नयी दिल्ली। दुनियाभर में कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट का कहर बढ़ता जा रहा है। भारत में भी इस वैरिएंट से जुड़े मामले 200 के पार जा चुके हैं। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने वैक्सीन के असर को लेकर भरोसा जताया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया कि अब तक इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ मौजूदा वैक्सीन बेअसर हैं।
मंडाविया ने कहा, "यह जरूर सामने आया है कि कोरोना के स्पाइक जीन में हुए म्यूटेशन की वजह से वैक्सीन की प्रभावशीलता में थोड़ी कमी आ जाएगी। लेकिन इस बारे में भी या तो अभी काफी सीमित डेटा मौजूद है या फिर जो भी स्टडी हुई हैं, उनकी ठीक तरह से समीक्षा नहीं हुई है।"
दरअसल, स्वास्थ्य मंत्री से पूछा गया था कि क्या देश में जो टीकाकरण किया जा रहा है, वह ओमिक्रॉन के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में प्रभावी हैं। इसी को लेकर राज्यसभा में मंडाविया ने अपने लिखित जवाब में कहा, "वैक्सीन द्वारा मिलने वाली सुरक्षा के लिए एंटीबॉडीज के साथ कोशिकाओं से मिलने वाली इम्युनिटी भी जिम्मेदार होती है। इसलिए वैक्सीन्स को घातक बीमारी के खिलाफ सुरक्षा देने में अभी भी प्रभावी कहा जा रहा है। ऐसे में देश में मौजूद टीकों से सभी का वैक्सिनेशन हमारी प्राथमिकता है।"
अलग-अलग देशों में ओमिक्रॉन के मामलों में हुई बढ़ोतरी की खबरों के बीच मंडाविया ने सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मौजूदा खतरे को देखते हुए यात्रा संबंधी दिशा-निर्देशों की समीक्षा की गई और 28 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के आगमन के बारे में नए नियम जारी किए गए हैं। इन दिशा-निर्देशों के मुताबिक, कोविड महामारी और ओमिक्रॉन के मामलों के आधार पर देशों को फिर से जोखिम वाले देशों के वर्ग में रखना शुरू कर दिया गया है। इस लिस्ट को समय-समय पर अपडेट भी किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि जोखिम वाली श्रेणी में शामिल दूसरे देशों से आने वाले यात्रियों को एयरपोर्ट पर आरटी-पीसीआर के जरिए कोविड जांच करानी होती है। इसके बाद उन्हें सात दिन के लिए घर पर अनिवार्य रूप से आइसोलेशन में रहने के निर्देश दिए जाते हैं। आठ दिन बाद यात्री को फिर से आरटी-पीसीआर जांच करानी होती है।
इसके अलावा गैर जोखिम वाली श्रेणी के देशों से आने वाले यात्रियों में से, दो फीसदी यात्रियों की कोविड जांच की जाती है। मांडविया ने बताया कि संक्रमित पाए गए लोगों के नमूने जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे जाते हैं। उन्होंने बताया कि राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को भी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों पर नजर रखने सहित विभिन्न निर्देश दिए गए हैं ताकि ओमिक्रॉन स्वरूप से संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
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