोगों को हो क्या गया था।

खुद ही सोचो ये एक समस्या क्यूँ नहीं बनेगा जबकि विश्व की कुल भूमि का भारत केवल 2.4 प्रतिशत है पर विश्व की कुल जनसंख्या का 17 प्रतिशत यहाँ निवास करता है। हालात तो इतने बदतर हो गए हैं कि दिल्ली जैसे शहर में 1 वर्ग किमी के अंदर 12,000 लोग रहते हैं। मतलब 1 वर्ग मी में 12 लोग रहते हैं।

इन आंकड़ों को देखकर मन में एक ही सवाल उठता है कि आखिरकार इतनी तेजी से जनसंख्या बढ़ा कैसे ? तो आओ जानते हैं ये इतना बढ़ा कैसे? 

जनसंख्या का मुख्य कारण - Main cause of population

1. जन्म दर में वृद्धि (Increase in Birth Rate) 

अब खुद ही सोचो कि जिस देश की जनसंख्या रोज 38000 की दर से बढ़ी है तो जन्म दर कितनी ऊंची रही होगी। सीधे-सीधे कहूँ तो लोगों ने दिल खोल के बच्चे पैदा किए है। अब इतना तो हम सब समझते है कि बच्चे पैदा करना एक जैविक जरूरत, पारिवारिक मान्यता और सामाजिक विकास की जरुरत है पर काश ! कि भारत के मामले में ये बस इतना ही होता! यहाँ इसके अलावे भी कई और कारण है।

पहली बात की हमारे देश में एक लंबे समय तक बाल विवाह की प्रथा रही है। तो अपरिपक्वता की उस उम्र में वो संवेदनशीलता कहाँ से आती। दूसरी बात की कुछ रूढ़िवादी विचारधाराओं को हमेशा से प्राथमिकता दी गयी है जैसे कि विवाह करना अनिवार्य है। एक बार विवाह हो गया तो बच्चे पैदा करना उससे भी ज्यादा अनिवार्य है। क्यूंकी अगर तुमने बच्चे पैदा नहीं किए तो हो सकता है तुम्हें कुछ न कहा जाये पर तुम्हारे बीबी को नहीं बक्शा जाएगा, नहीं कुछ तो कम से कम मानसिक टौर्चर तो जरूर झेलना पड़ेगा ।

अब अगर तुम्हें ये सब नहीं झेलना और तुमने एक बच्चा प्लान कर लिया और संयोग से वो लड़की हुई तो फिर एक और टेंशन अब तुम निर्णय लोगे कि जब तक एक लड़का नहीं हो जाता तब तक कोशिश जारी रखेंगे। तो जनसंख्या कैसे नहीं बढ़ेगी।

पर इससे भी दिलचस्प बात का अंदाजा इस आंकड़े से लगा सकते हो कि 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति 1000 पुरुषों पर सिर्फ 940 महिलाएं हैं। मतलब ये कि इतना सब कुछ होने के बावजूद भी महिलाएं पुरुषों के बराबरी में कभी नहीं आयी तो हमारी मानसिकता किस प्रकार की रही है इस बात का अंदाजा इस से लगा लो ।

2. मृत्यु दर में कमी (Decrease in death rate)

एक समय था जब बीच-बीच में युद्ध होता रहता था और लाखों लोग भगवान के प्यारे हो जाते थे, एक समय था जब अकाल पड़ता रहता था और लाखों के तादाद में लोग मारे जाते थे, एक समय था जब चिकित्सा क्षेत्र में उतना विकास नहीं हुआ था, एक महामारी आती थी और पूरा का पूरा शहर खत्म हो जाता था। अब न युद्ध होता है न अकाल पड़ता है और चिकित्सा के क्षेत्र में तो हम इतने वृद्धि कर चुके है कि लोग आखिरी समय में भी मरते – मरते बच जाते है।

