लखनऊ। फतेहपुर निवासी 65 वर्षीय महिला को सिर दर्द रहता था और बांयी आंख से दिखाई देना धीरे धीरे कम हो रहा था। महिला ने आंखो के डॉक्टर को दिखाया लेकिन कोई फर्क नही हुआ। इसके बाद न्यूरो चेकअप करवाया तो मस्तिष्क में ट्यूमर बताया गया। महिला कई अस्पतालों में भटकने के बाद राजधानी के लालबाग स्थित निशात अस्पताल पहुंची जहां ईएनटी सर्जन डॉ देवेश श्रीवास्तव ने उनकी सफल सर्जरी की।
पिट्यूटरी ग्लैंड ट्यूमर (pituitary gland tumor) से पीड़ित किशोरी देवी की निशात अस्पताल (Nishat Hospital) में डॉक्टर देवेश श्रीवास्तव ने सफल सर्जरी कर उपचार किया। रविवार को ऑपरेशन के सातवें दिन उन्हें डिस्चार्ज कर दिया। मरीज को अब बांयी आंख से पूरी तरह दिखाई दे रहा है, चक्कर (dizziness) नहीं आ रहा है और सिर दर्द (headache) भी नहीं रहा है।
हेल्थ जागरण (health jagaran) से खास बातचीत करते हुए ईएनटी सर्जन (ENT Surgeon) डॉ देवेश श्रीवास्तव (Dr Devesh Srivastava) ने बताया कि महिला पिट्यूटरी मैक्रो एडेनोमा (Pituitary Macro Adenoma) (Supracellar) से पीड़ित थी जिसे स्नोमैन ट्यूमर (Snowman Tumor) के नाम से भी जाना जाता है।
1 अगस्त को डॉ देवेश श्रीवास्तव ने न्यूरो सर्जन (Neuro Surgeon) डॉ अतुल रस्तोगी तथा एनेस्थेटिस्ट (Anesthetist) डॉ मनु सेठ की टीम के साथ उसका ऑपरेशन किया। यह सर्जरी एंडोस्कोपिक (endoscopic surgery) थी जिसमें किसी तरह की चीरफाड़ नहीं की गई। सफल सर्जरी के बाद महिला पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
डॉ देवेश श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसे मरीज पहले आँख के डॉक्टर के पास जाते है फिर न्यूरोलॉजी में दिखते है जहां ट्यूमर निकलने के लिए चीरफाड़ की जाती है। ऐसे मरीज सीधे निशात अस्पताल आए जहां नाक के माध्यम ने एंडोस्कोपिक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है। इस इलाज के लिए पहले मरीज दक्षिण भारत जाते थे अब उत्तर भारत में यह सुविधा यहाँ मौजूद है।
आम आदमी के लिए जानकारी देते हुए डॉ देवेश श्रीवास्तव ने बताया कि जब सिर दर्द लगातार बना रहे, हार्मोनल चेंजेज (hormonal changes) हो और आँख से कम दिखने लगे तथा आँख के डॉक्टर को दिखाने के बाद भी असर ना हो रहा हो तो एमआरआई या सीटी स्कैन (MRI or CT scan) करवा कर इस बीमारी का पता करते है फिर स्थिति के अनुसार ऑपरेशन किया जाता है।
ये ट्यूमर (tumors) दो तरह के होतें हैं। पहला जो दवाओं से ठीक हो जाते है और दूसरे के लिए सर्जरी की जाती है। इस मरीज को 15 दिनों बाद फिर एमआरआई करवा कर देखेंगे। इसके बाद तीन-तीन महीनों पर चेकअप किया जायगा। अधिकतर ऐसे मरीजों को दुबारा यह परेशानी नहीं होती है।
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