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इस्राइल के वैज्ञानिकों ने विकसित किया दुनिया का पहला कृत्रिम भ्रूण, प्राकृतिक भ्रूण से 95 फीसदी समान

वैज्ञानिकों ने चूहे के स्टेम सेल से भ्रूण को विकसित किया है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए न तो कोई निषेचित अंडे लिए और न ही किसी शुक्राणु की ही जरूरत पड़ी। यह वर्षों से प्रयोगशाला में एक खास तरह के बर्तन में रखा गया था। उन्होंने इसी बर्तन में मूल कोशिकाओं से ही पूर्ण भ्रूण को विकसित कर दिया। 

हे.जा.स.
August 07 2022 Updated: August 07 2022 22:50
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इस्राइल के वैज्ञानिकों ने विकसित किया दुनिया का पहला कृत्रिम भ्रूण, प्राकृतिक भ्रूण से 95 फीसदी समान प्रतीकात्मक चित्र

नयी दिल्ली। प्रकृति पर विजय पाने के इच्छुक इंसान ने अब दुनिया का पहला कृत्रिम भ्रूण (artificial embryo) तैयार कर लिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस जीव का दिल भी धड़का और मस्तिष्क ने भी पूरा आकार लिया है। बस गनीमत है कि यह कृत्रिम मानव भ्रूण नहीं है। 


मेडिकल साइंस जर्नल (Medical Science Journal) में प्रकाशित शोध में बताया है कि इस्राइल के वेइजमान इंस्टीट्यूट (Weizmann Institute, Israel) के वैज्ञानिकों ने चूहे के स्टेम सेल (rat stem cells) से भ्रूण को विकसित किया है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए न तो कोई निषेचित अंडे (fertilized eggs) लिए और न ही किसी शुक्राणु (sperm) की ही जरूरत पड़ी। यह वर्षों से प्रयोगशाला में एक खास तरह के बर्तन में रखा गया था। उन्होंने इसी बर्तन में मूल कोशिकाओं से ही पूर्ण भ्रूण को विकसित कर दिया। 


जिसका दिल भी धड़का और उसके मस्तिष्क ने भी पूरा आकार ले लिया। इसे गर्भ के बाहर ही स्टेम सेल्स (मूल कोशिका) को मिलाकर विकसित किया गया है। कोशिका की मदद से ही संपूर्ण जीव को बनाया गया। वैज्ञानिकों ने हूबहू गर्भ (womb) में भ्रूण विकसित करने के जैसे ही प्रक्रिया का इस्तेमाल किया। इसमें केवल कृत्रिम उपकरणों की मदद ली गई। मूल कोशिकाओं को बीकर के अंदर न्यूट्रीएंट सॉल्यूशन में रखकर लगातार घुमाते हुए रखा गया। ताकि, प्लेसेंटा (placenta) तक पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए भौतिक रक्त प्रवाह निरंतर बनी रहे। 


‘वेइजमान वंडर वैंडर साइंस न्यूज एंड कल्चर’ में प्रकाशित अध्ययन के प्रोफेसर जैकब हन्ना ने कहा कि अब तक ज्यादातर शोध में विशेष कोशिकाओं का उत्पादन करना या तो मुश्किल होता था या वे अलग हो जाते थे। इसके अलावा प्रत्यारोपण के लिए अच्छी-संरचानाओं वाले उत्तक के तौर पर उपयुक्त नहीं हो पाते थे। हम इन बाधाओं को दूर करने में सफल हुए हैं। भविष्य में यह शोध मेडिकल साइंस (medical science) की दुनिया के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकता है।


अध्ययन के दौरान कृत्रिम भ्रूण 8.5 दिनों तक विकसित होते रहे और इस दौरान सभी प्रारंभिक अंग बन गए थे, जिसमें एक धड़कता हुआ दिल, ब्लड स्टेम सेल सर्कुलेशन, अच्छी आकार वाला मस्तिष्क (brain), एक न्यूरल ट्यूब, और एक इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (intestinal tract) भी शामिल है। सिंथेटिक मॉडल ने आंतरिक संरचनाओं के आकार और विभिन्न प्रकारों के सेल के जीन पैटर्न में 95 प्रतिशत समानता दिखाई है। 

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