देश का पहला हिंदी हेल्थ न्यूज़ पोर्टल

राष्ट्रीय

देश के बड़े शहर बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण रहने लायक नही

साइंस एडवांस्ड में प्रकाशित एक अध्ययन की माने तो भारत के ज़्यादातर बड़े शहर वायु-प्रदूषण के कारण श्मशान बनते जा रहें है। अध्ययन से आगे पता चलता है कि मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई, सूरत, पुणे और अहमदाबाद में 2005 से 2018 के बीच वायु-प्रदूषण की वजह से 13 लाख लोगों की असमय मौत का अनुमान है।

एस. के. राणा
April 12 2022 Updated: April 12 2022 23:09
0 23720
देश के बड़े शहर बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण रहने लायक नही प्रतीकात्मक

नयी दिल्ली। साइंस एडवांस्ड में प्रकाशित एक अध्ययन की माने तो भारत के ज़्यादातर बड़े शहर वायु-प्रदूषण के कारण श्मशान बनते जा रहें है। अध्ययन से आगे पता चलता है कि मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई, सूरत, पुणे और अहमदाबाद में 2005 से 2018 के बीच वायु-प्रदूषण की वजह से 13 लाख लोगों की असमय मौत का अनुमान है। इन शहरों में वायु प्रदूषण (Air pollution) कोविड महामारी से ज्यादा घातक साबित हो रहा है। 

वैज्ञानिकों (scientists) की टीम ने 2005 से 2018 के बीच नासा (NASA) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के उपग्रहों से अंतरिक्ष-आधारित अवलोकनों का उपयोग कर अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व के 46 शहरों में वायु गुणवत्ता पर अध्ययन किया। यह  हाल ही में साइंस एडवांस्ड (Science Advanced) में प्रकाशित हुआ है।

अध्ययन में अनुमान जताया गया है कि 2005 में कोलकाता में 39,200, अहमदाबाद में 10,500, सूरत में 5800, मुंबई में 30,400, पुणे में 7,400, बेंगलुरु में 9,500, चेन्नई में 11,200 और हैदराबाद में 9,900 लोगों की प्रदूषण की वजह से असमय मौत हुई होगी। इसके बाद बढ़ी हुई जनसंख्या के साथ 2018 में कोलकाता में 54,000, अहमदाबाद में 18,400, सूरत में 15000, मुंबई में 48,300, पुणे में 15,500, बेंगलुरु में 21,000, चेन्नई में 20,800 और हैदराबाद में 23,700 लोगों की असमय मौत का अनुमान है। मोटे तौर पर 2005 से 2018 के दौरान इन आठ शहरों में हर वर्ष प्रदूषण की वजह से 13 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई होगी।

पीएम 2.5 प्रदूषक हैं जान के बड़े दुश्मन 
वोहरा कहते हैं, कई अध्ययनों में साबित हो चुका है कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (nitrogen dioxide), पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5), अमोनिया (ammonia) व प्रतिक्रियाशील वाष्पशील कार्बनिक यौगिक कई बीमारियों और असामयिक मौत का कारण हैं।

निगरानी नेटवर्क की नीतियों का नहीं हुआ इस्तेमाल 
शोधकर्ताओं (researchers) ने पाया कि भारत में वायु प्रदूषण पर निगरानी व्यापक नेटवर्क है, लेकिन इसका नीतिगत तौर पर उपयुक्त इस्तेमाल नहीं हो रहा है।  

वर्ष 2100 के मेगा शहरों के भविष्य पर प्रदूषण का साया 
अध्ययन के प्रमुख लेखक और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोध अध्येता करण वोहरा ने बताया कि अध्ययन का मकसद असल में उष्ण-कटिबंधीय क्षेत्र में तेजी से बढ़ते ऐसे शहरों का मूल्यांकन करना था, जो वर्ष 2100 तक मेगासिटी में बदल सकते हैं। दुनिया के इन शहरों में आठ भारत के हैं। अब तक उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बायोमास (कृषि अपशिष्ट) को खुले में जलाना सबसे बड़ा कारण रहा है।

