यह तो सर्वविदित है कि देश में कुल कार्यबल की संख्या में लगभग 93 प्रतिशत कामगार असंगठित क्षेत्र के हैं। सरकार ने कुछ व्यावसायिक समूहों के लिए कुछ सामाजिक सुरक्षा उपायों का कार्यान्वयन किया किंतु इनका कवरेज अभी बहुत कम है, न के बराबर है। अधिकांश कामगारों के पास कोई सामाजिक सुरक्षा कवरेज है ही नहीं। असंगठित क्षेत्र में कामगारों के लिए एक बड़ी असुरक्षा उनका बार -बार बीमार पड़ना तथा उक्त कामगारों एवं उनके परिवार के सदस्यों की चिकित्सा देखभाल व अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है। स्वास्थ्य सुविधाओं में विस्तार के बावजूद इनकी बीमारी भारत में मानव के वंचित रहने के सर्वाधिक कारणों में से एक बनी हुई है।
स्वास्थ्य बीमा करना और इसे लागू करना, खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में, बहुत कठिन है। इन कामगारों को सामाजिक सुरक्षा देने की जरूरत पहचानते हुए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY) आरंभ की है। 25 मार्च 2013 तक, योजना में 34,285,737 स्मार्ट कार्ड और 5,097,128 अस्पताल में भर्ती होने के मामले हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का प्रारंभ
पिछले समय में सरकार ने या तो राज्य स्तर या राष्ट्रीय स्तर पर चुने हुए लाभार्थियों को स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करने का प्रयास किया है जबकि, इनमें से अधिकांश योजनाएं अपने वांछित उद्देश्य पूरे करने में सक्षम नहीं रही थी। आम तौर पर ये इन योजनाओं की डिजाइन और/या कार्यान्वयन के मुद्दे थे। इस पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने एक ऐसी स्वास्थ्य बीमा योजना तैयार की जिसमें ना केवल पिछले योजनाओं की कमियों को दूर किया गया, बल्कि इससे एक कदम आगे जाकर एक विश्व स्तरीय मॉडल प्रदान किया गया। मौजूदा और पूर्व स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की एक आलोचनात्मक समीक्षा की गई और इनकी उत्तम प्रथाओं से प्राप्त उद्देश्यों और गलतियों से सबक लिया गया। इन सभी को विचार में लेकर और समान व्यवस्थाओं में विश्व के स्वास्थ्य बीमा के अन्य सफल मॉडलों की समीक्षा के बाद आरएसबीवाय को डिजाइन किया गया। इसे 1 अप्रैल 2008 से आरंभ किया गया है।
आरएसबीवाय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे (BPL) रहने वाले परिवारों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करने हेतु आरंभ की गई है। आरएसबीवाय का उद्देश्य स्वास्थ्य आघातों से उत्पन्न वित्तीय देयताओं से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को सुरक्षा प्रदान करना है, जिसमें अस्पताल में भर्ती करना शामिल है।
योग्यताएं
असंगठित क्षेत्र के कामगार जो बीपीएल श्रेणी में आते हैं और उनके परिवार के सदस्य (पांच सदस्यों की परिवार इकाई) को योजना के तहत लाभ मिलेंगे। कार्यान्वयन एजेंसियों की जिम्मदारी होगी कि वे असंगठित क्षेत्र के कामगारों और उनके परिवार के सदस्यों की योग्यता का सत्यापन करें, जिन्हें योजना के तहत् लाभ मिलने का प्रस्ताव है। लाभार्थियों को पहचान के उद्देश्य के लिए स्मार्टकार्ड जारी किए जाएंगे।
लाभ
लाभार्थियों को उक्त आंतरिक स्वास्थ्य देखभाल बीमा लाभों की पात्रता होगी जिन्हें लोगों / भौगोलिक क्षेत्र की आवश्यकता के आधार पर संबंधित राज्य सरकारों द्वारा तैयार किया जाएगा। जबकि, राज्य सरकारों को पैकेज / योजना में निम्नलिखित न्यूनतम लाभों को शामिल करने की सलाह दी गई है :
निधिकरण पैटर्न
भारत सरकार का योगदान: 750 रुपये के अनुमानित वार्षिक प्रीमियम की 75 प्रतिशत राशि, प्रति वर्ष प्रति परिवार अधिकतम 565 रुपए। स्मार्ट कार्ड का मूल्य केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
