नयी दिल्ली। काला बाज़ारी के बाद अब कोरोनारोधी टीके नक्कालों के निशाने पर हैं। देश के कई जगहों से नकली टीके जब्त किये गएँ हैं। देश की जनता को इस समस्या से बचाने के लिए हाल ही में केंद्र सरकार ने राज्यों को ऐसे कई मानक बताएं हैं, जिनके आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि आपको दी जा रही वैक्सीन असली है या फिर नकली।
केंद्र सरकार ने इस संबंध में सभी राज्यों को शनिवार को पत्र लिखा है। जानकारी के मुताबिक, इस चिट्ठी में राज्यों को कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पूतनिक-वी टीकों से जुड़ी हर जानकारी बताई है ताकि यह पता लगाया जाए कि ये टीके नकली तो नहीं हैं। फिलहाल देश में इन्हीं तीन टीकों से टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है।
कैसे करें वैक्सीन की असली पहचान
केंद्र ने राज्यों को एक असली वैक्सीन की पहचान के लिए सभी जरूरी जानकारी दी है, जिसे देखकर पहचान की जा सकती है कि वैक्सीन असली है या नकली। इसमें अंतर पहचानने के लिए कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक-वी तीनों वैक्सीन पर लेबल, उसके कलर, ब्रांड का नाम क्या होता है, इन सब की जानकारी साझा की गई है।
कोविशील्ड
इस टीके पर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी SII का प्रोडक्ट लेबल लगा है।। लेबल का रंग गहरे हरे रंग में होगा। ब्रांड का नाम ट्रेड मार्क के साथ (COVISHIELD) लिखा है। जेनेरिक नाम का टेक्स्ट फॉन्ट बोल्ड अक्षरों में नहीं होगा। इसके ऊपर CGS NOT FOR SALE ओवरप्रिंट होगा।
कोवैक्सीन
लेबल पर इनविजिबल यानी अदृश्य UV हेलिक्स, जिसे सिर्फ यूवी लाइट में ही देखा जा सकता है। लेबल क्लेम डॉट्स के बीच छोटे अक्षरों में छिपा टेक्स्ट, जिसमें COVAXIN लिखा है।को वैक्सिन में ‘X’ का दो रंगों में होना, इसे ग्रीन फॉयल इफेक्ट कहा जाता है।
स्पूतनिक-वी
स्पूतनिक-वी वैक्सीन रूस की दो अलग प्लांटों से आयात की गई है, इसलिए इन दोनों के लेबल भी कुछ अलग-अलग हैं। हालांकि, सभी जानकारी और डिजाइन एक सा ही है, बस मैन्युफेक्चरर का नाम अलग है। अभी तक जितनी भी वैक्सीन आयात की गई हैं, उनमें से सिर्फ 5 एमपूल के पैकेट पर ही इंग्लिश में लेबल लिखा है। इसके अलावा बाकी पैकेटों में यह रूसी में लिखा है। रूसी की स्पुतनिक वी वैक्सीन 94 फीसदी तक कारगर है। इस वैक्सीन को भारत के साथ-साथ 60 से अधिक देशों में मंज़ूरी दी हुई है। कोवैक्सीन टीका 81 फ़ीसद तक प्रभावी है। कोवैक्सीन के टीके 123 देशों में भेजे जाते है।
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