नई दिल्ली। कोरोना की भयावह दूसरी लहर के बीच लोग जल्द से जल्द टीका लगवा लेना चाहते हैं। लेकिन, टीके का उत्पादन कम है। देश में निर्मित दो टीके अभी लगाए जा रहे हैं, जबकि आयातित स्पूतनिक वी टीके को भी जल्द कार्यक्रम में शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने टीकाकरण के लिए मिशन कोविड सुरक्षा शुरू किया है, जिसकी जिम्मेदारी संभाल रही हैं जैव प्रौद्यौगिकी विभाग की सचिव डॉ. रेनु स्वरूप ने एक साक्षात्कार में टीकों की उपलब्धता बढ़ाने और नए टीकों को लेकर कई जानकारियां साझा कीं।
प्रश्न- टीके का उत्पादन बढ़ाने के लिए और कंपनियों को मौका क्यों नहीं दिया जा रहा?
उत्तर- कोवैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के क्षमतावान टीका निर्माताओं की पहचान की गई है। अब भारत बायोटैक की तकनीक इन निर्माताओं को हस्तांतरित करने को लेकर बातचीत की प्रक्रिया चल रही है। जल्दी ही योग्य निर्माताओं को तकनीक दी जाएगी।
प्रश्न- क्या स्पूतनिक वी टीके को मंजूरी दी गई है? देश में इसका उत्पादन कब शुरू होगा?
उत्तर- देश में स्पूतनिक वी टीका पहुंचना शुरू हो चुका है। एक खेप आ चुकी है। जल्द ही इसे भी टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल कर किया जाएगा। इस महीने के अंत तक 30 लाख और स्पूतनिक टीके की खुराक भारत पहुंचेंगी।
साथ ही देश में इस टीके का उत्पादन शुरू करने के लिए रेड्डी लेबोरेटरी के अलावा पांच अन्य कंपनियों के साथ बातचीत चल रही है। इनमें हेटेरो बॉयोफॉर्मा, विरचोव बॉयोटैक, स्टेलिस बॉयोफॉर्मा, ग्लैंड बॉयोफॉर्मा तथा पैनाशिया बॉयोटैक शामिल हैं। हमारी कोशिश है कि जुलाई से देश में निर्मित स्पूतनिक वी वैक्सीन मिलनी शुरू हो जाएगी।
प्रश्न- अन्य टीकों की क्या स्थिति है?
उत्तर- तीन टीकों को आपात स्थिति की मंजूरी मिल चुकी है। पांच टीके क्लीनिकल ट्रायल के विभिन्न स्टेज में हैं। इनमें से जायडस कैडिला की डीएनए वैक्सीन और बॉयोलॉजिकल ई की रिकांबिनेंट वैक्सीन तीसरे चरण के परीक्षण से गुजर रही है। जिनोवा बॉयोफॉर्मास्युटिक्लस की एमआरएनए वैक्सीन तथा भारत बायोटैक की नेजल वैक्सीन पहले चरण के क्लीनिकल ट्रायल में हैं। इसके अलावा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने नोवावैक्स द्वारा विकसित रिकांबिनेंट नेनोपार्टिकल वैक्सीन के तीसरे चरण के ब्रीजिंग क्लीनिकल ट्रायल आरंभ कर दिए हैं। उम्मीद है कि ये टीके भी जल्द उपलब्ध होंगे।
प्रश्न- कोरोना के नए वैरिएंट के मद्देनजर क्या कोविशील्ड और कोवैक्सीन को अपग्रेड करने की कोई योजना है ?
उत्तर- जो नए वैरिएंट सक्रिए पाए गए हैं, उनकी नियमित रूप से जीनोम सिक्वेंसिंग की जा रही है। इंडियन सार्स कोव-2 जीनोमिक कंसोर्टियम के तहत डीबीटी-आईएलएस, डीबीटी-आरसीबी, सीएसआईआर-सीसीएमबी प्रयोगशालाओं द्वारा यह कार्य किया जा रहा है। नए वैरिएंट पर टीके के असर को लेकर भी अध्ययन किए गए हैं तथा आरंभिक नतीजे बताते हैं कि दोनों टीके नए वैरिएंट के खिलाफ कारगर हैं। इस दिशा में अभी विस्तृत अध्ययन जारी हैं, जिससे यह पता चलेगा कि नए वैरिएंट के खिलाफ उनका कितना प्रभाव है।
प्रश्न- डब्ल्यूटीओ के कोरोना टीकों से पेटेंट हटाने की संभावना है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हैं कि कंपनियां तकनीक हस्तांतरित करने को तैयार होंगी या नहीं। ऐसी स्थिति में क्या हमारी कंपनियां एमआरएनए जैसे टीकों को नए सिरे से तैयार करने में सक्षम हो पाएंगी ?
