नई दिल्ली (पीटीआइ)। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों में रह रहे लोगों का कोरोना टेस्ट किया जाए और उन्हें जल्द से जल्द टीके लगाए जाएं।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में इलाज करा रहे मरीजों के स्थानांतरित करने पर संज्ञान लिया। पीठ ने कहा कि इस प्रथा को तुरंत बंद करना चाहिए और कहा कि यह प्रतिकूल है और मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ है। पीठ ने कहा कि अब से वह मामले की निगरानी करेगी और तीन सप्ताह के बाद मामले को सूचीबद्ध करना शुरू करेगी, क्योंकि बहुत से लोग जो ठीक हो जाते हैं उनके परिवारों द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता, यह बेहद संवेदनशील मामला है।
उच्चतम न्यायालय अधिवक्ता गौरव बंसल द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी कि लगभग 10,000 लोग जो छुट्टी के योग्य हैं, उन्हें सामाजिक कलंक के कारण देशभर के विभिन्न मानसिक अस्पतालों में रहने के लिए मजबूर किया जाता है। बंसल ने कहा कि दो बातों पर ध्यान देने की जरूरत है कि मानसिक स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों में इलाज करा रहे इन लोगों का कोरोना परीक्षण किया जाना चाहिए और कोरोना वैक्सीन लगाई जानी चाहिए, क्योंकि वे समाज के सबसे कमजोर वर्ग के लोग हैं।
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान ने कहा कि मंत्रालय 12 जुलाई को एक बैठक कर रहा है। इस बैठक में इन लोगों के पुनर्वास के लिए एक योजना प्रस्तुत की जाएगी, जिसमें अदालत के आदेश का पालन किया जाएगा। दीवान ने कहा कि वह स्थिति की गंभीरता को समझती हैं, क्योंकि महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य ने सभी को एक नया आयाम दिया है।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों के इलाज और ठीक होने के बाद अस्पतालों से उनकी रिहाई के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार करने का समर्थन किया था।
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