ये बात आंकड़ों से अच्छे से समझ में आएंगी। 1951 से 2001 तक के  मृत्यु दर को देखें तो पता चलता है कि जो पहले मृत्यु दर 28 प्रति हज़ार थी यानि कि हर साल हर एक हज़ार व्यक्तियों में से 28 की मृत्यु हो जाती थी वही धीरे – धीरे घटकर 9 प्रति हज़ार हो गयी। इससे हुआ ये कि 1961 में जो लोग औसतन 46 वर्ष ही जीते थे 1981 आते-आते लोग औसतन 54 वर्ष जीने लगे जो कि 2001 में 65 वर्ष हो गयी और 2011 की बात करें तो अब लोग औसतन 69 साल जी रहे है। अब पहले ही इतने बच्चे पैदा हो रहे हैं और ऊपर से जो जिंदा है वो भी जल्दी मरने को तैयार नहीं है तो ऐसे में जनसंख्या कैसे नहीं बढ़ेगा। 

3. अशिक्षा, निम्न आय एवं निम्न जीवन स्तर (Illiteracy, low income and low standard of living)

अब जो लोग अशिक्षित है उसे भला क्या पता कि परिवार नियोजन क्या होता है। वे अक्सर रूढ़िवादी विचारधाराओं को मानते है। बच्चों के वृद्धि से उसके जीवन स्तर पर कोई खास फर्क पड़ता नहीं है। वे बस देश में जनसंख्या वृद्धि करने में अपना अमूल्य योगदान देते है। तो ये वो कुछ वजहें है जिसके कि हमारे देश की जनसंख्या इतनी बढ़ी है। 

 

जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव - Effect of population growth

1. रोजगार की समस्या (Employment problem) 

जनसंख्या वृद्धि को अगर कोई चीज़ दुःस्वप्न में बदलता जा रहा है तो वो है रोजगार की कमी। ऐसे देखो तो ये बस एक कारण नजर आता है पर अगर इसके तह में जाये तो ये एक कारण कई अन्य कारणों की जननी है। इस बात को प्रूव करने की तो कोई जरूरत नहीं है की आज के जमाने में पैसे की क्या अहमियत है। सब कुछ पैसे से जुड़ा हुआ है।

अब अगर रोजगार नहीं मिलेगा तो पैसे नहीं आएंगे। पैसे नहीं आएंगे तो गरीबी बढ़ेगी । गरीबी बढ़ेगी तो रहन सहन से स्तर में गिरावट आएगा। रहन-सहन के स्तर में गिरावट आएंगी तो अस्वच्छता उसके दोस्त हो जाएँगे। अस्वच्छता से दोस्ती उसे महंगी पड़ेगी। इसे तरह-तरह की बीमारियाँ बढ़ेंगी और अस्वस्थ लोगों की संख्या बढ़ेगी।

अब जो अब तक शरीर से अस्वस्थ था वो अब मेंटली भी अस्वस्थ होने लगेगा। मेंटली अस्वस्थ होगा तो मन में गंदे विचार आएंगे। और जैसे ही मन में गंदे विचार आने शुरू होंगे। चोरी, डकैती, लूट, रेप, हत्या, देशद्रोह, आतंकवाद जैसे अपराध बढ़ेगा। इससे कुल मिलकर देश का ही नुकसान होता है इसीलिए आज तक हम विकसित देशों की तरह तरक्की नहीं कर पाएँ है। 

2. जनसंख्या समस्या और महंगाई (Population problem and inflation) 

जनसंख्या वृद्धि के चलते देश में हर चीजों की मांग बढ़ती जाती है चाहे वह कृषि उत्पाद हो या फिर  विनिर्माण आधारित उत्पाद और उतना पूरा नहीं होने पर महंगाई बढ़ती जाती है। जाहिर है अगर किसी चीज़ की मांग बढ़ जाएगी जबकि सप्लाइ कम हो जाएगा तो महंगाई तो बढ़ेगी ही।

3. कृषि भूमि की कमी और वनोन्मूलन (Agricultural land shortage and deforestation) 

