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आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की इजाजत देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब।

IMA का कहना है कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को पाठ्यक्रम में एलोपैथी को शामिल करने का अधिकार नहीं है। उसकी अधिसूचना के तहत आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी करने की इजाजत मिली थी।

हे.जा.स.
March 16 2021
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आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की इजाजत देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब। उच्चतम न्यायालय, नयी दिल्ली।

नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर आयुर्वेद से स्नातकोत्तर करने वाले डॉक्टरों को सर्जरी करने की इजाजत देने वाले आदेश के खिलाफ जवाब मांगा है।  उक्त याचिका इण्डियन मेडिकल एसोसिएशनने दाखिल किया था। 

विदित है कि भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (Central Council of Indian Medicine, CCIM) ने पिछले वर्ष आयुर्वेद से मास्‍टर डिग्री लेने वाले डॉक्टरों को सर्जरी करने की इजाजत दी थी। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association, IMA) ने भारतीय चिकित्सा परिषद के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

मुख्‍य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने आयुष मंत्रालय, सीसीआईएम (CCIM) और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association, IMA) का कहना है कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) को पाठ्यक्रम में एलोपैथी को शामिल करने का अधिकार नहीं है। भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (Central Council of Indian Medicine, CCIM) की अधिसूचना के तहत, भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (आयुर्वेद शिक्षा स्नात्कोत्तर) नियम 2016 में संशोधन किया गया है। इसमें 39 सामान्य सर्जरियों और आंख, कान, नाक, गले से जुड़ी 19 सर्जरियों को शामिल किया गया है।

इसी मुद्दे के लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने विगत महीने पूरे देश में धरना-प्रदर्शन एवं सांकेतिक भूख हड़ताल किया था और सरकार से  मिक्सोपैथी का अध्यादेश वापस लेने की मांग किया था।

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