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चश्मे में पॉवर, ग्लासेस, लेन्सेस और फ्रेम की क्या होती है अहमियत, जानिये ऑप्ट्रोमैटिस्ट से

पॉवर डिसाइड हो जाने के बाद ग्लास का क्या रोल होता है क्योंकि ग्लासेस की कीमतों में काफी अंतर होता है। ग्लास के बाद चश्मे के फ्रेम का नम्बर आता है। फ्रेम के डिजाइन के साथ ही लेंस की आँखों से दूरी घटती-बढ़ती है। इसका आँखों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

रंजीव ठाकुर
August 23 2022 Updated: August 23 2022 16:53
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चश्मे में पॉवर, ग्लासेस, लेन्सेस और फ्रेम की क्या होती है अहमियत,  जानिये ऑप्ट्रोमैटिस्ट से

लखनऊ नज़र का चश्मा बनवाते समय कई सवाल मन में आते हैं। जैसे पॉवर डिसाइड हो जाने के बाद ग्लास का क्या रोल होता है क्योंकि ग्लासेस की कीमतों में काफी अंतर होता है। ग्लास के बाद चश्मे के फ्रेम का नम्बर आता है। फ्रेम के  डिजाइन के साथ ही लेंस की आँखों से दूरी घटती-बढ़ती है। इसका आँखों पर क्या प्रभाव पड़ता है। ऐसे ही महत्वपूर्ण सवालों के जवाब दिए राजधानी में आशियाना स्थित टाइटन वर्ल्ड एन्ड आई प्लस स्टोर के ऑप्ट्रोमैटिस्ट अज़हर खान ने। 

टाइटन वर्ल्ड एन्ड आई प्लस स्टोर (Titan World & Eye Plus store) के ऑप्ट्रोमैटिस्ट (optromatists) मशहूर शंकर नेत्रालय (Shankar Netralaya) से ट्रेनिंग ले कर आते हैं। 

हेल्थ जागरण - पॉवर डिसाइड हो जाने के बाद ग्लास का क्या रोल होता है? ग्लासेस के रिफ्लेक्टिव इंडेस्क (reflective index) में क्या अंतर होता है? क्या इस अंतर से आँखे प्रभावित होती हैं?
ऑप्ट्रोमैटिस्ट अज़हर खान - किसी की ज्यादा पॉवर निकलती है, किसी को रीडिंग की जरूरत होती है। प्रोग्रेसिव, सिंगल विज़न और रीडिंग तीन तरह के ग्लासेस इस्तेमाल किए जाते हैं। कभी बाइफोकल (bifocals) भी निकल कर आता हैं। ग्लासेस और लेन्सेस (Glasses and lenses) उम्र पर भी निर्भर करते हैं। यहाँ एक मल्टी टास्किंग लेंस भी मिलता है जो हर एक में काम आता है। नीड़ के हिसाब से ग्लासेस और लेन्सेस सजेस्ट किए जाते है। इसके बाद कस्टमर जो चाहे सलेक्ट कर सकता है।   

 

हेल्थ जागरण - चश्मे (spectacle) में फ्रेम (eye glasses frame) का कितना रोल रहता है? फ्रेम के डिजाइन के साथ ही लेंस की आँखों से दूरी घटती-बढ़ती है। इसका आँखों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
ऑप्ट्रोमैटिस्ट अज़हर खान - यहाँ ट्रबल शूट तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है जिससे ऐसी दिक्कत नहीं आती है। हम फेस के हिसाब से फ्रेम सजेस्ट करते है। फ्रेम सजेस्ट करने के लिए डॉक्टर, ऑप्ट्रोमैटिस्ट और टेक्नीशियन तीनों एक राय बनाते है तब उसी प्रकार के फ्रेमस सजेस्ट करते है। इस के लिए हमें ट्रेनिंग दी जाती है। हम फ्रेम के हिसाब से लेंस का कस्टमाइजेशन भी कर सकते  है। 

 

हेल्थ जागरण - आज कल किस उम्र के लोग आई टेस्ट (eye test) करवाने के लिए रहे हैं?

ऑप्ट्रोमैटिस्ट अज़हर खान - आज कल चश्मा फैशन में गया है। वैसे तो सभी उम्र के लोग आते हैं लेकिन स्टूडेंट्स की संख्या ज्यादा है। हमारे पास आनलाइन क्लासेस के लिए स्पेशल ग्लास और लेंस भी है। आई प्लस स्टोर में क्लियर लेन्सेस भी आते हैं।

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