लखनऊ। राजधानी स्थित सेना कोर्ट ने एक मामले में कैंसर पीड़ित आनरेरी लेफ्टिनेंट को दिव्यांगता पेंशन देने का फैसला सुनाया है। याची के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय और गिरीश तिवारी ने इस मुकदमे में विजय प्राप्त की है।
एएफटी बार (AFT Bar) के पूर्व महामंत्री तथा कैंसर पीड़ित आनरेरी लेफ्टिनेंट के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि सेना कोर्ट (Armed Forces Tribunal) लखनऊ ने किडनी के कैंसर (kidney cancer) से पीड़ित बहराइच निवासी भूतपूर्व आनरेरी लेफ्टिनेंट लाल बहादुर सिंह को दिव्यांगता (disability) पेंशन दिए जाने का आदेश सुनाया है।
मामला यह था कि पीड़ित लेफ्टिनेंट (Honorary Lieutenant) वर्ष 1987 में सेना की ग्रेनेडियर रेजिमेंट (Grenadier Regiment) में भर्ती हो कर बत्तीस वर्ष की सेवा कर चुके थे। सेवा की सेवा के अंतिम वर्ष में उन्हें किडनी में दर्द (kidney pain) की शिकायत उस समय हुई जब वह पीस स्टेशन गोण्डा में सेवारत थे। सेना में सेवा के लिए उन्हें उच्च सामरिक सेवा पदक, लंबी सेवा अवधि पदक, विशिष्ट सेवा पदक, सैन्य सेवा पदक, सियाचिन ग्लेसियर सेवा पदक और जनरल आफिसर कमांडिंग-इन-चीफ प्रशस्ति-पत्र से नवाजा गया था।
विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि 17 दिसंबर, 2018 को अचानक उसके पेट में दर्द हुआ और, मेडिकल परीक्षण के दौरान पाया गया कि, उसकी बायीं किडनी कैंसर (cancer victim) की वजह से खराब हो गई है। किडनी को 2 जनवरी, 2019 को आपरेशन करके निकाल दिया गया और उसके बाद याची को 30 जून, 2019 को सेना से डिस्चार्ज करते हुए यह कहा गया कि आपकी बीमारी का संबंध सैन्य सेवा से नहीं है इसलिए, दिव्यांगता पेंशन का लाभ सेना नहीं दे सकती है।
एक किडनी पर जीवन यापन करने वाले जाबांज सैन्य अधिकारी ने सेना के इस निर्णय के खिलाफ कई अपीलें की लेकिन उसे रक्षा-मंत्रालय (Defense Ministry) द्वारा 30 जून, 2019, 13 जनवरी, 2020, 30 जनवरी 2020, 4 मार्च, 2021 और 24 मार्च, 2021 को खारिज कर दिया गया। उसके बाद याची ने सशत्र-बल अधिकरण, लखनऊ के समक्ष रक्षा-मंत्रालय भारत सरकार के निर्णयों को चुनौती दी जिसमे, याची के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय और गिरीश तिवारी रहे।
अधिवक्ता विजय पाण्डेय ने अधिकरण के सामने याची का पक्ष रखते हुए दलील दी कि शांति-क्षेत्र गोंडा में पोस्टिंग होने से दिव्यांगता पेंशन को नहीं नकारा जा सकता है क्योंकि, युद्ध-क्षेत्र और शांति-क्षेत्र के आधार पर बीमारियों को परिभाषित नहीं किया जा सकता। इतनी लंबी सैन्य सेवा के बाद बीमारी का होना संदेह उत्पन्न करता है इसलिए संदेह का लाभ न देकर विपक्षियों ने कानूनी गलती (legal mistake) की है।
अधिवक्ता विजय पाण्डेय ने कहा कि एक किडनी पर जीने को मजबूर सैनिक (soldier) को तकनीकी आधार बनाकर दिव्यांगता पेंशन से वंचित किया जाना न्याय संगत नहीं है। जिस पर भारत सरकार रक्षा मंत्रालय के अधिवक्ता द्वारा आपत्ति की गई लेकिन न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव (रि०) एवं वाईस एडमिरल अभय रघुनाथ कर्वे (रि०) की खण्डपीठ (bench of Justice) ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ऐसे मामलों में सुस्थापित विधि (established law) है इसलिए, रक्षा-मंत्रालय भारत सरकार पचहत्तर प्रतिशत की दिव्यांगता पेंशन डिस्चार्ज की तारीख से याची को चार महीने के अंदर दे। यदि रक्षा-मंत्रालय भारत सरकार निर्धारित अवधि के अंदर आदेश का अनुपालन करने में विफल होती है तो उसे आठ प्रतिशत का ब्याज भी देना होगा।
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 2553
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 10767
एस. के. राणा March 06 2025 0 8103
एस. के. राणा March 07 2025 0 7881
एस. के. राणा March 08 2025 0 6882
आयशा खातून March 06 2025 0 5328
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 10767
एस. के. राणा March 06 2025 0 8103
एस. के. राणा March 07 2025 0 7881
एस. के. राणा March 08 2025 0 6882
British Medical Journal February 25 2025 0 5661
सौंदर्या राय May 06 2023 0 77133
सौंदर्या राय March 09 2023 0 82415
सौंदर्या राय March 03 2023 0 80547
admin January 04 2023 0 81486
सौंदर्या राय December 27 2022 0 71646
सौंदर्या राय December 08 2022 0 61216
आयशा खातून December 05 2022 0 113331
लेख विभाग November 15 2022 0 84361
श्वेता सिंह November 10 2022 0 94407
श्वेता सिंह November 07 2022 0 82796
लेख विभाग October 23 2022 0 67799
लेख विभाग October 24 2022 0 69239
लेख विभाग October 22 2022 0 75960
श्वेता सिंह October 15 2022 0 82569
श्वेता सिंह October 16 2022 0 77465
फोर्टिस हैल्थकेयर ने शुक्रवार को शेयर बाजारों को बताया कि समीक्षाधीन तिमाही में कंपनी को 1,488 करोड़
आईवीएफ की प्रक्रिया में प्रायवेट अस्पतालों में लाखों का खर्च होता है। ऐसे में प्रदेश के गरीब दंपती ज
चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रधान महासचिव अशोक कुमार ने बताया कि अभी हाल में हुए स्था
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निगरानी बढ़ाने व अस्पतालों में भर्ती होने वालों पर नजर रखने का निर्दे
एचआईवी संक्रमण का फ़िलहाल कोई उपचार उपलब्ध नहीं है मगर कारगर एचआईवी रोकथाम उपायों, निदान, उपचार व दे
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को उत्तर प्रदेश में कोविड -19 की समीक्षा बैठक के दौरान बंद पड़े
अपने रूटीन का पूरी तरह ध्यान रखने वाले माइंडसेट के साथ मीरा अच्छी सेहत को बढ़ावा देने वाली दिनचर्या
अपराधी पहले डॉक्टरों की फर्जी मार्कशीट बनाते फिर उसके आधार पर फाइनेंस कंपनी से 20,00,000 का लोन लेते
एनआईवी निदेशक डॉ. अब्राहम ने कहा देश की स्थिति अभी काफी बेहतर है। मुझे नहीं लगता कि मंकीपॉक्स का टीक
चिकित्सकों को यूँ ही भगवान का दर्जा नहीं दिया जाता है। राजधानी के बलरामपुर अस्पताल में 9 दिन के शिशु
COMMENTS