गोरखपुर। बदल रहे मौसम में बच्चे निमोनिया के साथ डायरिया का शिकार हो रहे हैं। इसकी वजह से बच्चों की बीमारी की गंभीरता बढ़ती जा रही है। गोरखपुर के जिला अस्पताल के बाल रोग विभाग (Department of Pediatrics) में इन दिनों 50 फीसदी से अधिक बच्चे सिर्फ निमोनिया (pneumonia) का शिकार हैं।
जिला चिकित्सालय (District hospital) की ओपीडी (OPD) से लेकर यहां भर्ती होने वाले बच्चों की संख्या भी काफी तेजी से बढ़ी है। जिला अस्पताल के साथ ही बीआडी मेडिकल कॉलेज (BRD Medical College) एम्स (AIIMS) और निजी अस्पतालों (private hospitals) में भी बाल रोग विशेषज्ञों (pediatricians) के पास निमोनिया पीड़ित बच्चों की लंबी कतार लग रही है। ज्यादातर बच्चों में तेज बुखार (high fever), खांसी, सीने में जकड़न, सांस फूलने और पसलियों के चलने के लक्षण सामने आ रहे हैं। कुछ बच्चों को उल्टी-दस्त (vomiting diarrhea) भी हो रहा है।
गोरखपुर जिला अस्पताल (Gorakhpur District Hospital) के SIC डॉ. राजेंद्र ठाकुर ने बताया, तापमान में बदलाव की वजह से इन दिनों निमोनिया की शिकायत बढ़ी है। इसका ज्यादा असर छोटे बच्चों पर पड़ता है। जिला असपताल में इसे लेकर पर्याप्त व्यवस्था की गई है।
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कहते हैं कि अगर लाइफ में अच्छी आदतों को अपना लिया जाए, तो जिंदगी की आधी मुश्किलें तो वैसे ही आसान हो
जीवाणु संक्रमण के कारण होने वाला निमोनिया उपयुक्त एंटीबायोटिक दवाओं के साथ 1 से 2 सप्ताह तक रह सकता
कंपनी ने कहा कि चौथी तिमाही में शुद्ध आय एक साल पहले की समान तिमाही में 313 मिलियन डॉलर से बढ़कर 1.0
कैंसर पीड़ित आनरेरी लेफ्टिनेंट के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि सेना कोर्ट लखनऊ ने किडनी के
सरकार ने MBBS की सालाना फीस में 40 हजार से 1 लाख रुपये तक बढ़ा दिए हैं। खराब आर्थिक स्थिति के कारण ब
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द विंसी सर्जिकल सिस्टम (डीवीएसएस) के साथ मिनिमली इनवेसिव सर्जरी का विकास हुआ। यह एक आधुनिक टेक्नोलॉज
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