लखनऊ। मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital) ने ब्रेन स्ट्रोक के उपचार में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है जिसके लिए अस्पताल को वर्ल्ड स्ट्रोक आर्गेनाइजेशन (World Stroke Organization) द्वारा एंजल प्लेटिनम अवार्ड (Angel Platinum Award) दिया गया है। डॉ रित्विक बिहारी ने बताया कि 23 मानकों को पूरा करने पर यह अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिलता है और मेदांता इसको प्राप्त करने वाला उत्तर प्रदेश का पहला अस्पताल बन गया है जिसने कम समय में इस उपलब्धि को हासिल किया है।
डॉ ठक्कर ने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक (brain stroke) के समय पहले 4.5 घंटे गोल्डन अवर्स होते हैं जिसमें मरीज की जान बचाई जा सकती है और डॉक्टर्स को 60 मिनट में उपचार देना बहुत जरूरी होता हैं। उन्होंने कहा कि मेदांता अस्पताल इस समय सीमा को 42 मिनट में ही पूरा कर रहा है क्योंकि
यहां ऐसा सिस्टम डेवलेप किया गया है जिसमें पूरी मशीनरी एक साथ एक्टिव हो जाती है।
डॉ लोकेंद्र गुप्ता ने कहा कि लोगों में जागरूकता (awareness) की कमी के कारण मस्तिष्क आघात से मरीजों की जान चली जाती है जबकि समय से अस्पताल पहुंचने पर मरीज को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में एम्बुलेंस ड्राइवर और तकनीशियन की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है मेदांता अस्पताल पहुंचने पर मरीज का इलाज तुरंत शुरू कर दिया जाता है।
डॉ प्रवीण कुमार ने ब्रेन स्ट्रोक रोकने के बारे में बताते हुए कहा कि आम आदमी सामान्य मरीज की धड़कन, तापमान और आवाज से आघात का अंदाजा लगा सकते हैं। इसके अलावा ब्लड प्रेशर (blood pressure), शुगर (sugar) इत्यादि को बढ़ने ना देना भी मस्तिष्क आघात से बचाता है।
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