लखनऊ। एलोपैथिक मेडिकल कॉलेजों की तर्ज पर आयुष में भी शोध को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए प्रदेश के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों को हर माह शोध परियोजना तैयार करनी होंगी। एमडी कोर्स पूरा करने वाले विद्यार्थियों को परियोजना से रोजगार मिलेगा।
प्रदेश में सरकारी क्षेत्र के आठ राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज (Government Ayurvedic Medical Colleges) हैं। इनमें से लखनऊ, पीलीभीत व वाराणसी स्थित तीन कॉलेजों में एमडी (MD) की पढ़ाई होती है। इसी तरह निजी क्षेत्र के 57 में से महज 4 आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में एमडी की पढ़ाई होती है। पहले चरण में सरकारी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों को हर माह शोध परियोजना तैयार करनी होंगी। इन कॉलेजों में शोध तो हो रहे हैं, पर ये सिर्फ शोध पत्र तक सीमित हैं।
राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में बड़ी शोध परियोजनाएं (research projects) लाने की योजना बनाई गई है। इसके तहत ये कॉलेज हर माह अपने यहां संचालित पीजी विभाग (PG department) में उपचारित होने वाली बीमारियों को लेकर परियोजना तैयार करेंगे। इसका प्रदेश स्तर पर महानिदेशालय में मूल्यांकन कर आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH) और शोध के लिए बजट मुहैया कराने वाले दूसरे आयुर्वेद व विज्ञान से जुड़े विभागों में भेजा जाएगा। इसके जरिए प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा शोध परियोजनाएं लाने का प्रयास किया जा रहा है।
आयुर्वेद निदेशक प्रो. एसएन सिंह ने बताया कि आयुष से जुड़ी परियोजनाएं के प्रदेश में आने से रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। एमडी कोर्स पूरा करने वाले विद्यार्थियों को परियोजना से रोजगार मिलेगा। वहीं आयुष में भी इलाज की नई तकनीक का विकास होगा। नई-नई दवाओं की संबंधित मर्ज में गुणवत्ता का नए सिरे से आकलन हो सकेगा। ऐसे में आयुष विधि से उपचार की भी गुणवत्ता बढ़ेगी।
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