लखनऊ। उत्तर प्रदेश में क्षय रोगियों को गोद लेने की पहल रंग ला रही है। वर्ष 2019 में शुरू हुई इस पहल से अब तक तमाम शिक्षण संस्थान, अधिकारी, औद्योगिक प्रतिष्ठान, समाजसेवी और स्वयंसेवी संस्थाएं जुड़ चुकी हैं।
क्षय रोगियों (tuberculosis patients) को गोद लेने (adoption of TB patients) के पहले चरण में टीबी ग्रसित बच्चों (children with TB) के बेहतर इलाज के साथ सुपोषण को लेकर संस्थाओं को उन्हें गोद लेने के लिए आगे आने की अपील की गयी थी। इस वर्ष विश्व क्षय रोग दिवस (24 मार्च) (World Tuberculosis Day) पर टीबी ग्रसित बच्चों के साथ वयस्कों को भी गोद लेने की शुरुआत हुई। इस अनूठी पहल का ही नतीजा रहा कि चार माह में प्रदेश में करीब 1.28 लाख टीबी मरीजों को गोद (TB patients adopted) लेकर हर माह पोषण पोटली (nutrition packets) प्रदान करने के साथ ही उन्हें भावनात्मक सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है।
राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर (State Tuberculosis Officer Dr. Shailendra Bhatnagar) का कहना है कि टीबी मरीजों (TB patients) को बेहतर इलाज के साथ सही पोषण (proper nutrition) की भी बड़ी जरूरत होती है ताकि दवाएं अपना पूरा असर दिखा सकें और मरीज जल्दी से जल्दी स्वस्थ बन सके। ऐसे में टीबी मरीजों को गोद लेने (adopt TB patients) की पहल इसमें बहुत ही कारगर साबित हो रही है। संस्थाएं भी खुले मन से आगे आ रहीं हैं और टीबी मरीजों को गोद लेकर पोषण पोटली प्रदान करने के साथ ही उनके घर-परिवार वालों के साथ बैठकर भावनात्मक सहयोग प्रदान कर रहीं हैं।
ऐसे में जहाँ टीबी को लेकर समुदाय में फैली भ्रांतियां (misconceptions) दूर हो रही हैं वहीँ मरीजों को एक ताकत भी मिल रही है कि इस लड़ाई में वह अकेले नहीं हैं। इससे वह बीमारी को जल्द से जल्द मात दे सकेंगे। देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त (TB free India) बनाने के संकल्प को पूरा करने में भी यह मुहिम सहायक साबित होगी।
संस्थाएं जिन टीबी ग्रसित को गोद लेती हैं उनको हर माह पोषक खाद्य पदार्थ (भुना चना, मूंगफली, गुड़,सत्तू, गजक आदि ) मुहैया कराती हैं । इसके अलावा नियमित रूप से दवा सेवन (regular drug intake) को भी सुनिश्चित कराया जाता है क्योंकि बीच में दवा छोड़ना बीमारी को गंभीर बना सकता है । टीबी मरीजों को इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना (Nikshay Poshan Yojana) के तहत हर माह 500 रूपये बैंक खाते में दिए जाते हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2019 में प्रदेश की राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल (Governor Anandiben Patel) ने बच्चों को गोद लेने की अपील शिक्षण संस्थानों, अधिकारियों और स्वयंसेवी संस्थाओं से की थी। इसका सुखद परिणाम यह रहा कि 24 मार्च 2022 तक सूबे में करीब 38,047 टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लिया जा चुका था। इन बच्चों को पोषण सामग्री प्रदान करने के साथ ही उनके घर-परिवार वालों के साथ बैठकर उनका मनोबल बढ़ाने का भी कार्य किया गया था। उनकी शिक्षा न प्रभावित होने पाए इसका भी ख्याल रखा गया।
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