गोरखपुर। राज नर्सिंग और पैरामेडिकल कालेज प्रकरण में एक नया मोड़ तब आ गया, जब पुलिस द्वारा गिरफ्तार एक छात्र ने पुलिस अभिरक्षा में ही जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जान देने की कोशिश की। हालांकि अब वह खतरे से बाहर है। उसका जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। जिस छात्र ने जहरीला पदार्थ खाया है, उसका नाम राहुल मद्धेशिया है। अब कहा जा रहा है कि छात्र ने अस्थमा की एक दवा का ओवरडोज ले लिया था।
पूरा मामला क्या है
दरअसल, जंगल धूषण में राज नर्सिंग और पैरामेडिकल कालेज चल रहा था। अब शासन के जांच के बाद उसे फर्जी करार दिया गया है। उसकी मान्यता खत्म करने की कार्रवाई भी चल रही है। उसके कर्ता-धर्ता का नाम अनिल यादव है। वह फरार है। उस पर अनेक मामले दर्ज हैं। चूंकि नर्सिंग कालेज की मान्यता खत्म करने की कार्रवाई चल रही है, उसे फर्जी पहले ही करार दिया गया है तो उसमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों के समक्ष भविष्य की चिंता खड़ी हो गई। यही वजह था कि ये छात्र बीते दो माह से आंदोलन कर रहे थे। बीते शनिवार को छात्र इसी मामले में गोरखनाथ मंदिर में स्थित सीएम कैंप कार्यालय जा रहे थे। मंदिर के गेट के बाहर पुलिस वालों ने छात्रों को रोक लिया। छात्र हर हाल में मुख्यमंत्री से मिलना चाहते थे। वह जिद पर अड़े हुए थे। तब पुलिस ने छात्रों को धारा 144 के उल्लंघन के मामले में गिरफ्तार कर हिरासत में ले लिया। जिन छात्रों को गिरफ्तार किया गया, उनकी संख्या 12 है। राहुल मधेशिया उन्हीं छात्रों में एक है जिसने पुलिस कस्टडी में ही जहरीला पदार्थ खा लिया था।
शुल्क जमा न करने के कारण हुआ यह पूरा विवाद
यह पूरा मामला अभिषेक यादव से जुड़ा हुआ है। अभिषेक ही इस कालेज के कर्ता-धर्ता हैं। जानकार बतातें हैं कि तरंग क्रासिंग स्थित एक नर्सिंग होम अभिषेक के पिता ने शुरू किया था। तब उसकी ख्याति बहुत दूर-दूर तक थी। एक दौर था जब शहर के बड़े-बड़े चिकित्सक वहां पर प्रैक्टिस करते थे। नर्सिंग होम की साख देख कर अभिषेक ने उसी की एक ईकाई पैरामेडिकल कालेज के रूप में जंगल धूषण में शुरू की। कहते हैं, मुलायम सिंह यादव के जमाने में अभिषेक और उसके पिता की शासन में अच्छी पकड़ थी और पैरामेडिकल कालेज खोलने, उसे चलाने, फीस लेने, मेडिकल काउंसिल को शुल्क देने जैसे मामलों में ये लोग मनमानी करते रहे। 2017 तक तो सब कुछ ठीक रहा। जब से योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी, इनकी मनमानी पर अंकुश लग गया। भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि चूंकि मेडिकल काउंसिल को इन्होंने निर्धारित शुल्क जमा नहीं की और जरूरत से ज्यादा नामांकन भी इन्होंने कर लिया। इसलिए, जब संबंधित विभाग को इसकी शिकायत प्राप्त हुई तो बाकायदा स्वतः संज्ञान लेते हुए यह सब कार्यवाही की गई। फिलहाल अभिषेक फरार हैं।
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