डॉ. जितिन यादव,
कंसलटेंट - सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट,
रीजेंसी अस्पताल, कानपुर
भारत में मुंह के कैंसर की मुख्य वजह गुटखा का सेवन है। गुटखे में तंबाकू के साथ सुपारी, बुझा हुआ चूना, पैराफिन और कटेचू मिला होता है। अकाल मृत्यु भी कुछ हद तक इसी कारण से होती है। पिछले ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2010 की रिपोर्ट के अनुसार, 60% भारतीय तंबाकू का इस्तेमाल करने वाले लोग बगैर धुएं वाले तंबाकू का सेवन करते हैं जैसे कि खैनी और गुटखा आदि।
भारत के अधिकांश क्षेत्रों में गुटखा का सेवन लोग माउथ फ्रेशनर के रूप में करते है लेकिन धीरे-धीरे वे इसके आदी हो जाते हैं। गुटखे के खाने वालों को फिर लगने लगता है कि उससे उत्तेजक और आराम देने वाला प्रभाव मिलता हैं। गुटखे का सेवन करने वाले बहुत लोगों का मानना है कि गुटखा हानिकारक नहीं होता है लेकिन डॉक्टरों, विशेष रूप से ऑन्कोलॉजिस्ट का कहना है कि गुटखा का सेवन तंबाकू के किसी भी अन्य रूप की तुलना में ज्यादा हानिकारक होता है। अगर तंबाकू की वर्तमान खपत दर जारी रहती है, तो यह अनुमान लगाया गया है कि 21वीं सदी के मध्य तक वैश्विक स्तर पर एक अरब अकाल मृत्यु गुटखे जैसे तम्बाकू उत्पादों की वजह से हो सकती है। तंबाकू का सीधा संबंध किसी देश के सामान्य स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था से होता है।
गुटखा ने पारंपरिक समाज में धूम्रपान और माउथ फ्रेशनर के वैकल्पिक स्रोत के रूप में पैठ बना ली है। गुटखा के आदी हो चुके लोगों को लगता है कि यह अन्य धूम्रपान उत्पादों की तुलना में कम हानिकारक होता है। यह एक बड़ी समस्या है। संभवतः इसी कारण यहां पर गुटखा के सेवन में वृद्धि हुई है। हमारी मशहूर हस्तियों द्वारा विज्ञापन किए जाने, सुविधाजनक पैक्ड पाउच, जो लगभग सभी दुकानों में विभिन्न ब्रांड नामों में उपलब्ध हैं, और गुटखा की सस्ती कीमत गुटखे के सेवन को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाई है।
गुटखा का सेवन तंबाकू के किसी भी अन्य रूप की तुलना में ज्यादा हानिकारक होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब कोई व्यक्ति गुटखा चबाता है, तो मिश्रण सीधे मौखिक गुहा के माध्यम से सिस्टम में प्रवेश करता है। धूम्रपान के मामले में 20 प्रतिशत हानिकारक रसायन फेफड़ों में पहुंच पाते हैं और 80 प्रतिशत बाहर निकल जाते हैं।
गुटखे में 4,000 से अधिक कार्सिनोजेनिक रसायन पाए गए हैं। इसमें क्लोरीन और अमोनियम यौगिकों से जुड़े रसायनों के अलावा नाइटोरसामाइन, आर्सेनिक, बेंजोपायरिन, कई कीटनाशकों के यौगिक होते हैं। गुटखे में कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन भी होते हैं। गुटखा बीड़ी से भी ज्यादा खतरनाक होता है। यह मौखिक गुहा के कुछ हिस्सों जैसे गाल, होंठ, जीभ, कठोर तालू, मुंह के तल और नरम तालू में नॉन-मेडिकल अल्सरेटिव घाव पैदा कर सकता है। यह भोजन नली, वॉयस बॉक्स और किडनी को भी प्रभावित कर सकता है।
शैक्षिक संस्थानों के आसपास रणनीति के तहत गुटखे की व्यापक मार्केटिंग की वजह से युवाओं में गुटखा खाने की लत बढ़ी है। सुगंधित मीठा स्वाद, आसान उपलब्धता, कम कीमत और तत्काल प्रोत्साहन के कारण लोग गुटखा का सेवन बचपन से ही करने लगते है। गुटखा की खरीद और भंडारण में आसानी, और सामाजिक कलंक की कमी के कारण भी लोग पान या धूम्रपान करने की बजाय गुटखा खाने में दिलचस्पी रखते हैं। बहुत से लोग गुटखा का उपयोग निकोटीन के साइकोएक्टिव प्रभावों को प्राप्त करने के लिए करते हैं।
यह बताया गया है कि गुटखे का सेवन करने वाले सभी लोगों ने सोचा कि गुटखे के सेवन से उनकी सेहत को बढ़ावा मिल सकता है, चिंता और भूख को कम कर सकता है (खासकर टैक्सी ड्राइवरों में), उत्तेजना या आराम पैदा कर सकता है, तनाव दूर कर सकता है, ध्यान लगाने में मदद कर सकता है, सांसों की दुर्गंध को दूर कर सकता है, और इसे फुरसत के समय में काम के रूप में चबाया जा सकता है। कुछ शोधकर्ताओं ने पाया कि गुटखा चबाने की आदत को छोड़ना बहुत मुश्किल होता है।
गुटखा खाने वाले लोगों में आमतौर पर ब्रोन्कियल अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट की बीमारी और स्ट्रोक जैसी नॉन-कैंसर वाली बीमारियां होती हैं। रक्त वाहिकाओं के सिकुड़ने से गैंगरीन हो सकता है, वहीं गंभीर केसेस में रक्त की आपूर्ति रुकने से स्ट्रोक हो सकता है। महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान गुटखा के सेवन से जन्म के समय कम वजन के बच्चे पैदा हो सकते हैं। कुल मिलाकर गुटखे से लोगों में मुंह, गले, फेफड़े, हार्ट की बीमारी और अन्नप्रणाली का कैंसर हो सकता हैं। अधिकांश युवा गुटखे के आसानी से आदी हो जाते हैं, महिलाओं को तंबाकू चबाने या यहां तक कि सूंघने की आदत होती है, जोकि और भी हानिकारक आदत होती है।
इन नुकसानदायक प्रभावों के अलावा गुटखा खाने से भूख की कमी, सोने के समय में अनियमितता और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी हो सकती है।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 62814
सौंदर्या राय March 09 2023 0 72869
सौंदर्या राय March 03 2023 0 71001
admin January 04 2023 0 69942
सौंदर्या राय December 27 2022 0 57993
सौंदर्या राय December 08 2022 0 48895
आयशा खातून December 05 2022 0 103008
लेख विभाग November 15 2022 0 72373
श्वेता सिंह November 10 2022 0 77313
श्वेता सिंह November 07 2022 0 69254
लेख विभाग October 23 2022 0 56477
लेख विभाग October 24 2022 0 54920
लेख विभाग October 22 2022 0 63750
श्वेता सिंह October 15 2022 0 68472
श्वेता सिंह October 16 2022 0 67475
COMMENTS