संबंधित राज्य सरकारों द्वारा योगदान : वार्षिक प्रीमियम का 25 प्रतिशत और अन्य कोई अतिरिक्त प्रीमियम।लाभार्थी को वार्षिक पंजीकरण / नवीकरण शुल्क के रूप में 30 रुपए का भुगतान किया जाएगा।
योजना को लागू करने के लिए प्रशासनिक और अन्य संबंधित लागतों को संबंधित राज्य सरकारों द्वारा वहन किया जाएगा।
नामांकन प्रक्रिया
बीमाकर्ता को पूर्व निर्दिष्ट डेटा फॉर्मेट का उपयोग करते हुए पात्र गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की एक इलेक्ट्रॉनिक सूची दी जाएगी। बीमा कंपनी द्वारा तिथि सहित प्रत्येक गांव के लिए एक नामांकन अनुसूची बनाई जाएगी जिसमें जिला स्तरीय अधिकारियों की सहायता ली जाएगी। अनुसूची के अनुसार नामांकन से पहले प्रत्येक गांव के गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की सूची नामांकन स्टेशन तथा प्रमुख स्थानों में लगाई जाएगी तथा गांव में नामांकन की तिथि और स्थान का प्रचार पहले से किया जाएगा। प्रत्येक गांव में स्थानीय केंद्रों में चलनशील नामांकन स्टेशन बनाए जाते हैं।
इन स्टेशनों पर बीमाकर्ता द्वारा शामिल परिवार के सदस्यों की बायोमेट्रिक जानकारी (अंगुलियों के निशान) प्राप्त करने और तस्वीर लेने के लिए आवश्यक हार्डवेयर तथा फोटो के साथ स्मार्ट कार्ड प्रिंट करने के लिए एक प्रिंटर उपलब्ध कराया जाता है। लाभार्थी द्वारा तीस रुपए का शुल्क देने के बाद और संबंधित अधिकारी द्वारा स्मार्ट कार्ड के अभिप्रमाणन के पश्चात् स्मार्ट कार्ड के साथ योजना का विवरण और अस्पतालों की सूची सहित एक सूचना पेम्फ्लेट वाला उन्हें दिया जाता है। इस प्रक्रिया में सामान्य तौर पर 10 मिनट से कम का समय लगता है। कार्ड प्लास्टिक के कवर में दिया जाता है।
स्मार्ट कार्ड
स्मार्ट कार्ड अनेक गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे रोगी के बारे में तस्वीर और अंगुलियों के छापे के माध्यम से लाभार्थी की पहचान। स्मार्ट कार्ड का सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह है कि इससे नामिकाबद्ध अस्पतालों में नकद रहित लेनदेन की सक्षमता मिलती है और ये लाभ पूरे देश में कहीं भी उठाए जा सकते हैं। अभिप्रमाणित स्मार्ट कार्ड नामांकन स्टेशन पर ही लाभार्थी को सौंप दिए जाएंगे। स्मार्ट कार्ड पर परिवार के मुखिया की तस्वीर को पहचान के प्रयोजन हेतु इस्तेमाल किया जा सकता है, यदि बायोमेट्रिक सूचना असफल रहती है।
सेवा प्रदायगी
नामांकन के समय अस्पतालों की एक सूची प्रदान की जाएगी। स्मार्ट कार्ड के साथ एक हेल्प लाइन नंबर भी दिया जाएगा। लाभार्थी के पास अपनी इच्छा अनुसार अस्पताल जाने का विकल्प होगा। अर्थात वह चाहे तो सरकारी अस्पताल में इलाज करवाए या फिर निजी में। उसे पूरी छूट होगी। उसे अस्पताल को 30000/- रुपए तक के इलाज के लिए कोई भुगतान नहीं करना होगा। नकद रहित सेवा के मामले में रोगी को इलाज और अस्पताल में भर्ती कराने के लिए कोई राशि व्यय नहीं करनी होगी। यह अस्पताल का दायित्व है कि वह बीमा कर्ता से इसका दावा करें।
आरएसबीवाय की खासियत
आरएसबीवाय योजना भारत सरकार द्वारा कम आय वाले कामगारों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने का पहला प्रयास नहीं है। आरएसबीवाय योजना अनेक महत्वपूर्ण तरीकों से इन योजनाओं से भिन्न है।
लाभार्थी का सशक्तीकरण
आरएसबीवाय द्वारा भाग लेने वाले गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को सार्वजनिक और निजी अस्पतालों के बीच विकल्प चुनने की स्वतंत्रता दी जाती है और वे इन योजनाओं के माध्यम से अस्पतालों को मिलने वाले महत्वपूर्ण राजस्व के संदर्भ में उन्हें एक संभावित ग्राहक बनाते हैं।
