वर्ल्ड एपिलेप्सी डे के ठीक पहले मेदांता हॉस्पिटल लखनऊ के डॉक्टरों की टीम ने एक 19 वर्षीया किशोरी को मिर्गी के दौरों से निजात दिलाई। इस अवसर पर हेल्थ जागरण ने मिर्गी से पीड़ित किशोरी का सफल ऑपरेशन करने वाले मेदांता अस्पताल के डॉक्टर रवि शंकर जो इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूरो साइंसेज में एसोसिएट डायरेक्टर हैं, उनसे, मरीज़ युवती से और युवती के पिता से बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत का अंश।
हुज़ैफ़ा अबरार- ऑपरेशन के बाद आपको कैसा लग रहा है? कोई परेशानी तो नहीं है ?
मरीज़ युवती- नहीं।
हुज़ैफ़ा अबरार- डॉक्टर साहब ने आपको नया जीवन दिया है। आप उनका धन्यवाद नहीं देंगीं!
डॉ रवि शंकर- मैं इनका थैंक यू बोलता हूँ क्योंकि इसने हिम्मत करके ऑपरेशन कराया है। नहीं तो धारणा यह है कि मिर्गी का इलाज नहीं हो सकता है, हम झाड़ फूँक कराएँगे। गाँव से आकर इतना समझदार होना और ऑपरेशन के लिए हिम्मत जुटाना, इसके लिए ये तारीफ के काबिल हैं।
हुज़ैफ़ा अबरार- आपको मेदांता हॉस्पिटल में किसने भेजा था ?
युवती के पिता- गोरखपुर के एक संभ्रांत व्यक्ति के वहां पर मैंने डॉक्टर ठक्कर का नाम सुना था। उन लोगों ने बताया कि वही तुम्हारी बेटी को ठीक कर सकतें है। मैं उनसे लोहिया अस्पताल में मिला। वहां जांच हुई फिर मेदांता में आये।
रंजीव ठाकुर- आप पूरी तरीके से संतुष्ट हैं ?
युवती के पिता- हाँ, मैं पूरी तरह से संतुष्ट हूँ।
रंजीव ठाकुर- क्या ऑपरेशन के बाद से बिटिया पूरी तरह ठीक हैं?
युवती के पिता- हाँ, पूरी तरह से ठीक है।
डॉ रवि शंकर- मरीज़ को मिर्गी थी। तीन चार दवाईयों से कण्ट्रोल नहीं हो रहा था। जब स्कैन कराया गया तब पता चला कि दिमाग के एक हिस्से में कड़ापन आ गया था। यह निश्चित हो जाने पर ऑपरेशन का निर्णय लिया गया और दिमाग के उस हिस्से को निकाल दिया गया जिसके कारण मिर्गी के दौरे पड़ते थें।
डॉ रवि शंकर- मिर्गी के बारे में भारत सहित दुनिया में एक अलग सी अवधारणा है। इस अवधारणा को ख़तम करने के लिए और जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल फरवरी के दूसरे सोमवार को वर्ल्ड एपिलेप्सी डे मनाया जाता है। मिर्गी के दस प्रतिशत मरीज़ ऐसे होतें हैं जिनका इलाज दवाईयों से सम्भव नहीं हो पाता है। ऐसे मरीज़ों का ऑपरेशन करके मिर्गी के दौरों से निजात दिलाया जाता है। ये मरीज़ उसी दस प्रतिशत मरीज़ों में से थी।
रंजीव ठाकुर- कितना खर्चा आता है ?
डॉ रवि शंकर- सभी प्रकार की प्रक्रिया को जोड़कर लगभग दो लाख रुपये का खर्चा आता है। इतना ही खर्चा सरकारी अस्पतालों में भी आ जाता है। मिर्गी के बारे में मिथक और भ्रांतियां इतना ज़्यादा हैं कि जब तक जनता को शिक्षित नहीं किया जाएगा, तब तक इस बीमारी का सही इलाज पाना बहुत मुश्किल है ।
एस. के. राणा March 06 2025 0 48729
एस. के. राणा March 07 2025 0 48729
एस. के. राणा March 08 2025 0 46953
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 40404
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 32745
हुज़ैफ़ा अबरार March 21 2025 0 31968
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 30969
सौंदर्या राय May 06 2023 0 84348
सौंदर्या राय March 09 2023 0 88853
सौंदर्या राय March 03 2023 0 89094
admin January 04 2023 0 89700
सौंदर्या राय December 27 2022 0 78750
सौंदर्या राय December 08 2022 0 68098
आयशा खातून December 05 2022 0 122211
लेख विभाग November 15 2022 0 92131
श्वेता सिंह November 10 2022 0 111834
श्वेता सिंह November 07 2022 0 90455
लेख विभाग October 23 2022 0 75680
लेख विभाग October 24 2022 0 77675
लेख विभाग October 22 2022 0 84729
श्वेता सिंह October 15 2022 0 90672
श्वेता सिंह October 16 2022 0 85013
स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने मंगलवार को संसद में कहा था कि जनवरी से 16 जुलाई तक भारत
यूं तो हम में से ज्यादातर लोग दूध और चीनी से तैयार की गई चाय के शौकीन होते है। लेकिन ज्यादातर हेल्थ
टीका विनिर्माता भारत बायोटेक ने कहा कि उसकी कोवैक्सीन का परीक्षण अमेरिका में कोविड-19 वैक्सीन के लिए
इसी कड़ी में मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने निवास पर स्वास्थ्य सेवाओं और योजनाओं का फीडबैक लिया। इसके लिए
यूपी के कई जिलों के सभी ग्रामीण व नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर रविवार को मुख्यमंत्री आरोग्य
"प्रभावी संचार" रोगी की अच्छी देखभाल के मूल में निहित है। नैदानिक देखभाल के उच्च मानकों को बनाए रखने
एलर्जी किसी व्यक्ति को तब होती है जब उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली को यह विश्वास हो जाता है कि उसने जो चीज
जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य सेवाओं को परखने के लिए औचक निरीक्षण किया जिसमें जमीनी स्तर पर बड़ी लापरवाही औ
जम्मू शहर के प्रमुख अस्पतालों में डेंगू के संदिग्ध मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। कई वार्ड
फेफड़े के संक्रमण की वजह से तो निमोनिया हो ही सकती है, कुछ अन्य कारण भी हैं जिनसे यह हो सकती है, जैस
COMMENTS