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रात में बार बार आंख खुलने से हो सकता है कैंसर का खतरा

शोधकर्ताओं ने OSA से पीड़ित 2,093 रोगियों के डेटा का मिलान किया, जिसमें OSA का पता न लगने से 5 साल पहले कैंसर का पता चलना और नियंत्रित समूह में OSA का होना लेकिन कैंसर नहीं होने की स्थिति शामिल थी।

श्वेता सिंह
September 07 2022 Updated: September 07 2022 01:39
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रात में बार बार आंख खुलने से हो सकता है कैंसर का खतरा प्रतीकात्मक चित्र

अक्सर रात को नींद पूरी हो पाने की वजह से ढेर सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्हीं समस्याओं की सूची में एक और नाम जुड़ा गया है। हाल ही में स्पेन में यूरोपियन रेस्पिरेटरी सोसायटी (ईआरएस) इंटरनेशनल कांग्रेस में प्रस्तुत किए गए एक अध्ययन में ये सामने आया है कि वे लोग, जिन्हें ओब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) था उनमें कैंसर का बढ़ा हुआ खतरा पाया गया है। 

 

इतना ही नहीं OSA से जुड़े दूसरे अध्ययन में ये पाया गया कि OSA की वजह से बुजुर्गो में सोचने ती शक्ति कम होने से भी जुड़ी हुई है। अध्ययन के मुताबिक, 74 साल और उससे ज्यादा उम्र के लोग याददाश्त संबंधी टेस्ट में भी काफी पीछे रहे। एक तीसरे अध्ययन (study) में ये पाया गया कि वे मरीज, जिन्हें गंभीर रूप से OSA था उनकी नसों में रक्त के थक्के (clotting) बनने का खतरा बहुत ही ज्यादा था, जो कि विशेष रूप से एक जानलेवा स्थिति है।

 

बता दें कि OSA एक आम नींद विकार (disorder) है, जिसमें सोते वक्त व्यक्ति को आंशिक और पूरी तरह से वायुमार्ग में बाधा महसूस होने लगती है। इतनी ही नहीं रोगी रात में कई बार सांस तक नहीं ले पाता है। इसकी वजह से व्यक्ति को तेज-तेज खर्राटे, हांफना, दम घुटना (suffocation) और दिन में नींद आने की परेशानी होने लगती है। ऐसा माना जाता कि 7 से 13 फीसदी लोग इस स्थिति से प्रभावित हैं।

 

शोधकर्ताओं ने शरीर के आकार, अन्य स्वास्थ्य समस्याओं और लोगों के सामाजिक-आर्थिक स्थिति जैसे कारकों को देखा, जो नतीजों को प्रभावित कर सकते थे। शोधकर्ताओं ने OSA से पीड़ित 2,093 रोगियों के डेटा का मिलान किया, जिसमें OSA का पता लगने से 5 साल पहले कैंसर का पता चलना और नियंत्रित समूह में OSA का होना लेकिन कैंसर नहीं होने की स्थिति शामिल थी। उन्होंने OSA की गंभीरता का आंकलन एपनिया हाइपोपिनिया इंडेक्स से किया। इसमें सोते वक्त सांस लेने में कितनी बार दिक्कत हुई उसकी संख्या को देखा जाता है।

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