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बच्चों के सिरदर्द पर रखें नजर।

इमोशनल स्ट्रेस, कमजोर नजर के कारण हुआ आई स्ट्रेन, गलत पोश्चर के कारण पैदा हुआ पीठ दर्द भी माइग्रेन का कारण बन सकता है।

लेख विभाग
July 20 2021 Updated: July 20 2021 18:12
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बच्चों के सिरदर्द  पर रखें नजर। प्रतीकात्मक

- अरविन्द दूबे 

सिरदर्द केवल वयस्कों को नहीं होता बल्कि बच्चों को भी होता है। स्कूल जाने वाली उम्र के हर 5 में से 1 बच्चे में सिरदर्द की तकलीफ पाई जाती है। अधिकांश बच्चों को टेंशन हेडेक होता है।

पालकों को बच्चे के सिरदर्द से बहुत परेशानी होती है। वे इसे माइग्रेन या सामान्य सिरदर्द मानने की बजाए कुछ बड़े अनिष्ट की कल्पना करके चिंतित होते रहते हैं। उनके मन में यह तक प्रश्न खड़ा हो जाता है कि कहीं मेरे बच्चे को ब्रेन ट्‌यूमर तो नहीं है। ऐसे पालकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि अधिकांश माइग्रेन के पीड़ित बच्चे वयस्क होने तक इस समस्या से मुक्त भी हो जाते हैं। क्या हैं कारण अधिकांश बच्चों को सर्दी जुकाम अथवा अन्य संक्रमणों की वजह से सिरदर्द की शिकायत होती है।

उदाहरण के तौर पर सायनोसाइटिस यानी सायनस में सूजन और जलन होने के कारण अथवा गले या कान में संक्रमण होने से भी तीव्र सिरदर्द होता है। चिकित्सा विज्ञान को इतना पता है कि मस्तिष्क में फिजिकल और केमिकल चेंजेस आने की वजह से माइग्रेन का अटैक शुरू होता है। अक्सर माता पिता से विरासत में हासिल जींस की वजह से भी माइग्रेन हो सकता है। इसके अलावा कईबच्चों को थकान, ब्राइट लाइट अथवा फ्लिकरिंग लाइट का एक्सपोजर होने से भी माइग्रेन का अटैक आ जाता है।

इमोशनल स्ट्रेस, कमजोर नजर के कारण हुआ आई स्ट्रेन, गलत पोश्चर के कारण पैदा हुआ पीठ दर्द भी माइग्रेन का कारण बन सकता है।

लड़कियों को उनके मासिक चक्र अथवा अन्य कारणों से हो रहे हारमोनल चेंजेस के कारण माइग्रेन हो जाता है। इन्हें मासिक चक्र से जुड़ा माइग्रेन कहा जाता है।

वैसे तो इस माइग्रेन को बहुत नुकसानदायक नहीं माना जाता है लेकिन माइग्रेन के अटैक बार-बार हो रहे हों और लगातार तीव्र होते जा रहे हों तो यह एक गंभीर समस्या है। इसे तत्काल चिकित्सक को दिखाना चाहिए।

इन लक्षणों पर रखें नजर

दिखाई देना बंद होना, उल्टियां आना, मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना, किसी भी वजह से बच्चा रात को सोते-सोते जाग जाता हो इन सभी परिस्थितियों को नजरअंदाज न करें औरचिकित्सक की सलाह लें।

ये हैं घरेलू उपाय

1. बच्चे का सिर थोड़ा ऊपर रखते हुए उसे लेटा दें।
2. बच्चे के सिर पर ठंडा और गर्म कपड़ा बारी-बारी से रखें।
3. बच्चे को अंधेरे में लेटा दें और रिलेक्स होनें दें।
4. गर्म पानी से नहला दें।

इस तरह करें स्ट्रेस मैनेजमेंट

माता-पिता और टीनएजर सभी मिलकर तनाव को कम करने के उपाय सोचें। यह भी सोचें कि तनाव बढ़ने का कारण क्या है और उसे किस तरह दूर किया जा सकता है। एक बार कारण मालूम हो जाए तो तनाव को दूर करना आसान हो जाता है।

आमतौर पर तीन प्रकार की पद्घतियां माइग्रेन के उपचार में प्रयोग की जाती हैं। सबसे पहले एक्यूट माइग्रेन को ठीक करने के लिए दवाओं का प्रयोग किया जाता है।

एक्यूट थैरेपी गंभीर होने से पहले सभी लक्षण को कम करती है। यदि बच्चे को महीने में 3 से 4 बार अटैक आते है तो डॉक्टर के परामर्श से उपचार किया जाना चाहिए, क्योंकि यह थैरेपी उन अटैकों की आवृत्ति को कम करती है।

एक अन्य उपचार में संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा, एक्यूपंक्चर, व्यायाम, उचित आराम और आहार से अटैक के ट्रिगर को कम किया जाता है।

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