इतनी बड़ी जनसंख्या की मूलभूत आवश्यकताओं को पूर्ति करने के लिए बेतहाशा जंगलों को काट रहें है। शहरों का क्षेत्रफल दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है। जो भी विस्तार हो रहा है वह कृषि भूमि के मूल्य पर ही तो हो रहा है। अब जब जंगलों को काटा जाएगा, नगरों के क्षेत्रफल में वृद्धि होंगी तो इसका एक और बुरा प्रभाव प्रदूषण के रूप में सामने आता है।

हम जानते है आज सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण नगरों में हैं।  ज्यों-ज्यों प्रदूषण बढ़ती जाती है पर्यावरण की गुणवत्ता में गिरावट आती है। और इसका असर सीधे इन्सानों पर पड़ता है। आप महसूस कर पाएंगे की इन्सानों की गुणवत्ता में भी गिरावट आ रही है। समाज में बुराइयाँ और भ्रष्टाचार बढ़ रहें है।

राजनीति, धर्म, समाज तथा संस्कृति के क्षेत्र में भी मूल्यों का ह्रास हो रहा है। और मानव सामाजिक, सांस्कृतिक क्षेत्र के साथ ही मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी प्रदूषित हो रहा है। सामाजिक संरचना पूरी तरह से बिगड़ता चला जा रहा है। लोगों का लोगों के प्रति संवेदनाएँ खत्म होती जा रही है इतनी भीड़ होने के बावजूद भी सब अकेला महसूस करता है। 

फिर सवाल आता है कि इस जनसंख्या समस्या (population crisis) का समाधान क्या है? तो आइये इसके समाधान के बारे में चर्चा करते हैं।

 

जनसंख्या समस्या का समाधान - Solution to population problem

1. गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा सुविधाओं का विस्तार (Expansion of quality education facilities)

बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकने के लिए आवश्यक है कि देश में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा सुविधाओं का विस्तार किया जाय। क्योंकि ये एक तथ्य है कि शिक्षित परिवारों के सदस्यों की संख्या सीमित होती है। तो जैसे ही शिक्षित व्यक्तियों की संख्या बढ़ेगी, स्वतः ही वे अपने परिवार को सीमित रखेंगे।

ऐसा नहीं है कि साक्षरता दर नहीं बढ़ा है, जहां 1991 की जनगणना के अनुसार साक्षरता दर 53 प्रतिशत के आसपास था वहीं 2001 के जनगणना के अनुसार वो 65 प्रतिशत हो गया और 2011 तक आते – आते 75 प्रतिशत के आसपास पहुँच गया। पर ये भी एक तथ्य है कि साक्षरता दर बढ़ने का फायदा भी तभी होता है जब लोग वाकई शिक्षित हो रहे हों। उसमें भी यौन शिक्षा, पारिवारिक जीवन शिक्षा, परिवार कल्याण शिक्षा, जनसंख्या निरोध शिक्षा जैसे विषयों पर केन्द्रित शिक्षा व्यवस्था की आज ज्यादा जरूरत है। 

2. जन्म दर में कमी लाना (Bring down the birth rate)

ऐसा नहीं है कि जन्म दर में कमी नहीं आयी है । जहां 1951 से 2001 के बीच के 50 सालों में जन्म दर 40 प्रति हज़ार से घटकर 27 प्रति हज़ार तक हो गयी पर विकसित देशों की तुलना में ये आज भी ज्यादा है। अगर उदाहरण स्वरूप कुछ देशों को देखें तो ऑस्ट्रेलिया में यह 15 प्रति हज़ार, जर्मनी में 10, जबकि ब्रिटेन में 14 है। तो हमें इस पर बहुत काम करने की जरूरत है;

शायद इसीलिए आज हमें जनसंख्या नियंत्रण जैसे कानून की आवश्यकता महसूस हो रही है। चीन का उदाहरण हमारे सामने है कि किस तरह उसने कानून लाकर जनसंख्या नियंत्रण में बहुत हद तक काबू किया है। 

3. जागरूकता (Awareness) 

