नयी दिल्ली। साइंस एडवांस्ड में प्रकाशित एक अध्ययन की माने तो भारत के ज़्यादातर बड़े शहर वायु-प्रदूषण के कारण श्मशान बनते जा रहें है। अध्ययन से आगे पता चलता है कि मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई, सूरत, पुणे और अहमदाबाद में 2005 से 2018 के बीच वायु-प्रदूषण की वजह से 13 लाख लोगों की असमय मौत का अनुमान है। इन शहरों में वायु प्रदूषण (Air pollution) कोविड महामारी से ज्यादा घातक साबित हो रहा है।
वैज्ञानिकों (scientists) की टीम ने 2005 से 2018 के बीच नासा (NASA) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के उपग्रहों से अंतरिक्ष-आधारित अवलोकनों का उपयोग कर अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व के 46 शहरों में वायु गुणवत्ता पर अध्ययन किया। यह हाल ही में साइंस एडवांस्ड (Science Advanced) में प्रकाशित हुआ है।
अध्ययन में अनुमान जताया गया है कि 2005 में कोलकाता में 39,200, अहमदाबाद में 10,500, सूरत में 5800, मुंबई में 30,400, पुणे में 7,400, बेंगलुरु में 9,500, चेन्नई में 11,200 और हैदराबाद में 9,900 लोगों की प्रदूषण की वजह से असमय मौत हुई होगी। इसके बाद बढ़ी हुई जनसंख्या के साथ 2018 में कोलकाता में 54,000, अहमदाबाद में 18,400, सूरत में 15000, मुंबई में 48,300, पुणे में 15,500, बेंगलुरु में 21,000, चेन्नई में 20,800 और हैदराबाद में 23,700 लोगों की असमय मौत का अनुमान है। मोटे तौर पर 2005 से 2018 के दौरान इन आठ शहरों में हर वर्ष प्रदूषण की वजह से 13 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई होगी।
पीएम 2.5 प्रदूषक हैं जान के बड़े दुश्मन
वोहरा कहते हैं, कई अध्ययनों में साबित हो चुका है कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (nitrogen dioxide), पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5), अमोनिया (ammonia) व प्रतिक्रियाशील वाष्पशील कार्बनिक यौगिक कई बीमारियों और असामयिक मौत का कारण हैं।
निगरानी नेटवर्क की नीतियों का नहीं हुआ इस्तेमाल
शोधकर्ताओं (researchers) ने पाया कि भारत में वायु प्रदूषण पर निगरानी व्यापक नेटवर्क है, लेकिन इसका नीतिगत तौर पर उपयुक्त इस्तेमाल नहीं हो रहा है।
वर्ष 2100 के मेगा शहरों के भविष्य पर प्रदूषण का साया
अध्ययन के प्रमुख लेखक और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोध अध्येता करण वोहरा ने बताया कि अध्ययन का मकसद असल में उष्ण-कटिबंधीय क्षेत्र में तेजी से बढ़ते ऐसे शहरों का मूल्यांकन करना था, जो वर्ष 2100 तक मेगासिटी में बदल सकते हैं। दुनिया के इन शहरों में आठ भारत के हैं। अब तक उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बायोमास (कृषि अपशिष्ट) को खुले में जलाना सबसे बड़ा कारण रहा है।
लेकिन, विश्लेषण से पता चलता है कि इन शहरों में वायु प्रदूषण के एक नए भयानक युग की शुरुआत हो रही है। इन शहरों में 46 में से 40 शहरों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और 33 शहरों में पीएम-2.5 के लिहाज से इन शहरों की आबादी के लिए वायु प्रदूषण का गंभीर जोखिम 1.5 से 4 गुना बढ़ गया है। इसके पीछे असल में तेजी से उभरते उद्योग, सड़कें, यातायात, शहरी अपशिष्ट, और प्रदूषक ईंधन लकड़ी का व्यापक उपयोग जिम्मेदार है।
शहर की हवा सबसे ज्यादा खतरनाक
देश में पीएम 2.5 की वजह से 2005 में 1,23900 मौतें हुई होंगी, जो 2018 में बढ़कर दो लाख 23 हजार दो सौ तक पहुंच गई होंगी। अध्ययन में वायु गुणवत्ता में तीव्र गिरावट और वायु प्रदूषकों के शहरी जोखिम में वृद्धि को दर्शाया गया है, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक (health hazards) हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओटू) में 14% तक और सूक्ष्म कणों (पीएम-2.5) में 8% की खतरनाक वार्षिक वृद्धि हुई है। इसके अलावा अमोनिया के स्तर में 12 फीसदी और प्रतिक्रिया करने वाले वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों में 11%फीसदी वृद्धि हुई है।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 73470
सौंदर्या राय March 09 2023 0 78641
सौंदर्या राय March 03 2023 0 76662
admin January 04 2023 0 76491
सौंदर्या राय December 27 2022 0 67539
सौंदर्या राय December 08 2022 0 56887
आयशा खातून December 05 2022 0 108336
लेख विभाग November 15 2022 0 80587
श्वेता सिंह November 10 2022 0 85749
श्वेता सिंह November 07 2022 0 78578
लेख विभाग October 23 2022 0 63692
लेख विभाग October 24 2022 0 64799
लेख विभाग October 22 2022 0 71409
श्वेता सिंह October 15 2022 0 78129
श्वेता सिंह October 16 2022 0 73802
संचारी रोग व दिमागी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण तथा त्वरित एवं सही उपचार सरकार की प्राथमिकता में है |
सीबीएमआर के डीन डॉ. नीरज सिंह ने ज्यादा जानकारी देते हुए बताया कि एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्
बीमारी से बचने के लिए सबसे असरदार उपाय है की पीने के पानी की नियमित जांच की जाए लेकिन राजधानी लखनऊ म
चीन के फाइनेंशियल हब कहे जाने वाले शहर शंघाई में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने के बाद लाकडाउन लगा दि
पांच बच्चों को जन्म देने वाली डोमिनिका क्लार्क (Dominica Clarke) का कहना है कि अब वह काफी बेहतर महसू
युनाइटेड किंगडम के कोविड-19 जीनोमिक्स कंसोर्टियम के निदेशक शेरोन पीकॉक ने एक रिपोर्ट में बताया कि क
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि राज्य के 27 जिलों में कोई राजकीय या निजी मेडिकल कॉलेज नहीं हैं।
खसखस का बीज मसालों के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। ये मसाले हमारे पूरे शरीर को बेहतर स्वास्थ्य
इस दौरान डॉक्टर और स्टॉफ अस्पताल छोड़कर भाग गए। सूचना पर पुलिस बल के साथ पहुंचे सीओ सिटी ने मामले को
डब्ल्यूएचओ के अनुसार,कैंसर से दुनियाभर में हर साल एक करोड़ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। लेकिन
COMMENTS