लखनऊ। युवा बैंक अधिकारी शर्मा के मस्तिष्क के एक ट्यूमर को मैक्स हॉस्पिटल साकेत ने एडवांस्ड माइक्रोसर्जिकल प्रक्रिया अपनाते हुए सफलतापूर्वक निकाल दिया। वह अक्सर तेज और लगातार सिरदर्द होने के कारण कई बार बोलने में भी असमर्थ हो जाते थे और शरीर के दाहिने हिस्से में कमजोरी महसूस होने के कारण बिस्तर पकड़ लेते थे।
इसे सामान्य कमजोरी समझते हुए कुछ दवाइयां लेकर वह इसे टालते रहे जिस कारण बीमारी का पता लगने में 15 दिन की देर हो गई। मैक्स हॉस्पिटल, साकेत में दिखाने पर मस्तिष्क का एमआरआई कराया गया तो पता चला कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर है। इससे बैंक अधिकारी का परिवार घबरा गया।
आम धारणा के अनुसार मरीज़ के परिवार को भय हुआ कि मस्तिष्क की सर्जरी के बाद ज्यादातर मामलों की तरह वो भी पैरालाइसिस का शिकार हो कर निष्क्रिय अवस्था में आ जाएंगे। हॉस्पिटल के विशेषज्ञों द्वारा मरीज और परिवारीजन को न्यूनतम और अत्याधुनिक शल्य प्रक्रिया के साथ हाईटेक उपकरण के बारे में अच्छी तरह समझाया गया।
मैक्स हॉस्पिटल, साकेत में न्यूरोसर्जरी के सीनियर डॉक्टर वीके जैन ने बताया कि उनकी टीम ने सिर्फ ट्यूमर को लक्ष्य करते हुए सटीक तरीके से नैविगेशन तकनीक का इस्तेमाल किया और माइक्रोसर्जिकल इंटरवेंशन सर्जरी करने का फैसला किया। हाल के दशकों में न्यूरोसर्जरी तथा इंटरवेंशन के क्षेत्र में हुई तेज तरक्की की बदौलत सर्जरी करना पूरी तरह से सुरक्षित और जोखिममुक्त हो गया है। मरीज में यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक अपनाई गई और बड़ी तेजी से रिकवर कर लिया गया। अब वह पूरी तरह स्वस्थ हो चुका है और उसे सर्जरी से पहले की कोई परेशानी भी नहीं रह गई है। चूंकि यह प्रक्रिया मिनिमली इनवेशिव तरीके से अपनाई गई इसलिए उनकी शारीरिक गतिविधियों और बनावट में भी कोई विकृति नहीं आई।
डॉक्टर जैन ने बताया कि एक महीने के अंदर शर्मा बैंक की नौकरी करने लगे और पहले से ज्यादा बेहतर महसूस करने लगे। नए जमाने के एमआरआई स्कैन में मस्तिष्क के ट्यूमर वाले हिस्से को सटीक तरीके से पहचानने की क्षमता होती है। साथ ही फंक्शनल एमआरआई (एफ-एमआरआई) की मदद से मस्तिष्क की स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित किए बिना गड़बड़ी वाले हिस्से को भी आसानी से पहचान लिया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘मैं लोगों को सलाह देना चाहूंगा कि किसी अच्छे न्यूरोसर्जिकल सेंटर में ब्रेन ट्यूमर निकालने की सर्जरी को लेकर वे घबराएं नहीं। हर पल और सेकंड की देरी से मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट होती जाती हैं और साथ ही पैरालाइसिस की संभावना तथा बदतर स्थिति में मृत्यु की भी संभावना बढ़ सकती है।’
ब्रेन ट्यूमर की विभीषिका बताते हुए कहा कि यह भारत में मृत्यु का दसवां सबसे प्रमुख कारण होता है। देश में ब्रेन ट्यूमर के 28,000 से ज्यादा मामले प्रति वर्ष पाए गए हैं। इनमें से लगभग 24,000 मरीज इस तरह के न्यूरोलॉजिकल बीमारी से जूझते हुए मौत का शिकार हो जाते हैं।
उन्होंने जोड़ा कि अत्यंत असाध्य ट्यूमर (कैंसरकारक) अच्छा नहीं होता है लेकिन सर्जरी, रेडियोथेरापी और कीमोथेरापी के क्षेत्र में आई तरक्की के कारण कई सारे मरीज असाधारण रूप से रिकवरी कर लेते हैं।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 60372
सौंदर्या राय March 09 2023 0 70760
सौंदर्या राय March 03 2023 0 68670
admin January 04 2023 0 67722
सौंदर्या राय December 27 2022 0 54996
सौंदर्या राय December 08 2022 0 46675
आयशा खातून December 05 2022 0 100566
लेख विभाग November 15 2022 0 69820
श्वेता सिंह November 10 2022 0 70098
श्वेता सिंह November 07 2022 0 65813
लेख विभाग October 23 2022 0 53924
लेख विभाग October 24 2022 0 51923
लेख विभाग October 22 2022 0 61308
श्वेता सिंह October 15 2022 0 66363
श्वेता सिंह October 16 2022 0 64922
COMMENTS