वाशिंगटन। वर्ष 2050 तक, रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटी माइक्रोबियल प्रतिरोध) के कारण हर साल लगभग एक करोड़ लोगों तक की मौत हो सकती है। ऐसी चेतावनी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने मंगलवार को अपनी एक नई रिपोर्ट में जारी की है।
बारबेडॉस के ब्रिजटाउन में जारी की गई इस रिपोर्ट में औषधि निर्माता कम्पनियों (drug manufacturers), कृषि (agriculture) व स्वास्थ्य देखभाल सेक्टर (Health Care Sector) से उपजने वाले प्रदूषण पर रोक लगाने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है। इस अध्ययन में एंटी माइक्रोबियल प्रतिरोध (anti microbial resistance) के पर्यावरणीय आयामों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।
विशेषज्ञों ने बताया कि विषाणु (viruses), जीवाणु (bacteria), फफून्दी (Fungus) और अन्य परजीवों में समय बीतने के साथ होने वाले बदलावों के कारण रोगाणुरोधी प्रतिरोध विकसित हो जाता है और एंटीबायोटिक (antibiotic) व अन्य जीवनरक्षक दवाएँ (life saving drugs) अनेक प्रकार के संक्रमणों पर असर नहीं कर पाती।
रिपोर्ट में सुपरबग (Superbug) को उभरने व फैलने से रोकने में कमी लाने के लिए भी मज़बूत कार्रवाई का आग्रह किया गया है। साथ ही, एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के अन्य मामलों की भी रोकथाम की जानी होगी, जिसका मानव, पशु व पौधों के स्वास्थ्य पर गम्भीर असर हो रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध को स्वास्थ्य के लिए 10 शीर्ष वैश्विक ख़तरों में चिन्हित किया है। वर्ष 2019 में दुनिया भर में लगभग 12 लाख 70 हज़ार लोगों की मौत की वजह, सीधे तौर पर दवाओं (drugs) के लिए प्रतिरोधी संक्रमण को बताया गया था। कुल मिलाकर, विश्व में लगभग 50 लाख मौतों को जीवाणु सम्बन्धी मौतों (bacterial deaths) से जोड़ कर देखा गया है।
भोजन व स्वास्थ्य पर जोखिम - Risk on food and health
एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2050 तक, सीधे तौर पर रोगाणुरोधी प्रतिरोध के कारण हर साल एक करोड़ अतिरिक्त मौतें होने की आशंका है, जोकि 2020 में कैंसर की वजह से वैश्विक मृतक संख्या के बराबर है।
एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के कारण अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ता है और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इस दशक के अन्त तक, वार्षिक तीन हज़ार 400 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की जा सकती है। इससे लगभग ढाई करोड़ लोगों के निर्धनता के गर्त में धँसने की आशंका है।
बताया गया है कि औषधि निर्माण, कृषि व स्वास्थ्य देखभाल सेक्टर, रोगाणुरोधी प्रतिरोध के विकसित होने और पर्यावरण में फैलने के मुख्य कारक हैं। इसके अलावा, यह साफ़-सफ़ाई की ख़राब व्यवस्था, सीवर और नगरपालिका की जल प्रणालियों से आने वाले प्रदूषकों से भी फैलता है।
तिहरा पर्यावरणीय संकट - Triple environmental crisis
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की कार्यकारी निदेशक इन्गेर ऐंडर्सन ने बताया कि पृथ्वी तिहरे संकटों – जलवायु परिवर्तन (climate change), प्रदूषण (pollution) और जैवविविधता हानि (biodiversity loss) से जूझ रही है, जिनके कारण यह स्थिति उपजी है।
वायु, मृदा और जलमार्गों में प्रदूषण से एक स्वच्छ व स्वस्थ पर्यावरण का मानवाधिकार कमज़ोर होता है। जो कारक पर्यावरण क्षरण के लिए ज़िम्मेदार हैं, उनके कारण ही एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध की स्थिति बद से बदतर हो रही है। उन्होंने सचेत किया कि एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के प्रभाव से हमारे स्वास्थ्य व खाद्य प्रणालियाँ तबाह हो सकती हैं।
एस. के. राणा March 07 2025 0 20313
एस. के. राणा March 06 2025 0 20091
एस. के. राणा March 08 2025 0 18870
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 17982
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 14208
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 12987
सौंदर्या राय May 06 2023 0 80130
सौंदर्या राय March 09 2023 0 84857
सौंदर्या राय March 03 2023 0 83322
admin January 04 2023 0 84927
सौंदर्या राय December 27 2022 0 74310
सौंदर्या राय December 08 2022 0 64102
आयशा खातून December 05 2022 0 117549
लेख विभाग November 15 2022 0 87247
श्वेता सिंह November 10 2022 0 99624
श्वेता सिंह November 07 2022 0 85571
लेख विभाग October 23 2022 0 70463
लेख विभाग October 24 2022 0 72125
लेख विभाग October 22 2022 0 79401
श्वेता सिंह October 15 2022 0 85566
श्वेता सिंह October 16 2022 0 80351
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी अभी हाल ही में ‘प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान’ की डिजिटल तरीके
देश की कुल प्रजनन दर 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है। यह जनसंख्या नियंत्रण उपायों की अहम प्रगति को दर्शाता
जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. तरुण गुप्ता ने बताया, ‘‘हमें पिछले एक महीने में खसरे के 47 मामले मिले हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित और लंपी स्किन रोग से पूर्ण सुरक्षा देने वाली स्वदेशी लंपी-प
डॉक्टरों की मानें तो शराब ज्यादा पीने से लिवर डैमेज हो सकता है। जो लोग बार-बार शराब पीते हैं, उनका ल
दो दिवसीय मर्म चिकित्सा के साथ ही एक दिवसीय योग महोत्सव का आयोजन परमार्थ निकेतन में किया जा रहा है त
धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों तक तो करीब 30 फीसद ही धुँआ पहुँचता है बाकी बाहर निकलने वाला करीब 70 फी
जीवनशैली में बदलाव से हो रहे विकारों को दूर करने के लिए आयुर्वेद के प्रति समर्पण जरूरी, गुरु गोरक्षन
चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को आगामी एक महीने में सभी जनता क्लिन
नि:शुल्क शिविर में लगभग 1,023 मरीजों ने पंजीकरण कराकर उपचार करवाया जिसमें सभी को नि:शुल्क स्वास्थ्य
COMMENTS