बीजिंग। चीन में आम जीवन स्तर ऊंचा हो रहा है, लेकिन इसकी महंगी कीमत भी वहां के लोगों चुकानी पड़ रही है। हालात ऐसे हैं कि अब वहां छोटे बच्चों को भी कार्डियोवासकुलर रोग (हृदय और रक्त धमनियों से जुड़ी बीमारी) होने लगा है। ये बात एक ताजा अध्ययन से सामने आई है। इस अध्ययन के लिए देश भर में कराए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट इसी हफ्ते जारी हुई है। इस अध्ययन की रिपोर्ट अमेरिकन कॉलेज ऑफ कॉर्डियोलॉजी एशिया (journal American College of Cardiology Asia) नाम के जर्नल में विस्तार से छपी है।
इस अध्ययन के सिलसिले में 15,500 बच्चों और किशोरों से बातचीत की गई। इस सर्वे में शामिल व्यक्ति सात से 17 वर्ष तक उम्र के थे। उनमें से 1.9 फीसदी लड़कों और 1.7 फीसदी लड़कियों के बारे में यह जानकारी मिली कि उनमें कार्डियोवासकुलर रोग के लक्षण हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकन हेल्थ एसोसिएशन (American Health Association) ने कार्डियोवासकुलर हेल्थ के लिए जो सात पैमाने तय कर रखे हैं, उन सब पर इन बच्चों की सेहत ठीक नहीं पाई गई। ये पैमाने हैं- तंबाकू का सेवन, खराब भोजन, शारीरिक सक्रियता का अभाव, उच्च रक्तचाप और रक्त में कॉलेस्ट्रॉल (cholesterol) की ज्यादा मात्रा।
बीजिंग स्थित पिकिंग यूनिवर्सिटी और ग्वांगझाऊ स्थित सुन यात-सेन यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने ये अध्ययन किया है। अध्ययनकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि चीन (China) के बच्चों और किशोरों में ऐसे बहुत कम हैं, जिनकी हृदय संबंधी सेहत आदर्श स्थिति में हो। अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि जो चिंताजनक सूरत सामने आई है कि उसकी वजह शारीरिक सक्रियता का अभाव और खराब खान-पान है।
चीन के वयस्क लोगों में पक्षाघात और दिल का दौरा (Paralysis and heart attack) मृत्यु के सबसे बड़े कारण बन चुके हैं। इन दोनों समस्याओं की जड़ कार्डियोवासकुलर (cardiovascular disease) रोगों में होती है। पक्षाघात और दिल का दौरा पड़ने के कारण हर साल चीन में 40 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है। इन समस्याओं से पीड़ित होने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बुजुर्ग लोगों में ये बीमारियां आम हैं, लेकिन अब युवा लोग भी इनसे पीड़ित होने लगे हैं। विशेषज्ञों ने इसको लेकर चेतावनी दी है और इस बारे में समाज में जागरूकता लाने पर जोर दिया है।
ताजा अध्ययन में पाया गया कि चीन में बच्चे अक्सर व्यायाम नहीं करते। साथ ही उनका खान-पान भी सेहतमंद नहीं है। इसकी वजह से उनकी कार्डियोवासकुलर सेहत खतरे में पड़ रही है। सर्वे के दौरान पाया गया कि 30 प्रतिशत से भी कम छात्र जरूरी मात्रा में कसरत करते हैं। इसकी वजह से उनमें मोटापे की समस्या बढ़ रही है। पहले भी सरकार की तरफ से कराए गए अध्ययनों से ये बात सामने आई है कि चीन में मोटापा (obesity) एक बड़ी समस्या बन गया है। इसे देखते हुए कुछ समय पहले चीन सरकार ने स्कूलों में खेल-कूद को अनिवार्य कर दिया।
ताजा अध्ययन से यह भी सामने आया है कि चीन के बच्चे सेंकडरी स्मोकिंग का अब अधिक शिकार हो रहे हैं। दूसरों के धूम्रपान करने से आसपास के लोगों के अंदर धुआं जाने को सेंकडरी स्मोकिंग कहा जाता है। वैसे सर्वे यह जरूर सामने आया कि पश्चिमी देशों (western countries) की तुलना में अभी चीन में बहुत कम बच्चे खुद धूम्रपान करते हैं।
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इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में बिहार से आई 8 वर्षीय बच्ची में जीवनरक्षक लिवर ट्रांसप्लान्ट सर्जरी
फ़ाइज़र को 12 या उससे अधिक उम्र के बच्चों के वैक्सीन के लिए पहले ही मान्यता मिल चुकी है।
खोड़ा में केंद्र सरकार की तरफ से पात्र गरीबों को इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना के तहत कार्ड बनाए गए
अभी तक जितने भी स्वरूप पता चले हैं उनमें डेल्टा सबसे अधिक संक्रामक है और कम से कम 85 देशों में इसकी
यह आमतौर पर सालों से मुंह की ठीक से सफाई न करने के कारण होती है। मुंह के अंदर स्वच्छता न बनाए रखने क
केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर के अधीक्षक और ट्रॉमा सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. संदीप तिवारी ने विश्वव
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