लखनऊ। मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital) की तरफ से आईएमए भवन में सीएमई का आयोजन किया। इस मौके पर मेदांता में डायरेक्टर न्यूरोलॉजी डॉ अनूप कुमार ठक्कर से विशेष बातचीत करते हुए न्यूरोलॉजी (neurology) को लेकर महत्वपूर्ण सवालों के जवाब लिए। सीएमई (CME) में लखनऊ आईएमए (IMA) अध्यक्ष डॉ मनीष टण्डन ने आएं हुए अतिथियों का स्वागत किया।
डॉ ए के ठक्कर ने आयोजित सीएमई का ब्यौरा दिया। हेल्थ जागरण के सवाल कि इन दिनों न्यूरोलॉजी के केसेज ज्यादा आ रहें हैं का जवाब देते हुए कहा कि न्यूरोलॉजी को हम दो भागों में बांटते हैं। पहला सेंट्रल नर्वस सिस्टम (central nervous system) जिसमें स्ट्रोक (stroke), हेडएक, एपीलैप्सी (epilepsy) आते हैं और दूसरे भाग में पेरेफेरल सिस्टम में नर्व और मसल्स की बीमारियां आती है। मौजूदा जीवनशैली में डायबिटीज (diabetes) और हाइपरटेंशन (hypertension) के कारण ज्यादा न्यूरो की समस्याएं देखी जा रही है। इसमें स्ट्रोक ज्यादा देखा जा रहा है जो देश में कम उम्र के लोगों को ज्यादा हो रहा है। देश में 40 साल से कम उम्र के 20-30% लोग स्ट्रोक से पीड़ित हो रहें हैं। इसका कारण डायबिटीज और ब्लड प्रेशर का होना है।
न्यूरोलॉजी के रोगो की डायग्नोज पर बोलते हुए डॉ ठक्कर ने कहा कि बीमारी के हिसाब से अगल अलग डायग्नोज किया जाता है। इसके लिए सीटी स्कैन (CT scan), एमआरआई (MRI) जैसे टेस्ट किए जाते हैं। सबसे महत्वपूर्ण हम मरीजों से उनकी हिस्ट्री जानते है जिससे पूरी बात पता चल जाती है।
न्यूरो की बीमारियां ज्यादा बढ़ने का जवाब देते हुए डॉ ए के ठक्कर ने कहा कि भागती हुई जिंदगी सबसे बड़ा कारण है। तनाव बढ़ रहा है जो काफी सारी बीमारियों का कारण है। ब्लडप्रेशर, शुगर बढ़ रहा है, गांव तो छोड़िए शहरों में भी लोग चेकअप नहीं करवाते हैं।
हेल्थ जागरण के सवाल कि एक बार न्यूरो की समस्याएं हो जाने के बाद जीवन भर दवाएं खानी पड़ती है का जवाब देते हुए डॉ ठक्कर ने कहा कि यह बीमारी पर निर्भर करता है। सामान्य न्यूरो की बीमारियां कुछ समय दवा खाने से ठीक हो जाती है और कुछ के लिए पूरा जीवन दवा खानी पड़ती है।
न्यूरोलॉजी की समस्याओं से बचने के लिए डॉ ठक्कर ने कहा कि पहले तो स्ट्रेस (stress) फ्री जीवन होना चाहिए, दूसरे कसरत करते रहे और वजन कम रखना चाहिए। खानपान सही हो और नशा नहीं करना चाहिए। ब्लडप्रेशर, शूगर है तो उस पर कंट्रोल होना चाहिए।
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