उत्तर- क्यों नहीं, जिनोवा बॉयोफार्मा पहले से एमआरएनए वैक्सीन तैयार कर चुकी है। इसके परीक्षण चल रहे हैं। गैर मानवीय परीक्षणों में टीके से शानदार प्रतिरोधक क्षमता पैदा होती दिख रही है। इस टीके को 2-8 डिग्री तापमान पर स्टोर किया जा सकता है। इसके पहले चरण के परीक्षण चल रहे हैं, जो जून के मध्य तक पूरे हो जाएंगे। बाकी परीक्षण पूरे होने के बाद जिनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स सितंबर से एक करोड़ डोज प्रतिमाह तैयार करने की क्षमता विकसित कर चुकी है।
प्रश्न- बच्चों का टीका कब आएगा?
उत्तर- बच्चों का प्रतिरोधक तंत्र अलग तरीके से कार्य करता है तथा वयस्कों की तुलना में यह मजबूती के साथ प्रतिक्रिया देता है। इसलिए बच्चों के लिए टीके की खुराक का आकार अलग होता है। वैश्विक स्तर पर फाइजर और मॉर्डना ने अपने टीकों के 12-18 वर्ष और छह महीने से 11 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए परीक्षण आरंभ कर दिए हैं। इस सिलसिले में देश में भारत बॉयोटेक को कोवैक्सीन के बच्चों में क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति प्रदान कर दी है। यह परीक्षण 2-18 साल की आयु के बच्चों पर किए जाएंगे।
प्रश्न- कोरोना की दवाएं बनाने की दिशा में क्या प्रगति है?
उत्तर- जैव प्रौद्यौगिकी विभाग ने दवाएं बनाने की दिशा में भी कई पहल की हैं। औषधीय एवं सुगंधित पौधों से निर्मित एक दवा एक्यूसीएच के दूसरे चरण के मानवीय परीक्षण चल रहे हैं। इसी प्रकार ह्यूमन मोनोक्लोनल एंटीबाडीज आधारित एक दवा को लेकर अध्ययन किए जा रहे हैं। डीबीटी द्वारा समर्थित एक दवा वीराफिन को हाल में ही सीमित आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली है।
प्रश्न- नाक से लिया जाने वाला टीका कब आएगा?
उत्तर- यह टीका भारत बायोटैक ने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर तैयार किया है। यह एडिनोवायरस वैक्टर आधारित टीका है। यह नाक से दिया जाने वाला एकल खुराक वाला टीका है। प्री क्लीनिकल अध्ययन पूरे हो चुके हैं। मार्च में इसे पहले चरण के क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति दी गई थी। इन परीक्षणों के नतीजों के आधार पर अब दूसरे एवं तीसरे चरण के परीक्षणों की अनुमति दी जाएगी। संभावना है कि इस महीने के अंत या अगले महीने यह परीक्षण शुरू हो जाएंगे।
एस. के. राणा March 07 2025 0 20757
एस. के. राणा March 06 2025 0 20535
एस. के. राणा March 08 2025 0 19425
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 18315
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 14763
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 13209
सौंदर्या राय May 06 2023 0 80241
सौंदर्या राय March 09 2023 0 84968
सौंदर्या राय March 03 2023 0 83544
admin January 04 2023 0 85149
सौंदर्या राय December 27 2022 0 74421
सौंदर्या राय December 08 2022 0 64213
आयशा खातून December 05 2022 0 117660
लेख विभाग November 15 2022 0 87358
श्वेता सिंह November 10 2022 0 99846
श्वेता सिंह November 07 2022 0 85793
लेख विभाग October 23 2022 0 70685
लेख विभाग October 24 2022 0 72236
लेख विभाग October 22 2022 0 79512
श्वेता सिंह October 15 2022 0 85788
श्वेता सिंह October 16 2022 0 80462
बदलते मौसम में आप महीने में दो बार इस हेयर क्रीम को जरूर लगाएं। सबसे खास बात यह है कि आप इस नेचुरल ह
इस मौसम में तापमान 40 डिग्री से अधिक होता है तो एक्जर्शन और हीट स्ट्रोक ज्यातातर देखने में आता है। ज
हेली इमरजेंसी मेडिकल सर्विस टीम ने एम्स की व्यवस्थाओं के परखने के बाद हेली एंबुलेंस के संचालन के हरी
डॉक्टर की नृशंस हत्या के मद्देनजर, केरल सरकार ने बुधवार को डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों और मेडिकल छा
अरुणाचल प्रदेश में लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने के लिए एक नयी मुहीम शुरू की गई है जिसके त
एक दुकानदार ने बताया कि उनकी दुकान दादा परदारा के समय की है। इस कोरोनाकाल ने मौत का जो दौर दिखाया, व
भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ में मोदी-योगी सरकार सोवा रिग्पा का तोहफा देने जा रही है। 93 करोड़
जुलाई 2022 महीने के अंत तक स्वाइन फ्लू को 1,455 मामले सामने आ चुके है। स्वाइन फ्लू से जुड़े इन आंकड़
कोरोना महामारी में ड्यूटी करते हुए संक्रमित होकर जान गंवाने वाले डॉक्टर अमित गुप्ता के परिजनों से शन
सोशल मीडिया के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से होने वाले खतरों को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक आगाह कर रहे
COMMENTS