शिक्षा जागरूकता लाने का एक सशक्त माध्यम तो है ही पर आज लोगों को अन्य दूसरे माध्यमों से भी जागरूक करने की जरूरत है। वर्तमान प्रधानमंत्री ने इसी विषय को लेकर राष्ट्र के नाम सम्बोधन में, जनसंख्या कम करने में सहयोग को भी राष्ट्रवाद से जोड़ दिया। इस तरह के कई और प्रयत्न करने की जरूरत है। जैसे कि नियमों को कठोरता से पालन करने की जरूरत है, देर से शादी करने वालों को और कम बच्चे पैदा करने वालों को उचित पुरस्कार देने की भी व्यवस्था की जा सकती है।

बंध्याकरण के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। गर्भ निरोध के सस्ते साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है, इत्यादि। कुल मिलकर कहें तो लोगों के मानसिकता में बदलाव लाने की सबसे ज्यादा जरूरत है। 

WHAT'S YOUR REACTION?

  • 1
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

COMMENTS

राष्ट्रीय

भारत में कोरोना महामारी कुछ दिनों की मेहमान

एस. के. राणा March 28 2022 26093

भारत में कोरोना संक्रमितों की घटती संख्या से लग रहा है कि कोरोना महामारी कुछ ही दिनों की मेहमान है।

स्वास्थ्य

जानिए, खाना खाने के बाद क्यों आती है नींद

admin August 29 2022 22242

दोपहर का खाना खाने के बाद कुछ लोग झपकी लेना पसंद करते हैं। पर कामकाजी लोगों के साथ ऐसा संभव नहीं हो

स्वास्थ्य

गिलोय के औषधीय गुण, फायदे और  नुकसान।   

लेख विभाग March 31 2021 65429

गिलोय के पत्ते स्वाद में कसैले, कड़वे और तीखे होते हैं। गिलोय का उपयोग कर वात-पित्त और कफ को ठीक किय

स्वास्थ्य

आर्थराइटिस: लक्षण, कारण, उपचार और दुष्प्रभाव

लेख विभाग October 13 2022 27596

किसी व्यक्ति को आर्थराइटिस है या नहीं, यह समझने के लिए लगातार जोड़ों का दर्द और जकड़न दो सबसे आम लक्

अंतर्राष्ट्रीय

अमेरिका की लैब में बना कोरोना का नया स्ट्रेन

हे.जा.स. October 22 2022 18656

रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस का ये वेरिएंट अत्यंत विनाशकारी है और इस वायरस की चपेट में आने पर 1

लेख

सहजता देती है मनुष्य को भावनात्मक, मानसिक, शारीरिक एवं और सामाजिक रोगों से मुक्ति

लेख विभाग April 07 2022 33037

व्यक्ति शारीरिक दृष्टि से ही रोगी नहीं होता, अपितु वह भावनात्मक, मानसिक एवं सामाजिक रोगी भी हो सकता

उत्तर प्रदेश

नगर पालिका परिसर में किया गया निःशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर का आयोजन

विशेष संवाददाता February 20 2023 31080

शिविर में डॉक्टर धनंजय वशिष्ठ और डॉ. अनुभव उपाध्याय सहित उनकी टीम ने 175 मरीजों की आंखों की जांच कर

सौंदर्य

लिक्विड लिपस्टिक लगाते वक्त इन जरूरी बातों का रखें ध्यान

आरती तिवारी August 20 2022 48996

ज्यादातर महिलाएं लिक्विड लिपस्टिक ही लगाना पसंद करती हैं। ये लिपस्टिक ज्यादा लॉन्ग टाइम तक टिकती है

स्वास्थ्य

शुगर को कंट्रोल करने के लिए खाएं अमरूद

श्वेता सिंह November 14 2022 22679

अमरूद में बहुत ज्यादा विटामिन-सी होता है। विटामिन-सी एक एंटीऑक्सीडेंट्स हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजब

सौंदर्य

चावल और मेथी के इस नुस्खे से डैंड्रफ से मिलेगी राहत

श्वेता सिंह November 03 2022 31217

मेथी के अंदर एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं जो रूसी से लड़ने में मददगार साबित हो सकते हैं। चावल और

Login Panel