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सेकंड हैंड स्मोकिंग कैंसर का 10वां सबसे बड़ा कारण: द लैंसेट

धूम्रपान करने वाले लोगों में कैंसर का जितना खतरा है, उतना ही ऐसे लोगों के करीब रहने वालों में भी खतरा रहता है। धूम्रपान नहीं करने वाले लोग भी धुएं से बीमार पड़ रहे हैं। इसलिए शोधकर्ताओं ने धूम्रपान करने वालों से दूर रहने की सलाह दी है।

हे.जा.स.
August 21 2022 Updated: August 21 2022 19:49
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सेकंड हैंड स्मोकिंग कैंसर का 10वां सबसे बड़ा कारण: द लैंसेट पैसीव स्मोकिंग प्रतीकात्मक चित्र

लंदन। एक आंकड़े के मुताबिक धूम्रपान करने के कारण वैश्विक स्तर पर 2019 में 76.9 लाख लोगों की जान गई थी। वहीं भारत में धूम्रपान करने के कारण हर साल औसतन 10 लाख लोगों की जान जाती है। इस आंकड़े में पिछले 30 वर्षों में 58.9 फीसदी का इजाफा हुआ है। जानकारी के अनुसार अगर आप धूम्रपान नहीं करते हैं तो भी आपको इससे होने वाली घातक बीमारियां हो सकती हैं।

 

हाल ही में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल, द लैंसेट (The Lancet) के अध्ययन में दावा किया गया है कि सेकंड-हैंड स्मोकिंग कैंसर (cancer) होने का 10वां सबसे बड़ा कारण है। यानी कि धूम्रपान करने वाले लोगों में कैंसर का जितना खतरा है, उतना ही ऐसे लोगों के करीब रहने वालों में भी खतरा रहता है। धूम्रपान (smoking) नहीं करने वाले लोग भी धुएं से बीमार पड़ रहे हैं। इसलिए शोधकर्ताओं ने धूम्रपान करने वालों से दूर रहने की सलाह दी है।

 

पैसीव स्मोकिंग (passive smoking), यानी किसी और के सिगरेट पीने से आने वाले धुंआ भी सिगरेट पीने जितना ही नुकसान करता है। इससे दूसरे व्यक्ति को भी कई बीमारियां हो सकती हैं। आजकल हुक्का पीने का चलन भी काफी बढ़ गया है, लेकिन ये भी काफी खतरनाक (dangerous) होता है।

 

अमेरिकी रोग नियंत्रण केंद्र के मुताबिक, तंबाकू (Tobacco) के धुएं में 7,000 से अधिक जहरीले रसायन (chemical) होते हैं। 1964 के बाद से धूम्रपान नहीं करने वाले करीब 25 लाख लोगों की सेकंड-हैंड धुएं के संपर्क में आने से मौत हो चुकी है।धूम्रपान से कैंसर (cancer), हृदय रोग (heart desease), हृदयाघात, फेफड़ों के रोग और क्रॉनिक (पुरानी) प्रतिरोधी फुफ्फुसीय बीमारी (ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) (सीओपीडी) होती है। आंकड़ों के अनुसार दुनिया में हर पांचवे पुरुष की मौत के लिए धूम्रपान ही जिम्मेवार है।

Updated by Shweta Singh

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