लेकिन, विश्लेषण से पता चलता है कि इन शहरों में वायु प्रदूषण के एक नए भयानक युग की शुरुआत हो रही है।  इन शहरों में 46 में से 40 शहरों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और 33 शहरों में पीएम-2.5 के लिहाज से इन शहरों की आबादी के लिए वायु प्रदूषण का गंभीर जोखिम 1.5 से 4 गुना बढ़ गया है। इसके पीछे असल में तेजी से उभरते उद्योग, सड़कें, यातायात, शहरी अपशिष्ट, और प्रदूषक ईंधन लकड़ी का व्यापक उपयोग जिम्मेदार है।

शहर की हवा सबसे ज्यादा खतरनाक
देश में पीएम 2.5 की वजह से 2005 में 1,23900 मौतें हुई होंगी, जो 2018 में बढ़कर दो लाख 23 हजार दो सौ तक पहुंच गई होंगी। अध्ययन में वायु गुणवत्ता में तीव्र गिरावट और वायु प्रदूषकों के शहरी जोखिम में वृद्धि को दर्शाया गया है, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक (health hazards) हैं।

शोधकर्ताओं ने पाया कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओटू) में 14% तक और सूक्ष्म कणों (पीएम-2.5) में 8% की खतरनाक वार्षिक वृद्धि हुई है। इसके अलावा अमोनिया के स्तर में 12 फीसदी और प्रतिक्रिया करने वाले वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों में 11%फीसदी वृद्धि हुई है।

WHAT'S YOUR REACTION?

  • 1
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

COMMENTS

उत्तर प्रदेश

विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान की तैयारियों को लेकर टास्क फ़ोर्स की बैठक।

हुज़ैफ़ा अबरार June 22 2021 16217

संचारी रोग व दिमागी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण तथा त्वरित एवं सही उपचार सरकार की प्राथमिकता में है |

उत्तर प्रदेश

मरीज को आईसीयू की कब पड़ेगी जरूरत बताएगी ये डिवाइस

आरती तिवारी July 14 2023 27306

सीबीएमआर के डीन डॉ. नीरज सिंह ने ज्यादा जानकारी देते हुए बताया कि एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: दूषित पानी पीने से बढ रहा टायफायड का खतरा, दो सालों से नहीं हुई पीने के पानी की जांच

श्वेता सिंह September 29 2022 18460

बीमारी से बचने के लिए सबसे असरदार उपाय है की पीने के पानी की नियमित जांच की जाए लेकिन राजधानी लखनऊ म

अंतर्राष्ट्रीय

शंघाई में कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद लगा लाकडाउन

हे.जा.स. March 28 2022 20735

चीन के फाइनेंशियल हब कहे जाने वाले शहर शंघाई में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने के बाद लाकडाउन लगा दि

अंतर्राष्ट्रीय

महिला ने 7 महीने में ही एक साथ 5 बच्चों को दिया जन्म

हे.जा.स. February 16 2023 18617

पांच बच्चों को जन्म देने वाली डोमिनिका क्लार्क (Dominica Clarke) का कहना है कि अब वह काफी बेहतर महसू

राष्ट्रीय

कोरोना के नए वैरिएंट से दस सालों तक लड़ेगी पूरी दुनिया।

रंजीव ठाकुर February 11 2021 38156

युनाइटेड किंगडम के कोविड-19 जीनोमिक्स कंसोर्टियम के निदेशक शेरोन पीकॉक ने  एक रिपोर्ट में बताया कि क

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के 48 ज़िलों में मेडिकल कॉलेज, 16 और जिलों में खोलने की प्रक्रिया चालू

हुज़ैफ़ा अबरार May 31 2022 21074

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि राज्य के 27 जिलों में कोई राजकीय या निजी मेडिकल कॉलेज नहीं हैं।

स्वास्थ्य

खसखस के बीजों में है इम्युनिटी बढ़ाने का राज

लेख विभाग October 25 2022 23530

खसखस का बीज मसालों के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। ये मसाले हमारे पूरे शरीर को बेहतर स्वास्थ्य

उत्तर प्रदेश

अस्पताल की लापरवाही से गई मरीज की जान !

विशेष संवाददाता April 05 2023 14915

इस दौरान डॉक्टर और स्टॉफ अस्पताल छोड़कर भाग गए। सूचना पर पुलिस बल के साथ पहुंचे सीओ सिटी ने मामले को

स्वास्थ्य

कड़ी मेहनत करने वालों को नहीं होगा कैंसर!

लेख विभाग July 31 2023 21645

डब्ल्यूएचओ के अनुसार,कैंसर से दुनियाभर में हर साल एक करोड़ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। लेकिन

Login Panel