लखनऊ। ग्लोबल इनीसिएटिव फार क्रोनिक आब्सट्रक्टिव लंग डिसीज (गोल्ड) प्रतिवर्ष सीओपीडी की गाईडलाईन जारी करती है। यह एक अन्तरराष्ट्रीय संस्था है, जिसका गठन सन् 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ), नेशनल इंसटिट्यूट आफ हेल्थ (एनआईएच) और नेशनल हार्ट, लंग एवं ब्लड इंसटिट्यूट (एनएचएलबीआई) के संयुक्त प्रयास से हुआ था।
आईएमए- एकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशलिटीज (एएमएस) के नेशनल वायस चेयरमैन डॉ सूर्यकान्त ने बताया कि पहली गोल्ड गाईडलाईन सन् 2001 में प्रतिपादित हुयी थी, उसके बाद से प्रतिवर्ष गोल्ड रिपोर्ट को अपडेट करता है। गोल्ड 2023 की मुख्य बातें निम्नवत हैं।
इंडियन चेस्ट सोसाइटी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डा सूर्यकान्त ने बताया कि वर्तमान में ग्लोबल प्रिविलेन्स आफ सीओपीडी (सीओपीडी का वैश्विक प्रसार) 10.3 प्रतिशत है। गोल्ड की नई गाईडलाईन के अनुसार गरीब देशो में बढ़ता हुआ धूम्रपान एवं अमीर देशों में बूढ़ी होती जनता की वजह से सीओपीडी दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहा है। इस समय दुनियां भर में प्रतिवर्ष 30 लाख लोग सीओपीडी की वजह से मौत के घाट उतर जाते है।
नई रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2060 तक बढ़ते हुए धूम्रपान (गरीब देशो में) एवं बूढ़ी होती जनता (अमीर देशों में) की वजह से सीओपीडी से मरने वालों की संख्या 54 लाख से ज्यादा हो सकती है। विभिन्न रिपोर्ट यह कहती है कि लगभग 6 प्रतिशत लोग सीओपीडी से पीडित हैं। नानस्मोकर (जो धूम्रपान नहीं करते हैं) की तुलना में एक्स-स्मोकर (जिन्होंने कम से कम एक वर्ष से ज्यादा धूम्रपान किया है) और स्मोकर्स (धूम्रपान करने वाले लोग) में सीओपीडी ज्यादा होती है।
धूम्रपान सी.ओ.पी.डी. का प्रमुख जोखिम कारक है। विकसित देशों में कुल सीओपीडी केसेज का 70 प्रतिशत कारण धूम्रपान है, जबकि निम्न मध्यम आय वाले देशों में 30 से 40 प्रतिशत है। नई रिपोर्ट के अनुसार 50 प्रतिशत स्मोकिंग (धूम्रपान) और 50 प्रतिशत नान-स्मोकिंग कारक सीओपीडी के लिए जिम्मेदार होते है। दुनिया में 3 अरब लोग भोजन बनाने, आग जलाने एवं अन्य जरूरतों के लिए कोयला, उपले, लकड़ी, अंगीठी, मिट्टी के चूल्हे आदि का इस्तेमाल करते है, जिसे बायोमास फ्यूल एक्सपोजर के नाम से जाना जाता है। इन सब लोगों में भी सीओपीडी होने का खतरा बढ़ जाता है।
इन्फ्लूएंजा, कोरोना, निमोनिया, हुपिंग कफ का टीकाकरण सीओपीडी के मरीजो को चिकित्सकों के परामर्श से करवाना चाहिए। सीओपीडी और कोविड 19 से संबन्धित नई गाईडलाईन, टेली मेडिसिन के लिए अपडेटेड रिपोर्ट, स्पाइरोमेट्री से संबन्धित नियम सम्मिलित किये गये है।
डा सूर्यकान्त, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, केजीएमयू के विभागाध्यक्ष ने बताया कि सामान्यतः लंग कैंसर की वजह से बहुत से सीओपीडी के मरीजों की मृत्यु हो जाती है। अतः एनुअल लो डोज सीटी स्कैन सीओपीडी के उन मरीजों में कराना चाहिए जिन्हें यह बीमारी स्मोकिंग की वजह से हुयी हो। जिससे लंग कैंसर और सीओपीडी दोनों बीमारियों को बेहतर इलाज किया जा सकेगा।
हड्डी से जुड़ी हुयी बीमारियां, डिप्रेसन एवं एंग्जायटी की समस्या सीओपीडी के मरीजों में प्रायः अनदेखी कर दी जाती है। सीओपीडी के मरीजों में इन बीमारियों का उचित निरीक्षण किया जाना चाहिए और उनका समुचित उपचार किया जाना चाहिए। इसके अलावा सीओपीडी के मरीजो का इलाज उनकी अन्य बीमारियों (हृदय रोग, डायबिटीज आदि) को ध्यान में रखते हुए उनके इलाज के साथ-साथ सीओपीडी का भी इलाज करना चाहिए। इसके अलावा सीओपीडी की नई गाईडलाईन में कुछ नई परिभाषाएं, नैदानिक विधियां, उपचार की नयी तकनीकियां, इन्हेलर डिवाइसेस, जांच के तरीकों आदि में संशोधन करते हुए नवाचार विकसित किया गया है।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 66477
सौंदर्या राय March 09 2023 0 75644
सौंदर्या राय March 03 2023 0 73332
admin January 04 2023 0 71940
सौंदर्या राय December 27 2022 0 62433
सौंदर्या राय December 08 2022 0 52114
आयशा खातून December 05 2022 0 105894
लेख विभाग November 15 2022 0 78034
श्वेता सिंह November 10 2022 0 82197
श्वेता सिंह November 07 2022 0 75692
लेख विभाग October 23 2022 0 60695
लेख विभाग October 24 2022 0 60248
लेख विभाग October 22 2022 0 69300
श्वेता सिंह October 15 2022 0 74799
श्वेता सिंह October 16 2022 0 70583
COMMENTS