लखनऊ। विश्व अभी कोरोना महामारी से उबर भी नहीं पाए थे कि विश्व को एक और महामारी अपनी चपेट में लेने की संभावना जताई जा रही है। वर्तमान में लगभग 19 देशों में फैल चुके रहस्यमय वायरस को लेकर उत्तर प्रदेश में भी अलर्ट जारी हो चुका है। इस रहस्यमय वायरस को मंकी पॉक्स का नाम दिया गया है। केंद्र से एडवाइजरी मिलने का इंतजार कर रहे यूपी ने दिल्ली से हरी झंडी के बाद यूपी के स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी सभी जिलों के चीफ मेडिकल ऑफिसर को भेज दिया है।
इन देशों में मिल चुके है केस
वर्तमान में मंकी पॉक्स के मामले यूरोप के देशों में ज्यादा दिखाई दे रहे हैं। जर्मनी, पुर्तगाल, स्पेन, इटली, स्वीडनए फ्रांस और बेल्जियम में इस के मरीज मिले चुके है। इसके अलावा इंग्लैण्ड, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में भी इससे संक्रमित केस आ चुके है।
मंकी पॉक्स क्या है लखनऊ को कितना प्रभावित करेगा
प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान पीजीआई की सीनियर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ पियाली भट्टाचार्य ने बताया करीब 19 देशों से आ रही जानकारी के मुताबिक मंकी पॉक्स एक वायरल बीमारी है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह बीमारी किसी जानवर जैसे बंदर से इंसानों में फैल रही है। डॉ भट्टाचार्य के अनुसार वल्र्ड हैल्थ आर्गेनाइजेशन डब्ल्यूएचओ की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार 6 मई शुरू होकर अब तक अब तक यह 19 देशों के लोगों को अपनी गिरफ्त में ले चुका है।
प्रमुख लक्षण
डॉ भट्टाचार्य ने बताया इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में बुखार, मांसपेशियों में दर्द, गिल्टियों का आना और त्वचा पर छाले पडऩे या रेशेज जैसी स्थिति होना है। फिलहाल उत्तर प्रदेश में इस बीमारी के प्रवेश करने की संभावना बहुत कम है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम बेपरवाह होकर लापरवाही पर उतर आएं। इस खतरनाक बीमारी से सतर्कता बहुत जरूरी है।
छोटे बच्चों पर ज्यादा प्रभावी
बाल रोग विशेषज्ञ भट्टाचार्य ने बताया इस बीमारी को लेकर आ रही रिपोर्ट में ऐसा देखा गया है कि बच्चों में यह बीमारी जल्दी असर करती हैं और घातक भी हो सकती है। डाक्टर ने कहा विशेषकर उन बच्चों को इस वायरस से ज्यादा खतरा होगा जिनकी इम्युनिटी कमजोर होगी साथ ही कुपोषित बच्चों में इसके गंभीर परिणाम दिखाई दे सकते हैं। इसलिए हमारी लापरवाही और गैरजिम्मेदारना व्यवहार बच्चों को भारी पड़ सकती है।
कैसी हो तैयारी
सबसे पहले सभी को इस बीमारी को गंभीरता से लेना होगा। हवा-हवाई बात मानकर या फिर यह बीमारी भारत में नहीं आ सकती का हवाला देकर लापरवाही करने वालों पर सख्ती की जाए। वर्तमान में जरूरी है कि सबसे पहले लोगों को मंकी पॉक्स के विषय पर जागरूक किया जाए। विदेश से आने वाले सभी व्यक्तियों पर खास नजर रखी जाए। जल्द से जल्द इसके लक्षण को पहचान कर रोगी को आइसोलेशन में रखना जरूरी है। अगर यह यूपी में फैली तो कोरोना महामारी के दौरान जैसे हमें बड़ी संख्या में आइसोलेशन वार्ड की जरूरत पड़ी वैसी ही जरूरत इस बार भी होगी।
क्या है घरेलू उपाय
डॉ पियाली भट्टाचार्य ने बताया यदि किसी व्यक्ति में इसके लक्षण दिखाई दें तो सबसे पहले उसको सभी से बिल्कुल अलग कर दें कोई दूसरा बीमार व्यक्ति के सीधे सम्पर्क न आए खासकर 12 से कम उम्र के बच्चे। बीमार व्यक्ति के खानपान पर खास ध्यान दें और साफ -सफाई को लेकर सजग रहें। चाहे टेली मेडिसिन या डॉक्टर के पास फिजिकल जाकर सलाह लें। खुद से दवा देने की गलती न करें। बीमारी और गंभीर हो सकती है।
स्मालपाक्स की वैक्सीन ही कारगर!
डाक्टर भट्टाचार्य ने बताया अभी तक मंकी पॉक्स की अलग से कोई वैक्सीन ईजाद नही हुई है, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो स्माल पॉक्स की वैक्सीन इस पर 80 से 90 फीसदी कारगर है। विश्व भर से स्माल पॉक्स के उन्मूलन के बाद स्माल पॉक्स की वैक्सीन बचाकर अमेरिका के लैबोरेटरी में रखा गया था। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि मंकीपॉक्स के इस दौर में एक बार फिर उसका उपयोग किया जा सकता है।
सबसे पहले कहां मिला मंकी पॉक्स
साल 1958 में यह वायरल इन्फेक्शन बंदरों में पाया गया था। करीब बारह साल बाद इंसानों में पहली बार यह बीमारी 1970 में दिखाई दी। 2017 में नाइजीरिया में मंकी पॉक्स फैला था जिसके 70 से 80 फीसदी मरीज पुरुष थे। यह एक वायरल इन्फेक्शन है, जो ज्यादातर मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों में पाया जाता है।
मंकी पॉक्स को लेकर सीएमएओ ने जारी किया एलर्ट
मंकी पॉक्स को लेकर लखनऊ के अस्पतालों को एलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं। सीएमओ ने सभी अस्पतालों को मंकीपॉक्स को लेकर जरूरी एहतियात बरतने के निर्देश दिए हैं। मंकी पॉक्स के लक्षण वाले मरीजों की जांच करा अलग भर्ती करने के निर्देश दिए गए हैं। सीएमओ डॉ मनोज अग्रवाल ने बताया अभी भारत में मंकी पॉक्स का कोई मरीज सामने नहीं आया है। फिर भी एहतियात बरतने की जरूरत है। मंकी पॉक्स को लेकर सजगता बरतने की जरूरत है।
उन्होंने बताया मंकी पॉक्स पीडि़तों को बुखार आता है। शरीर में चक्कते पड़ जाते हैं। साथ ही लिम्फ नोड़ जैसे लक्षण मिलते हैं। ये लक्षण दो से चार हफ्ते रहते हैं। कुछ मरीजों की हालत गंभीर हो सकती है। यह वायरस कटी फटी त्वचा, आंख, नाक, मुंह के जरिए शरीर में दाखिल होता है। संक्रमित जानवरों के काटने या फिर खरोचने से भी यह संक्रमण हो सकता है। मंकी पॉक्स के लक्षण चिकनपॉक्स से मिलते-जुलते हैं। शरीर में छाले निकल आते हैं। इनसे पानी का रिसाव होता है। उन्होंने बताया मंकी पॉक्स की जांच छाले के पानी, खून व बलगम की जांच से बीमारी की पहचान की जा सकती है। नमूने को पूणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट स्थित वायरोलॉजी लैब में भेजा जाएगा।
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