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मुँहासों के उपचार के लिए ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने लॉन्च किया मिन्यम जेल

ग्लेनमार्क द्वारा वर्ष 2020 में भारत में मुँहासों की व्यापकता पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार 45 प्रतिशत रोगी पुरुष थे और 55 प्रतिशत महिलाएँ थीं; और लगभग 72 प्रतिशत रोगी किशोर समूह के थे, जबकि 27 प्रतिशत रोगी वयस्क समूह के थे।

हुज़ैफ़ा अबरार
July 15 2022 Updated: July 15 2022 10:48
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मुँहासों के उपचार के लिए ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने लॉन्च किया मिन्यम जेल मुहांसे का प्रतीकात्मक चित्र

मुंबई/लखनऊ। फार्मास्यूटिकल कंपनी, ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (ग्लेनमार्क) ने मिन्यम ब्रांड नेम के तहत मध्यम से गंभीर मुँहासों (Acne) के उपचार के लिए भारत का पहला टॉपिकल मिनोसाइक्लिन 4% जेल लॉन्च किया है। यह एक शक्तिशाली एंटीबैक्टीरियल जेल है, जो एक मजबूत एंटी-इंफ्लेमेटरी एक्शन लेता है। साथ ही यह उपलब्ध टॉपिकल एंटीबैक्टीरियल फॉर्म्युलेशन्स की तुलना में सबसे कम एमआईसी 90 (MIC) प्रदान करता है, जिस पर यह बैक्टीरिया के 90% आइसोलेट्स की विज़िबल ग्रोथ की रोकथाम करता है।

टॉपिकल एंटीबैक्टीरियल फॉर्म्युलेशन्स (Topical Anti Bacterial Formulation), मुँहासों के उपचार के लिए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के कुछ वर्ग हैं। जैसे कि पिछले 30 वर्षों में कोई नया टॉपिकल फॉर्म्युलेशन लॉन्च नहीं किया गया है, वर्तमान में उपलब्ध टॉपिकल एंटीबैक्टीरियल फॉर्म्युलेशन्स के प्रतिरोध में धीरे-धीरे वृद्धि देखने में आ रही है। मिन्यम जेल (टॉपिकल मिनोसाइक्लिन 4% जेल) को उपचार के दौरान मुँहासों से राहत दिलाने के लिए बनाया गया है और इसे 9 वर्ष से अधिक उम्र के रोगियों द्वारा सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सकता है।


लॉन्च पर बात करते हुए आलोक मलिक, ग्रुप वाइस प्रेसिडेंट और हेड, इंडिया फॉर्म्युलेशन्स- ग्लेनमार्क ने कहा, "ग्लेनमार्क भारत में डर्मेटोलॉजी सेगमेंट में अग्रणी है और हमेशा से ही मरीजों को नवीनतम उपचार विकल्पों तक पहुँच प्रदान करने में सबसे आगे रहा है। हमें भारत में पहले टॉपिकल मिनोसाइक्लिन-आधारित मिन्यम जेल की पेशकश करते हुए गर्व हो रहा है, जो कि मुँहासों से पीड़ित 9 वर्ष और उससे अधिक आयु के रोगियों के उपचार के विकल्प के रूप में अपने शक्तिशाली एंटी-बैक्टीरियल प्रभाव, एंटी-इंफ्लेमेटरी एक्शन और सबसे कम प्रतिरोध के लिए सिद्ध है।"


मुँहासे एक इंफ्लेमेटरी त्वचा रोग (skin disease) है, जो विश्व स्तर पर लाखों लोगों को प्रभावित करता है। इसमें पाइलोसेबेसियस यूनिट्स शामिल हैं और कॉमेडोन्स, पेपल्स और पस्ट्यूल्स के साथ प्रस्तुत है, जो कि कई जोखिम कारकों से प्रभावित होते हैं। मुँहासे आमतौर पर युवावस्था (youth) में शुरू होते हैं और कई किशोरों और युवा वयस्कों को प्रभावित करते हैं। ग्लेनमार्क द्वारा वर्ष 2020 में भारत में मुँहासों की व्यापकता पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार 45 प्रतिशत रोगी पुरुष थे और 55 प्रतिशत महिलाएँ थीं; और लगभग 72 प्रतिशत रोगी किशोर समूह के थे, जबकि 27 प्रतिशत रोगी वयस्क समूह के थे।

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