बीमाकर्ता को भुगतान
आरएसबीवाय के लिए प्रत्येक परिवार के नामांकन के लिए बीमाकर्ता को भुगतान दिया जाता है। अत: बीमाकर्ता को गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली लोगों की सूची में से अधिक से अधिक घरों का नामांकन करने की प्रेरणा मिलती है। इसके परिणाम स्वरूप लक्षित लाभार्थियों का बेहतर कवरेज होगा।
अस्पताल में बड़ी संख्या में लाभार्थियों को उपचार उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है, क्योंकि यह उपचार पाने वाले प्रति लाभार्थी के अनुसार भुगतान किया जाता है। यहां तक कि सार्वजनिक अस्पतालों को आरएसबीवाय के तहत् लाभार्थियों के उपचार के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाती है, क्योंकि धन राशि बीमा कर्ता की ओर से सीधे संबंधित सार्वजनिक अस्पताल को दी जाएगी, जिसे वे अपने प्रयोजनों में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके विपरीत बीमा कर्ता धोखा धड़ी या अनावश्यक प्रक्रियाओं की रोकथाम के लिए भाग लेने वाले अस्पतालों की निगरानी करते हैं ताकि अनावश्यक दावों की रोकथाम की जाए।
नकद रहित और कागज रहित लेनदेन
आरएसबीवाय के लाभार्थी को किसी नामिकाबद्ध अस्पताल में नकद रहित लाभ मिलता है। उसे केवल अपना स्मार्ट कार्ड लेकर जाना होता है और उन्हें इलाज से संबंधित कोई कागजात बीमाकर्ता को भेजने की जरूरत नहीं होती है। वे बीमा कर्ता को ऑनलाइन दावे भेजते हैं।
एस. के. राणा March 07 2025 0 48951
एस. के. राणा March 06 2025 0 48840
एस. के. राणा March 08 2025 0 47064
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 40404
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 32856
हुज़ैफ़ा अबरार March 21 2025 0 31968
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 31080
सौंदर्या राय May 06 2023 0 84459
सौंदर्या राय March 09 2023 0 88964
सौंदर्या राय March 03 2023 0 89205
admin January 04 2023 0 89811
सौंदर्या राय December 27 2022 0 78972
सौंदर्या राय December 08 2022 0 68209
आयशा खातून December 05 2022 0 122322
लेख विभाग November 15 2022 0 92242
श्वेता सिंह November 10 2022 0 111834
श्वेता सिंह November 07 2022 0 90566
लेख विभाग October 23 2022 0 75791
लेख विभाग October 24 2022 0 77786
लेख विभाग October 22 2022 0 84840
श्वेता सिंह October 15 2022 0 90783
श्वेता सिंह October 16 2022 0 85124
डिप्रेशन एक मानसिक समस्या है। यह मरीज को शारीरिक रूप से भी प्रभावित करती है जैसे थकावट, दुबलापन या म
आयुष विभाग के जरिए स्वास्थ्य विभाग को 384 नये चिकित्सक और मिल गए हैं। इससे प्रदेश के प्राथमिक और सा
आयुष्मान कार्ड योजना का प्रमुख उद्देश्य कमजोर वर्ग को मुफ्त इलाज की सुविधा मुहैया कराना ताकि उनको यह
डॉक्टर अजय शंकर त्रिपाठी बताते हैं कि अस्पताल में गर्भवती महिलाओं और नवजात के लिए अलग अलग वार्ड और ऑ
यूँ तो यह दुःख भरी घटना है कि अस्पताल में जगह ना मिलने से गर्भवती भारतीय महिला की मौत हो गई है लेकिन
वर्तमान समय में डायबिटीज डायलिसिस के मरीजों में किडनी फेल होने के लिए 50% जिम्मेदार है। डायबिटीज की
सहरसा में भी 100 बेड का मॉडल जिला अस्पताल बनाया गया है। जल्द ही उद्घाटन कर इसे आमजन के लिए सुपुर्द क
लेमन जूस में अल्फा हाइड्रोक्सी एसिड होता है जो मिलेनिन पिगमेंट को कम कर एक या दो महीने में इन धब्बों
कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक बनती जा रहा है। 24 घंटे में बीआरडी मेडिकल कालेज में दो बच्चों
बुज़ुर्ग मरीज़ मोतियाबिंद के कारण उत्पन्न समस्याओं को सही से बता नहीं पाते हैं। हम लोग परीक्षण के उपरा
COMMENTS