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प्रोटीन जागरूकता सप्ताह 24 से 31 जुलाई को मनाया जायेगा। 

शहरों में रहने वाले 73 प्रतिशत धनी लोगों में प्रोटीन की कमी है और उनमें से 93 प्रतिशत लोगों को यह जानकारी नहीं है कि उन्हें रोजाना कितने प्रोटीन की जरूरत है।

प्रोटीन जागरूकता सप्ताह 24 से 31 जुलाई को मनाया जायेगा।  प्रतीकात्मक

लखनऊ। व्यस्त लाइफस्टाइल डेडलाइंस पर काम पूरा करने की मजबूरी और काम के अनियमित घंटों के कारण लोगों में पोषक-तत्वों का सेवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इसलिये लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियाँ, जैसे डायबीटीज, हाइपरटेंशन, आदि बढ़ रही हैं और अब कुछ कठोर तथ्यों को जानने का समय आ गया है। 

इंडियन मार्केट रिसर्च ब्यूरो (आईएमआरबी) ने भारत के लोगों में प्रोटीन की कमी और प्रोटीन पर जागरूकता का पता लगाने के लिये एक नया सर्वे किया है। यह सर्वे बताता है कि शहरों में रहने वाले 73 प्रतिशत धनी लोगों में प्रोटीन की कमी है और उनमें से 93 प्रतिशत लोगों को यह जानकारी नहीं है कि उन्हें रोजाना कितने प्रोटीन की जरूरत है।

व्यक्ति की डाइट में प्रोटीन को शामिल करने का महत्व विस्तार से समझाते हुए, न्यूट्रिशनिस्ट ऋतिका समद्दर बताया कि प्रोटीन जिन्दगी की इमारत को बनाने वाली ईंट है और शरीर की हर कोशिका में मौजूद है। वृद्धि विकास और बीमारियों से लड़ने के लिये प्रोटीन महत्वपूर्ण है। 

एक औसत भारतीय वयस्क के लिये प्रोटीन का आरडीए शरीर के प्रति किलोग्राम वजन के लिये 0.8 से 1.0 ग्राम तक होता है। इस प्रकार एक स्वस्थ वयस्क के लिये यह प्रतिदिन लगभग 50 से 60 ग्राम हो जाता है। इस पर जागरूकता पैदा करने की जरूरत है कि हमारे स्वास्थ्य के लिये प्रोटीन का क्या महत्व है, उसका कितना सेवन करें और हमारी डाइट में प्रोटीन के स्रोत क्या हैं।

बतौर एक देश हम जरूरत से ज्यादा स्टार्च और वसा का सेवन करते हैं लेकिन प्रोटीन का पर्याप्त सेवन नहीं करते हैं और इसके कई कारण हैं।

प्रोटीन के सेवन से जुड़े आम मिथकों को तोड़ते हुए समद्दर ने कहा सबसे पहले एक आम धारणा यह है कि प्रोटीन को पचाना कठिन होता है, उससे वजन बढ़ता है और ’प्रोटीन केवल बॉडी बिल्डर्स के लिये है। 

यह कैसे सुनिश्चित करें कि हमारी डाइट में पर्याप्त प्रोटीन्स़ हों। प्रोटीन दो प्रकार का होता है पूर्ण और अपूर्ण जिसका पता अमीनो एसिड्स की बनावट से चलता है। पूर्ण प्रोटीन्स पॉल्ट्री, अंडा, दूध, मछली, आदि में पाये जाते हैं। पूर्ण प्रोटीन के स्रोत, जैसे चिकन, टर्की, बत्तख और अंडे प्रोटीन की मात्रा और गुणवत्ता में उच्च होते हैं और पूरी तरह से पच जाते हैं। अंडे और पॉल्ट्री प्रोटीन के बेहतरीन स्रोत तो होते ही हैं उनमें विटामिन ए, विटामिन बी12, जिंक, आयरन और सेलेनियम जैसे माइक्रोन्यूीट्रीयेन्स भी भरपूर होते हैं। एक अंडा लगभग 7 ग्राम प्रोटीन देता है, जबकि 100 ग्राम चिकन, बत्तख या टर्की में यह लगभग 20 से 21 ग्राम तक होता है। 

इसलिये प्रोटीन की मात्रा ही नहीं गुणवत्ता पर भी ध्यान देना चाहिये। अंडे और पॉल्ट्री जैसे उच्च गुणवत्ता के प्रोटीन खाने से मेटाबोलिज्म बढ़ता है, संतुष्टि मिलती है और एनर्जी लेवल हाई रहते हैं। प्रोटीन का पर्याप्त सेवन नहीं करने से कमजोरी और थकान होती है घाव भरने में देर लगती है और लंबी अवधि में यह कुपोषण के अलावा लाइफस्टाइल की बीमारियों का रूप ले लेता है जैसे सेंट्रल एडिपोजिटी, डायबीटीज और हाई ट्राइग्लीसराइड लेवल्सट।

प्रोटीन के सेवन पर एक दिशा-निर्देश की अनुशंसा करते हुए समद्दर ने बताया कि डाइट में पर्याप्त प्रोटीन के लिये भोजन के हर नग में प्रोटीन का एक स्रोत शामिल करें। 

अपने दिन की शुरूआत हेल्दी ब्रेकफास्ट से करें और उसमें रोजाना एक अंडा या दूध जोड़ें। अपने भोजन में चिकन या मसूर की दाल जैसे प्रोटीन वाले फूड जोड़ें। प्रोटीन से प्रचुर फूड्स जैसे नट्स अंकुरित अनाजों या अंडे स्नैक के तौर पर भी लें। 

महामारी के इस दौर में भी जिस न्यूट्रीयेन्ट की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है और जो सबसे ज्यादा महत्व रखता है वह प्रोटीन ही है। इम्यु्निटी निर्मित करने और रोगों से लड़ने के लिये भी प्रोटीन जरूरी है। रिकवरी के बाद मांसपेशियों को हुए नुकसान की भरपाई करने, इम्युनिटी क्षमता निर्मित करने और एनर्जी लेवल ऊँचा रखने के लिये भी प्रोटीन का सेवन बढ़ाना महत्वपूर्ण होता है।

यह सच है कि शहरी लोग एनिमल प्रोटीन के स्रोत के रूप में पॉल्ट्री प्रोडक्टस खा रहे हैं फिर भी भारत में पॉल्ट्री मीट प्रोडक्ट्स का सेवन दुनिया में सबसे कम है। पॉल्ट्री के मामले में यह प्रति व्यक्ति 4 किलोग्राम से कम है जबकि अन्या विकसित देशों में प्रति व्यक्ति सेवन 40 किलोग्राम तक है इसलिये हमारी डाइट में प्रोटीन जैसे अनिवार्य घटक को शामिल करने की जरूरत पर जागरूकता निर्मित करने के लिये हर साल 24 से 30 जुलाई तक प्रोटीन वीक मनाया जाता है। 

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