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अब पित्ताशय के कैंसर का इलाज संभव

बीएचयू के शोधकर्ताओं ने पित्ताशय के कैंसर के लिए जिम्मेदार ड्राइवर म्यूटेशन (इस कैंसर के लिए जिम्मेदार म्यूटेशन) की पहचान कर ली है। शोध में 27 म्यूटेशन की पहचान की गई, जिनके लिए 14 जीन जिम्मेदार थे। म्यूटेशन के लिए विशेष रूप से दो जीन पी 53 और केआरएएस (KRAS) सबसे ज्यादा जिम्मेदार पाए गए। बीएचयू के शोधकर्ताओं ने पित्ताशय के कैंसर के लिए जिम्मेदार ड्राइवर म्यूटेशन (इस कैंसर के लिए जिम्मेदार म्यूटेशन) की पहचान कर ली है।

आरती तिवारी
August 30 2022 Updated: August 30 2022 19:03
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अब पित्ताशय के कैंसर का इलाज संभव प्रतीकात्मक चित्र

वाराणसी (लखनऊ ब्यूरो) गॉल ब्‍लैडर जिसे हिंदी में पित्‍त की थैली बोलते हैं, यह लिवर के ठीक नीचे नाशपती के आकार का होता है। यह 3 से 4 इंच लंबा और करीब 1 इंच तक चौड़ा होता है। इसका काम बाइल बनता उसे पाचन क्रिया तक पहुंचाना होता है। लेकिन जब पित्‍त की थैली में कैंसर हो जाता है तो ये काम करना बंद कर देती है। वहीं अब पित्ताशय का कैंसर लाइलाज बीमारी नहीं रह जाएगी।

 

बीएचयू के शोधकर्ताओं ने पित्ताशय के कैंसर के लिए जिम्मेदार ड्राइवर म्यूटेशन (इस कैंसर के लिए जिम्मेदार म्यूटेशन) की पहचान कर ली है। शोध में 27 म्यूटेशन की पहचान की गई, जिनके लिए 14 जीन जिम्मेदार थे। म्यूटेशन के लिए विशेष रूप से दो जीन पी 53 और केआरएएस (KRAS) सबसे ज्यादा जिम्मेदार पाए गए। उन्होंने पाया कि कोशिका वृद्धि (cell growth), मेटाबोलिज्म (Metabolism) और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करने वाले एक प्रकार के प्रोटीन एमएपीके, एमटीओआर इस कैंसर की प्रमुख पाथवे हैं और एमटीओआर (MTOR) के असर को घटाकर इसका उपचार किया जा सकता है।

 

सर्जिकल आंकोलॉजी (surgical oncology) में प्रो. मनोज पांडेय की अगुवाई में हुए शोध में पहली बार पित्त की थैली के कैंसर के म्यूटेशन की जानकारी मिलने के बाद इसका प्रकाशन भी शोध पत्रिका मालिक्यूलर बायोलॉजी (molecular biology) रिपोर्ट्स में प्रकाशित हो चुका है। प्रो. पांडेय के अनुसार मानव शरीर में पित्त की थैली यानि गॉलब्लैडर का कार्य पित्त को संग्रहित करना तथा भोजन के बाद पित्त नली के माध्यम से छोटी आंत में पित्त का स्राव करना है।

 

बता दें कि  यह कैंसर ज्यादातर 45 वर्ष से अधिक आयु वाली महिलाओं में पाया जाता है। पुरुषों की तुलना में यह महिलाओं में पांच गुना अधिक होता है। शुरुआत में इसके कोई लक्षण न होने से देर से पता चलता है। पित्ताशय के कैंसर में बचने की दर 10-20 प्रतिशत ही है। मानव शरीर में पित्त की थैली यानि गाल ब्लेडर का कार्य पित्त को संग्रहित करना तथा भोजन के बाद पित्त नली के माध्यम से छोटी आंत में पित्त का स्राव करना है।

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