गोरखपुर। दौसा (राजस्थान) की महिला चिकित्सक डा. अर्चना शर्मा द्वारा खुदकुशी किये जाने की घटना से आहत गोरखपुर के बाल रोग विशेषज्ञ डा. आर.एन सिंह कहतें हैं कि इस दुखदायी घटना ने उनको भीतर तक झकझोर डाला है।
डॉ सिंह ने कहा कि बेशक हम लोगों ने केंद्र के निर्देश पर धरना-प्रदर्शन बंद कर दिया पर मन में जो बातें हैं, वह जनता तक जरूर पहुंचनी चाहिए। डा. आर.एन सिंह ज्वलंत मुद्दों पर अपनी राय बेबाकी से पहले भी रखते रहें हैं। वो मानते हैं कि आज अगर डा. अर्चना जीवित होतीं तो समाज को खुशहाल रखने में उनकी भूमिका अहम होती, जैसा कि वह अपने चिकित्सीय जीवन में करती रहीं थीं।
उन्होंने कहा कि जनता और डॉक्टरों को यह समझना पड़ेगा कि अभी इस केस में क्या प्रगति हुई है? जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, क्या वे असली गुनाहगार हैं? या, जो असली गुनाहगार हैं, वो अब तक पुलिस के फंदे से बाहर हैं? हमें जो जानकारी मिली है, वह यह कि भाजपा का एक नेता अभी भी पुलिस के फंदे से बाहर है।
डॉ सिंह बतातें हैं कि ऐसी जानकारी मिल रही कि डा. अर्चना शर्मा (Dr. Archana Sharma) के पति, डा. सुमित शर्मा भी सरकार की कार्रवाई से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। उनका आरोप है कि पुलिस (police) ने कभी सहयोग नहीं किया। जो कार्रवाई हुई है, वह नाकाफी है।
उधर, प्रदेश सरकार के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा का कहना है कि इस केस की सुनवाई अब फास्ट ट्रैक कोर्ट (fast track court) में होगी। जो भी आरोपी होंगे, उनके खिलाफ शीघ्र चार्जशीट (charge sheet) पेश किया जाएगा और उनको सजा दिलवाई जाएगी।
डॉ सिंह चिकित्सा मंत्री के बयान पर सवाल उठाते हैं कि ये सब होगा कब? क्या कोई समय सीमा भी है? वे चिकित्सा मंत्री मीणा के एक बयान की याद दिलातें हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि कुछ लोग लफंदर किस्म के होते हैं। वो बात-बात पर पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाते हैं। कभी धरना देते हैं तो कभी प्रदर्शन करते हैं। इसी के चलते कुछ पुलिस अधिकारियों की नासमझी से धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज हो जाता है। अगर डा. अर्चना के खिलाफ धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज नहीं होता तो आज वह जीवित रहतीं।
उन्होंने बताया कि इस घटना में एक बड़ा नाम आ रहा है। यह नाम है जीतेंद्र गोठवाल का। गोठवाल भाजपा नेता हैं। उनका एक ट्वीट 48 घंटे तक ट्विटर पर रहा। इस ट्वीट में उन्होंने दफा 302 के तहत डा. अर्चना पर मुकदमा होने की बात कही थी। वह खुश थे कि उनकी पहल पर मुकदमा कायम हो गया। वे पुलिस के फंदे में अब तक फंसे नहीं हैं। गोठवाल के ऊपर आरोप है कि दफा 302 के तहत मामला दर्ज करने के लिए वह जिद पर अड़े रहे, थाने के सामने धरना दे दिया। बाद में धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ।
डॉ सिंह ने कहा कि मेरा ऐसा मानना है कि जब कभी एक चिकित्सक (doctor) की हत्या (murdered) होती है तो वह हत्या दरअसल हजारों सम्मानित नागरिकों की हत्या के समान होती है क्योंकि चिकित्सक के जीवित रहते लोग अपनी सेहत व जिंदगी की हिफाजत करते।
डा. शर्मा के केस में भी ऐसा ही देखा जा सकता है। अगर व्यवस्था आज इस मामले में चूक गई तो देश में चिकित्सकों की भारी कमी व मानसिक दबाव की वजह से कोई अपने बच्चों को चिकित्सक बनाने से कतरायेगा। जान तो सबको प्यारी होती है। यही समय है जब सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) स्वतः (suo moto) संज्ञान लेकर इस देश को इस व्यापक त्रासदी से निकाल सकते हैं। केंद्र और राज्य सरकारों को इस प्रक्रिया में न्यायालय की मदद करनी चाहिए।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 60372
सौंदर्या राय March 09 2023 0 70760
सौंदर्या राय March 03 2023 0 68670
admin January 04 2023 0 67833
सौंदर्या राय December 27 2022 0 55218
सौंदर्या राय December 08 2022 0 46786
आयशा खातून December 05 2022 0 100566
लेख विभाग November 15 2022 0 69931
श्वेता सिंह November 10 2022 0 70209
श्वेता सिंह November 07 2022 0 65813
लेख विभाग October 23 2022 0 54035
लेख विभाग October 24 2022 0 52034
लेख विभाग October 22 2022 0 61419
श्वेता सिंह October 15 2022 0 66585
श्वेता सिंह October 16 2022 0 65033
COMMENTS