जिनेवा। दुनिया के देश पहले से अधिक संख्या में अपने देश को रेडॉन गैस से उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से बचा रहे हैं। यह बात डब्ल्यूएचओ के नए सर्वेक्षण में सामने आयी है। अभी भी बहुत से देशों को इस कैंसरकारक रेडियोधर्मी गैस के प्रभावों को कम करने के लिए कार्रवाई करने की आवश्यकता है। रेडॉन एक स्वाभाविक रूप से होने वाली रेडियोधर्मी गैस है जो मिट्टी, चट्टानों, निर्माण सामग्री आदि से निकलती है।
उक्त विषय पर डब्ल्यूएचओ द्वारा किये गए सर्वेक्षण का 56 सदस्य देशों ने जवाब दिया। 2019 में वैश्विक स्तर पर आवासीय रेडॉन एक्सपोज़र के कारण लगभग 84,000 लोगों की फेफड़ों के कैंसर से मौत हो गयी थी। कुछ देशों में यह फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण है।
रेडियोधर्मी गैस रेडॉन उन लोगों में भी फेफड़ों के कैंसर का एक महत्वपूर्ण कारण है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है। धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों को रेडॉन के संपर्क में आने से फेफड़ों के कैंसर होने का खतरा 25 गुना अधिक हो जाता है। वहीं धूम्रपान करने वालों के बीच भी रेडॉन फेफड़ों के कैंसर का एक कारक है।
यह इमारतों-घरों, स्कूलों और कार्यस्थलों में जमा हो सकता है-और पानी में पाया जा सकता है। अभी तक सर्वेक्षण किये गए देशों में से केवल 12 प्रतिशत ने ही भवन निर्माण पेशेवरों को रेडॉन शिक्षा प्रदान की है, 15 प्रतिशत ने मौजूदा इमारतों को ठीक करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है, और किसी भी देश ने संपत्ति लेनदेन में अनिवार्य रेडॉन माप शामिल नहीं किया है।
एक उच्च स्तरीय शोध में यह नतीज़ा सामने आया है कि लखनऊ और कानपुर की आबादी के घर के अंदर रेडॉन एक्सपोज़र से होने वाले फेफड़ों के कैंसर का जोखिम लगभग 0.26% और 0.34% हैं।
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